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वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह का निधन

केदारनाथ सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया में हुआ था। हाई स्कूल से लेकर एमए तक की शिक्षा बनारस में हुई। 1964 में उन्होंने 'आधुनिक हिंदी कविता में बिंब विधान' विषय पर पीएचडी की।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Mon, 19 Mar 2018 11:32 PM (IST)Updated: Mon, 19 Mar 2018 11:32 PM (IST)
वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह का निधन
वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह का निधन

जेएनएन, नई दिल्ली: हिंदी के वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह का सोमवार को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे। पहले कोलकाता और फिर दिल्ली में उनका इलाज चल रहा था। वह करीब डेढ़ महीने पहले कोलकाता में निमोनिया के शिकार हुए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। तबीयत में सुधार नहीं होने की वजह से उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती करवाया गया, जहां उनकी सेहत में सुधार हुआ। वह घर लौट गए। तबीयत फिर नासाज होने पर उन्हें मूलचंद अस्पताल और फिर एम्स में भर्ती करवाया गया था, जहां रात करीब पौने नौ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। केदारनाथ सिंह के निधन पर साहित्य जगत में शोक की लहर है। केदारनाथ सिंह की कविता 'बाघ' काफी चर्चित रही थी।

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1960 में पहला कविता संग्रह प्रकाशित :

केदारनाथ सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया में हुआ था। हाई स्कूल से लेकर एमए तक की शिक्षा बनारस में हुई। 1964 में उन्होंने 'आधुनिक हिंदी कविता में बिंब विधान' विषय पर पीएचडी की। 1959 में अज्ञेय द्वारा संपादित 'तीसरा सप्तक' के सहयोगी कवि के रूप में उनकी कविताएं शामिल की गई थीं। उनका पहला कविता संग्रह 'अभी बिल्कुल अभी' 1960 में प्रकाशित हुआ था। केदारनाथ सिंह ने अध्यापक के रूप में करियर की शुरुआत उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी से की थी। उन्होंने सेंट एंड्रयूज कॉलेज, गोरखपुर और उदित नारायण कॉलेज, पडरौना में भी अध्यापन किया। 1976 से 1999 तक दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विवि के भारतीय भाषा केंद्र में अध्यापन किया।

1989 में साहित्य अकादमी पुरस्कार : 1989 में उनकी कृति 'अकाल मे सारस' को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। उन्हें मध्य प्रदेश का मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, केरल का कुमारन अशान सम्मान, बिहार का दिनकर सम्मान और उत्तर प्रदेश का भारत भारती सम्मान भी मिला था। केदारनाथ सिंह को प्रतिष्ठित व्यास सम्मान और 2013 में ज्ञानपीठ सम्मान से सम्मानित किया गया था। उन्हें साहित्य अकादमी ने अपना महत्तर सदस्य बनाकर सम्मानित किया था।

उनकी कविताओं का अंग्रेजी, हंगेरियन, रूसी, इतावली समेत दुनिया की कई अन्य भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। उनकी प्रमुख काव्य कृतियां, 'जमीन पक रही है', 'यहां से देखो', 'अकाल में सारस', 'उत्तर कबीर' और अन्य कविताएं, 'टालस्टॉय और साइकिल', 'बाघ' हैं। उनकी प्रमुख गद्य कृतियां हैं- 'कल्पना और छायावाद', 'आधुनिक हिंदी कविता में बिंब विधान', 'मेरे समय के शब्द'।


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