एसएफआइओ करेगा 18 कंपनियों की जांच
नोटबंदी के दौरान संदिग्ध लेनदेन में लिप्त रहीं कम से कम 18 कंपनियों की एसएफआइओ जांच करेगा।
नई दिल्ली, प्रेट्र। पिछले साल नोटबंदी के दौरान बड़ी धनराशि के संदिग्ध लेनदेन करने वाले मामलों में कार्रवाई तेज हो गई है। इस मामले में गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआइओ) 18 कंपनियों की जांच करेगा। कॉरपोरेट मंत्रालय लंबे समय से निष्कि्रय पड़ी 2.24 लाख कंपनियों का पंजीकरण रद कर चुका है। इसके अलावा तीन लाख से ज्यादा डायरेक्टरों को भी अयोग्य घोषित किया जा चुका है।
अब मंत्रालय आंकड़ों की जांच करके अतिरिक्त जानकारी जुटाने में लगा है। जांच के दौरान अधिकारियों को कुछ ऐसी कंपनियों में बड़ी राशि के संदिग्ध लेनदेन का पता चला है जिनका पंजीकरण रद किया जा चुका है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नोटबंदी के दौरान संदिग्ध लेनदेन में लिप्त रहीं कम से कम 18 कंपनियों की एसएफआइओ जांच करेगा। अवैध लेनदेन और भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने के लक्ष्य के साथ सरकार ने पिछले साल आठ नवंबर में 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने की घोषणा की थी।
पांच नवंबर को जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार 56 बैंकों से मिली जानकारी के आधार पर प्राथमिक जांच में यह बात सामने आई कि 35,000 कंपनियों के 58,000 बैंक खातों में नोटबंदी के दौरान 17,000 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था। एक मामला ऐसा भी जिसका खाता आठ नवंबर, 2016 से पहले निगेटिव चल रहा था। नोटबंदी के बाद इसमें 2,484 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ। कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने 23 नवंबर को अपने बयान में कहा था कि कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद करने के साथ-साथ आंकड़ों की छानबीन चलती रहेगी। अवैध गतिविधियों का पता लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
को-लोकेशन केस की जांच कर सकता है एसएफआइओ
बहुचर्चित एनएसई को-लोकेशन मामले की जांच एसएफआइओ के सुपुर्द की जा सकती है। एसएफआइओ इस मामले में कॉरपोरेट कानूनों के संभावित उल्लंघनों की जांच करेगा। बाजार नियामक सेबी इस मामले में 14 लोगों को नोटिस जारी कर चुका है। नियामक आगे भी ब्रोकरों समेत कई इकाइयों को कारण बताओ नोटिस जारी कर सकता है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस मामले में अवैध धन के लेनदेन का संदेह होने पर जांच का दायरा बढ़ने की उम्मीद है।
क्या है मामला
यह मामला एक व्हिसलब्लोअर की सूचना से सेबी के सामने आया था। सेबी को पता चला था कि एनएसई के सर्वर तक कुछ ब्रोकरों को विशेष पहुंच मिली हुई है। इससे उन्हें दूसरे ब्रोकरों व निवेशकों से पहले शेयर बाजार से जुड़े आंकड़े मिल जाते हैं। इससे वे पहले सौदे निपटाकर अनुचित फायदा उठाने में सफल हो जाते हैं। ये ब्रोकर एनएसई के एक को-लोकेशन सर्वर की मदद से ऐसा करते थे। इस मामले में एनएसई के कुछ अधिकारियों की संलिप्तता का संदेह भी जताया गया है।
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