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रेप के झूठे आरोप में सात साल जेल की सजा , अब मांगा 200 करोड़ हर्जाना

बलात्कार के जुर्म में गोपाल शेट्टे को 2009 में 7 साल की सजा मिली। जेल में 6 साल गुजर जाने पर पता चला कि गोपाल बेगुनाह हैं और उसे बाइज्जत बरी कर दिया गया। अब गोपाल ने अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण 6 सालों का हिसाब मांगा है। उन्होंने अदालत से

By Sudhir JhaEdited By: Published: Fri, 02 Oct 2015 03:51 PM (IST)Updated: Fri, 02 Oct 2015 04:15 PM (IST)
रेप के झूठे आरोप में सात साल जेल की सजा , अब मांगा 200 करोड़ हर्जाना

मुंबई। बलात्कार के जुर्म में गोपाल शेट्टे को 2009 में 7 साल की सजा मिली। जेल में 6 साल गुजर जाने पर पता चला कि गोपाल बेगुनाह हैं और उसे बाइज्जत बरी कर दिया गया। अब गोपाल ने अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण 6 सालों का हिसाब मांगा है। उन्होंने अदालत से 200 करोड़ के हर्जाने की मांग की है। शेट्टे ने सजा सुनाने वाले सेशन कोर्ट के जज, सरकारी वकील और जांच अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

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सदमें से पिता की मौत हो गई और पत्नी छोड़कर चली गई

6 साल पहले 42 वर्षीय गोपाल रामदास शेट्टे मुंबई में कुछ बनने का सपना लेकर आए थे। बलात्कार के झूठे केस में फंसने के बाद उन्हें 7 साल की सजा हो गई। इस खबर को सुनकर उनके पिता की मौत हो गई, पत्नी घर छोड़कर चली बई और बेटियां अनाथ आश्रम पहुंच गईं। इन सब के बाद भी गोपाल ने हिम्मत नहीं हारी और जेल में रहते हुए अपनी बेगुनाही के सबूत जुटाए। पैसे न होने के कारण अपने केस की पैरवी खुद ही की।


पुलिस ने उंगली से इशारा कर बना दिया अपराधी

मुंबई के घाटकोपर रेलवे स्टेशन के पुल पर वर्ष 2009 में एक लड़की के साथ रेप हुआ था। बलात्कारी का नाम गोपी बताया गया था। रेलवे पुलिस ने गोपाल को गोपी समझकर आरोपी बना दिया। गोपाल ने बताया कि वो गोपी नहीं गोपाल रामदास शेट्टे है और मुंबई में काम करने के लिए आया है, लेकिन नुलिस ने उसकी एक ना सुनी। 4 दिन लॉकअप में रखने के बाद उसे आरोपी बना दिया गया। जब लड़की को पहचान के लिए बुलाया गया तो वो उसे पहचान नहीं पाई , लेकिन पुलिस ने उंगली से इशारा कराकर शिनाख्त करा दी।


सीसीटीवी से सामने आया मामला

पुलिस ने जिस सीसीटीवी में गोपाल को देखे जाने का दावा किया उसे सबूत ही नहीं बनाया गया। गोपाल ने जब आरटीआइ के जरिए सीसीटीवी की फुटेज मांगी तो पुलिस ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज डिलीट हो गए हैं। जब गोपाल ने सीसीटीवी के लिए अदालत में अपील की तो आरपीएफ को सीसीटीवी फुटेज देने पड़े। ये फुटेज वारदात के थे ही नहीं। इस आधार पर गोपाल बरी हो गया।

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