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Shaheen Bagh: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- लोकतंत्र में संसद व सड़कों पर हो सकता है विरोध प्रदर्शन

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि विरोध का अधिकार पूर्ण अधिकार नहीं हो सकता और इसको लेकर कुछ फैसले भी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विरोध प्रदर्शनों को लेकर कोई सार्वभौमिक नीति नहीं हो सकती।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 07:33 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 11:43 PM (IST)
Shaheen Bagh: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- लोकतंत्र में संसद व सड़कों पर हो सकता है विरोध प्रदर्शन
शाहीन बाग मामले में कहा- विरोध प्रदर्शनों के मामले में नहीं हो सकती कोई सार्वभौमिक नीति

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि संसदीय लोकतंत्र में संसद में और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हो सकता है, लेकिन सड़कों पर इसे शांतिपूर्ण होना चाहिए। विरोध प्रदर्शनों को लेकर कोई सार्वभौमिक नीति नहीं हो सकती क्योंकि हर मामले में परिस्थितियां अलग-अलग हो सकती हैं।

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शाहीन बाग में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर दिया फैसला

दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले साल नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) विरोधी प्रदर्शनों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखते हुए जस्टिस एसके कौल, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने उक्त टिप्पणी की। कोरोना महामारी के डर और उसके प्रोटोकॉल के अनुपालन में बाद में वहां स्थिति सामान्य हो गई थी।

पीठ ने कहा- विरोध के अधिकार और सड़कों को अवरुद्ध करने के बीच संतुलन स्थापित करना होगा

पीठ ने कहा कि कुछ ऐसी परिस्थितियां थीं जो परिदृश्य में आ गई थीं और यह किसी के हाथ में नहीं थीं। फिर भगवान ने खुद हस्तक्षेप किया। शशांक देव सुधि समेत वकीलों की दलीलों का संज्ञान लेते हुए पीठ ने कहा, 'हमें विरोध के अधिकार और सड़कों को अवरुद्ध करने के बीच संतुलन स्थापित करना होगा। हमें इस मसले से निपटना होगा। इसके लिए कोई सार्वभौमिक नीति नहीं हो सकती क्योंकि मामले दर मामले के आधार पर हालात अलग-अलग हो सकते हैं।'

याचिकाकर्ता ने कहा- जनहित में विरोध प्रदर्शनों की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए थी

याचिका दायर करने वाले एक अधिवक्ता अमित साहनी ने कहा, 'जनहित में इस तरह के विरोध प्रदर्शनों की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए थी। इसे सौ से ज्यादा दिनों तक जारी रहने की अनुमति दी गई और लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस तरह की घटना नहीं होनी चाहिए थी। कल हरियाणा में चक्का जाम था। उन्होंने 24-25 सितंबर को भारत बंद का भी आह्वान किया है।'

सॉलिसिटर जनरल ने कहा- विरोध का अधिकार पूर्ण अधिकार नहीं हो सकता

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि विरोध का अधिकार पूर्ण अधिकार नहीं हो सकता और इसको लेकर कुछ फैसले भी हैं।


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