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Happy Birthday Sharad Pawar: महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार के पास रहती है सत्ता की पावर

Happy Birthday Sharad Pawar शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति में लगभग 52 साल से सक्रिय है। वो महाराष्ट्र की राजनीति बिंदू माने जाते हैं।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 10:30 PM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 08:33 AM (IST)
Happy Birthday Sharad Pawar: महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार के पास रहती है सत्ता की पावर
Happy Birthday Sharad Pawar: महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार के पास रहती है सत्ता की पावर

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। Happy Birthday Sharad Pawar महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा नाम शरद पवार का है। इनका पूरा नाम शरद गोविंदराव पवार है वो एक वरिष्ठ भारतीय राजनेता है। वो ही नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के संस्थापक और अध्यक्ष भी हैं। वो तीन अलग-अलग समय पर महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। एक प्रभावशाली नेता के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले शरद पवार केंद्र सरकार में भी रक्षा और कृषि मंत्री रह चुके हैं।

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वे पहले कांग्रेस पार्टी में थे पर सन 1999 में उन्होंने अपने राजनितिक दल ‘नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी’की स्थापना की। वर्तमान में वे राज्यसभा से सांसद हैं और अपनी पार्टी का वहां नेतृत्व कर रहे हैं। राष्ट्रीय राजनीति और महाराष्ट्र की क्षेत्रीय राजनीति में उनकी कड़ी पकड़ है।

प्रारंभिक जीवन

शरद गोविंदराव पवार का जन्म 12 दिसम्बर 1940 को महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था। उनके पिता गोविंदराव पवार बारामती के कृषक सहकारी संघ में कार्यरत थे और उनकी माता शारदाबाई पवार कातेवाड़ी (बारामती से 10 किलोमीटर दूर) में परिवार के फार्म का देख-रेख करती थीं। शरद पवार ने पुणे विश्वविद्यालय से सम्बद्ध ब्रिहन महाराष्ट्र कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स (BMCC) से पढ़ाई की।

राजनैतिक गुरू 

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री यशवंत राव चौहान को शरद पवार का राजनैतिक गुरु माना जाता है। सन 1967 में शरद पवार कांग्रेस पार्टी के टिकट पर बारामती विधान सभा क्षेत्र से चुनकर पहली बार महाराष्ट्र विधान सभा पहुंचे। सन 1978 में पवार ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और जनता पार्टी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में एक गठबंधन सरकार बनायी और पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। सन 1980 में सत्ता में वापसी के बाद इंदिरा गाँधी सरकार ने महाराष्ट्र सरकार को बर्खास्त कर दिया।

निजी जीवन

शरद पवार का विवाह प्रतिभा शिंदे से हुआ। पवार दंपत्ति की एक पुत्री है जो बारामती संसदीय क्षेत्र से सांसद है। शरद पवार के भतीजे अजित पवार भी महाराष्ट्र की राजनीति में प्रमुख स्थान रखते हैं और पूर्व में महाराष्ट्र राज्य के उप-मुख्यमंत्री रह चुके हैं। शरद के छोटे भाई प्रताप पवार मराठी दैनिक ‘सकल’ का संचालन करते हैं।

पहली बार लोकसभा चुनाव जीते

सन 1980 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला और ए.आर. अंतुले के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी। सन 1983 में पवार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (सोशलिस्ट) के अध्यक्ष बने और अपने जीवन में पहली बार बारामती संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीता। उन्होंने सन 1985 में हुए विधान सभा चुनाव में भी जीत अर्जित की और राज्य की राजनीति में ध्यान केन्द्रित करने के लिए लोकसभा सीट से त्यागपत्र दे दिया। विधानसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (सोशलिस्ट) को 288 में से 54 सीटें मिली और शरद पवार विपक्ष के नेता चुने गए।

कांग्रेस में वापसी

सन 1987 में शरद पवार कांग्रेस पार्टी में वापस आ गए। जून 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री शंकरराव चौहान को केन्द्रीय वित्त मंत्री बना दिया जिसके बाद शरद पवार राज्य के मुख्यमंत्री बनाये गए। सन 1989 के लोक सभा चुनाव में महाराष्ट्र की कुल 48 सीटों में से कांग्रेस ने 28 सीटों पर विजय हासिल की। परवरी 1990 में हुए विधानसभा चुनाव में शिव सेना और भारतीय जनता पार्टी गठबंधन ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी और कांग्रेस पार्टी ने कुल 288 सीटों में से 141 सीटों पर विजय हासिल की पर बहुमत से चुक गयी। शरद पवार ने 12 निर्दलीय विधायकों से समर्थन लेकर सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने।

प्रधानमंत्री के रूप में सामने आने लगा नाम

सन 1991 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गयी जिसके बाद अगले प्रधानमंत्री के रूप में नरसिंह राव और एन. डी. तिवारी के साथ-साथ शरद पवार का नाम भी आने लगा। लेकिन कांग्रेस संसदीय दल ने नरसिंह राव को प्रधानमंत्री के रूप में चुना और शरद पवार रक्षा मंत्री बनाये गए। मार्च 1993 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सुधाकरराव नायक के पद छोड़ने के बाद पवार एक बार फिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। वे 6 मार्च 1993 में मुख्यमंत्री बने पर उसके कुछ दिनों बाद ही महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई 12 मार्च को बम धमाकों से दहल गई और सैकड़ों लोग मारे गए। 

भ्रष्टाचार के लगे आरोप

सन 1993 के बाद शरद पवार पर भ्रष्टाचार और अपराधियों से मेल-जोल के आरोप लगे। ब्रहन्मुम्बई नगर निगम के उपायुक्त जी.आर. खैरनार ने उन पर भ्रष्टाचार और अपराधियों को बचाने के आरोप लगाये। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भी महाराष्ट्र वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों को नौकरी से बर्खास्त करने की मांग की और अनशन किया। विपक्ष ने भी पवार पर इन मुद्दों को लेकर निशाना साधा। इन सब बातों से पवार की राजनैतिक साख भी गिरी।

विधानसभा चुनाव में शिवसेना से गठबंधन

सन 1995 के विधान सभा चुनाव में शिव सेना बी.जे.पी. गठबंधन ने कुल 138 सीटों पर विजय हासिल की जबकि कांग्रेस पार्टी केवल 80 सीटें ही जीत सकी। शरद पवार को इस्तीफा देना पड़ा और मनोहर जोशी प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने। सन 1996 के लोक सभा चुनाव तक शरद पवार राज्य विधान सभा में बिपक्ष के नेता रहे और लोक सभा चुनाव में जीत के बाद उन्होंने विधान सभा से त्यागपत्र दे दिया। सन 1998 के मध्यावधि चुनाव में शरद पवार के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी और उसके सहयोगी दलों ने महाराष्ट्र में 48 सीटों में से 37 सीटों पर कब्ज़ा जमाया। शरद पवार 12वीं लोक सभा में विपक्ष के नेता चुने गए। 

12 वीं लोकसभा भंग

सन 1999 में जब 12वीं लोकसभा भंग कर दी गयी और चुनाव की घोषणा हुई तब शरद पवार, तारिक अनवर और पी.ए.संगमा ने कांग्रेस के अन्दर ये आवाज उठाई कि कांग्रेस पार्टी का प्रधानमंत्री उम्मीदवार भारत में जन्म लिया हुआ चाहिये न कि किसी और देश में। जून 1999 में ये तीनों कांग्रेस से अलग हो गए और ‘नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी’की स्थापना की। जब 1999 के विधान सभा चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तब कांग्रेस और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी ने मिलकर सरकार बनायी। सन 2004 लोकसभा चुनाव के बाद शरद पवार यू.पी.ए. गठबंधन सरकार में शामिल हुए और उन्हें कृषि मंत्री बनाया गया। सन 2012 में उन्होंने सन 2014 का चुनाव न लड़ने का एलान किया ताकि युवा चेहरों को मौका मिल सके।

तमाम संस्थाओं में संभाले पद

राजनीति के साथ-साथ उनका क्रिकेट में भी शौक है। सन 2005 से 2008 तक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष और सन 2010 से 2012 तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कौंसिल के भी अध्यक्ष रहे। 2001 से 2010 तक वे मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष रह चुके हैं और जून 2015 में एक बार फिर उन्हें मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष चुना गया।

खेल-कूद प्रशासन

शरद पवार कबड्डी, खो-खो, कुश्ती, फूटबाल और क्रिकेट जैसे खेलों में दिलचस्पी रखते हैं और इनके प्रशासन से भी जुड़े रहे हैं। वे नीचे दिए गए सभी संगठनों के मुखिया रह चुके हैं।

मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन

महाराष्ट्र कुश्ती एसोसिएशन

महाराष्ट्र कबड्डी एसोसिएशन

महाराष्ट्र खो-खो एसोसिएशन

महाराष्ट्र ओलंपिक्स एसोसिएशन

भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद् के उपाध्यक्ष

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद् के अध्यक्ष

विवादों में

शरद पवार के राजनितिक जीवन में समय-समय पर विभिन्न विवादों में नाम आया। उनपर भ्रष्टाचार, अपराधियों को बचाने, स्टाम्प पेपर घोटाले, जमीन आवंटन विवाद जैसे मामलों के शामिल होने का आरोप लगा। 


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