आलोक वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से राहत, इन 7 केसों को लेकर है विवाद
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिए अपने बड़े फैसले में सीबीआइ निदेशक आलोक कुमार वर्मा को उनके अधिकारों से वंचित कर छुट्टी पर भेजने के केंद्र सरकार के फैसले को रद्द कर दिया है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआइ समय-समय पर विवादों के घेरे में आती रही है। यह भी कहा जा सकता है कि जब-जब सीबीआइ पर राजनीतिक दबाव पड़ा, तब-तब उसकी कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगे। 1984 में सीबीआइ ने जब जगदीश टाइटलर को बेदाग करार दिया, तब उस समय बहुत से लोगों ने उस पर अंगुली उठाई। बाद में मुलायम सिंह और मायावती के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति के मामलों में भी सीबीआइ ने लीपापोती की। फलस्वरूप ये दोनों नेता कानून की पकड़ से बच गए थे। बोफोर्स तोप की खरीद में भी सीबीआइ की निष्पक्षता पर सवाल उठे। दरअसल, जो भी पार्टी सत्ता में रही उसने सीबीआइ का दुरुपयोग किया, ऐसा कहा जाता रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिए अपने बड़े फैसले में सीबीआइ निदेशक आलोक कुमार वर्मा को उनके अधिकारों से वंचित कर छुट्टी पर भेजने के केंद्र सरकार के फैसले को रद कर दिया है। हालांकि वर्मा कोई नीतिगत फैसला नहीं ले पाएंगे। वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी जंग सार्वजनिक होने के बाद सरकार ने पिछले साल 23 अक्टूबर को दोनों अधिकारियों को उनके अधिकारों से वंचित कर अवकाश पर भेज दिया था। दोनों अधिकारियों ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इसके साथ ही केंद्र ने ब्यूरो के संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को जांच एजेंसी के निदेशक का अस्थायी कार्यभार सौंप दिया था। आइए, जानते हैं उन सात फाइलों के बारे में, जो उनके कक्ष में मिली या जिस पर आलोक वर्मा की हरी झंडी का इंतजार था।
1- राफेल सौदे की फाइल
राफेल सौदे की शिकायत वाली फाइल भी आलोक वर्मा की टेबल पर है। राफेल सौदे को लेकर इन दिनों सियासत तेज है। इस सौदे को लेकर कांग्रेस मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है। बता दें कि आलोक वर्मा को चार अक्टूबर को भाजपा नेता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने 132 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी।
2- मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया केस
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में भ्रष्टाचार का मामला भी आलोक वर्मा देख रहे हैं। इसकी फाइल भी इनके कमरे में है। इस मामले में कई उच्च स्तरीय लोग जुड़े हैं। इस भ्रष्टाचार में इन लोगों की भूमिका की जांच चल रही थी। इसमें उड़ीसा हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आईएम कुद्दुसी का भी नाम शामिल है। कुद्दुसी के खिलाफ चार्जशीट तैयारी कर ली गई थी और उन पर अलोक वर्मा के दस्तख़त होने बाकी थे।
3- न्यायाधीश एसएन शुक्ला केस
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एसएन शुक्ला का नाम भी इस मामले में सामने आया था। उन्हें मेडिकल सीटों पर ऐडमिशन में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते छुट्टी पर भेज दिया गया था। इस मामले में प्राथमिक जांच पूरी कर ली गई थी और सिर्फ़ आलोक वर्मा के हस्ताक्षर की ज़रूरत थी।
4- वित्त एवं राजस्व सचिव हंसमुख अधिया
एक और मामले में भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के सीबीआई को सौंपे वो दस्तावेज़ शामिल हैं जिनमें उन्होंने वित्त एवं राजस्व सचिव हंसमुख अधिया के ख़िलाफ़ शिकायत की है।
5- कोयले की खदानों का आवंटन मामला
कोयले की खदानों के आवंटन मामले में प्रधानमंत्री के सचिव आईएएस अधिकारी भास्कर खुलबे की संदिग्ध भूमिका की सीबीआई जांच की जा रही थी। यह फाइल भी अालोक वर्मा के दफ्तर में है।
6- नौकरी में रिश्वत का मामला
नौकरी के लिए नेताओं और अधिकारियों को रिश्वत देने के संदेह में दिल्ली आधारित एक बिचौलिए के घर पर छापा मारा गया था। इस मामले की भी जांच चल रही है।
7- संदेसरा और स्टर्लिंग बायोटेक मामला
इसके अलावा संदेसरा और स्टर्लिंग बायोटेक के मामले की जांच पूरी होनी वाली थी। इसमें सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की कथित भूमिका की जांच की जा रही थी। करीब एक साल से सीबीआइ निदेशक और विशेष निदेशक के बीच विवाद चल रहा है। ऐसे में यह फाइल उपयोगी है।