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और बढेंगी चिदंबरम की मुश्किलें, खुल सकते हैं सात नए मामले

ईडी ने एफआइपीबी क्लीयरेंस में गड़बड़ी के आठ मामलों की जांच सीबीआइ को सौंपी थी, जिनमें अभी केवल एक मामले में ही एफआइआर दर्ज हुई है।

By Manish NegiEdited By: Published: Mon, 05 Mar 2018 07:51 PM (IST)Updated: Mon, 05 Mar 2018 07:51 PM (IST)
और बढेंगी चिदंबरम की मुश्किलें, खुल सकते हैं सात नए मामले
और बढेंगी चिदंबरम की मुश्किलें, खुल सकते हैं सात नए मामले

नीलू रंजन, नई दिल्ली। पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम की मुश्किलें अभी और बढ़ने वाली है। आइएनएक्स मीडिया की तरह सात अन्य मामलों में एफआइपीबी क्लीयरेंस को लेकर उनके खिलाफ जांच सीबीआइ में विचाराधीन है। ईडी ने एफआइपीबी क्लीयरेंस में गड़बड़ी के आठ मामलों की जांच सीबीआइ को सौंपी थी, जिनमें अभी केवल एक मामले में ही एफआइआर दर्ज हुई है।

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दरअसल, एफआइपीबी क्लीयरेंस में घोटाले का खुलासा एयरसेल-मैक्सिस डील की जांच के दौरान हुआ था। एफआइपीबी नियम के तहत वित्तमंत्री केवल 600 करोड़ रुपये तक विदेशी निवेश को मंजूरी दे सकते थे, इससे अधिक के क्लीयरेंस के लिए आर्थिक मामलों का मंत्रिमंडलीय समिति की मंजूरी जरूरी है। लेकिन वित्तमंत्री रहते हुए पी चिदंबरम ने एयरसेल में मैक्सिस ग्रुप को 3500 करोड़ रुपये के विदेश निवेश को मंजूरी दे दी। इसके बाद एफआइपीबी क्लीयरेंस की सभी फाइलों की पड़ताल शुरू हुई, तो एक-के-बाद एक घोटाले के सूत्र उजागर होने लगे।

दरअसल, पी चिदंबरम यूपीए सरकार में मई 2004 से 2009 और अगस्त 2012 से मई 2014 के बीच दो बार वित्तमंत्री थे। बीच में उन्हें मुंबई हमले के बाद गृहमंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार ईडी ने पी चिदंबरम के वित्तमंत्री रहते हुए दिये गए कुल 2721 एफआइपीबी क्लीयरेंस की पड़ताल की थी। इनमें 54 मामले संदेहास्पद पाए थे। ईडी ने इन सभी मामले की फाइल एफआइपीबी से तलब की और उनकी गहन पड़ताल की। यही नहीं, एफआइपीबी के तत्कालीन अधिकारियों को भी तलब कर पूछताछ की गई। अंत में कुल आठ ऐसे मामले मिले जिनमें सीधे तौर पर गड़बड़ी के सबूत मिले थे।

ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा जिन आठ मामले को सीबीआइ के पास जांच शुरू करने के लिए भेजा गया है, उन सभी मामलों में एफआइपीबी क्लीयरेंस पाने वाली कंपनियों की ओर से कार्ति चिदंबरम और उनकी सहयोगी की कंपनियों में निवेश किया गया था। साथ ही इन सभी मामलों में एफआइपीबी के नियमों की अनदेखी कर क्लीयरेंस दिये गए थे। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कायदे से इन सभी मामलों की जांच होनी चाहिए। ईडी द्वारा खुद जांच शुरू नहीं करने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ईडी अपने-आप मनी लांड्रिंग की जांच शुरू नहीं कर सकती है। इसके लिए पहले भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराओं के तहत केस दर्ज होना जरूरी है। इसी कारण ईडी ने इन सभी मामलों को सीबीआइ को भेज दिया था। उन्होंने कहा कि आइएनएक्स मीडिया के मामले में सीबीआइ की एफआइआर के बाद ईडी ने अलग से मनी लांड्रिंग का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।


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