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इस अनोखे छाते का नाम ड्रोनब्रेला है। जापान की असाही पावर सर्विसेज नामक कंपनी द्वारा तैयार किए गए इस छाते को एक एप से नियंत्रित किया जा सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 30 May 2019 10:08 AM (IST)Updated: Thu, 30 May 2019 02:58 PM (IST)
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नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। देश-दुनिया में हो रहे इनोवेशन और भारतीय जुगाड़ से जुड़े मामलों को ट्वीट करके महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा न केवल हमेशा सुर्खियों में रहे हैं बल्कि उस प्रयास की हौसला अफजाई के लिए वित्तीय मदद को भी सामने आए हैं। अब उन्होंने एक ऐसे छाते को लेकर ट्वीट किया है जिसे पकड़ने की जरूरत नहीं होगी। उन्होंने लिखा है, ‘हम लोग भले ही अपने आप चलने वाली (चालकरहित) कारों और वाहनों पर ध्यान केंद्रित कर रखे हों लेकिन मानसून आ रहा है और मैं खुद ब खुद चलने वाले छाते के भविष्य को लेकर ज्यादा उत्साहित हूं।’ सोचिए बारिश हो रही है। आपके ऊपर छाता तना हुआ चल रहा है। आपके दोनों हाथ आजाद हैं। फोन पर बात करो। बाइक चलाओ या जो मर्जी वो करो। आइए जानते हैं इन अनोखे आविष्कार के बारे में।

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ये है पूरी कहानी
अपने ट्वीट में आनंद महिंद्रा ने एक वीडियो भी पोस्ट किया है जिसमें प्रसिद्ध जादूगर माउला फ्रांस की गलियों में घूम रहे हैं। एक छाता उनके ऊपर बारिश की बूदों से उन्हें बचाता चला जा रहा है। माउला के दोनों हाथ खाली है लिहाजा वे फ्रांस के ऐतिहासिक स्थलों की तस्वीरें खींच रहे हैं। खाना खा रहे हैं। साइकिल चला रहे हैं और इस सबके दौरान छाता अपना काम बखूबी करता जा रहा है। दरअसल इस छाते में उन्होंने कोई जादू नहीं किया है। ये ड्रोनब्रेला है।

अनोखा है छाता
इसका नाम ड्रोनब्रेला है। जापान की असाही पावर सर्विसेज नामक कंपनी द्वारा तैयार किए गए इस छाते को एक एप से नियंत्रित किया जा सकता है। करीब डेढ़ मीटर चौड़े इस छाते के प्रोटोटाइप का वजन पांच किग्रा है। इसमें लगा कैमरा और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यूजर्स को ट्रैक और फॉलो करने में मदद करता है। इसे कई मोड्स में चलाया जा सकता है जिनमें मैनुअल, फॉलो मी, ऑटोमेटिक, स्टेशनरी शामिल हैं। इसके अलावा भी इसमें अनेक फंक्शन दिए गए हैं।

सुधार जारी
इसके प्रोटोटाइप में सुधार किए जा रहे हैं। जैसे एक बार चार्जिंग के बाद ज्यादा समय तक उड़ाने के लिए इसका वजन कम करना होगा। 2020 के टोक्यो ओलंपिक तक इसके अपग्रेड वर्जन को बाजार में उतारने का लक्ष्य है।

जूतों के 'डॉक्‍टर' की मदद को आगे आए थे आनंद महिंद्रा
इससे पहले भी महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा उस वक्‍त सुर्खियों में आए थे जब उन्‍होंने नरसीराम की तस्वीर वॉट्सऐप के जरिये मिलने पर हैरान रह गए थे। इसके बाद उन्‍होंने अपनी एक टीम यह खोजने में लगाई कि आखिर नरसीराम का पता-ठिकाना कहा है। जल्‍द ही नरसीराम का ठिकाना मिल गया। लेकिन महिंद्रा ग्रुप की टीम ने नरसी को फूल और मोमेंटो भिजवाया है। उन्हें महिंद्रा कंपनी के ट्रैक्टर पर बैठा कर सारे शहर में भी घुमाया गया।

आनंद महिंद्रा ने बताया, 'हमारी टीम हरियाणा में जाकर नरसीराम से मिली और पूछा कि उनको क्‍या मदद चाहिए। वह बेहद साधारण और सभ्‍य इंसान हैं। पैसे मांगने की बजाए, उन्‍होंने कहा कि वह काम करने के लिए अच्‍छी जगह चाहते हैं। उनकी इस बात ने भी मुझे बहुत प्रभावित किया। मैंने मुंबई की हमारी डिजाइन स्‍टूडियो टीम से कहा कि नरसीराम के लिए एक छोटी-सी दुकान बनाएं। हमारी डिजाइनिंग टीम ने उनसे संपर्क किया और उनके जरूरतों को ध्‍यान में रखकर काम किया।

वैसे तो टैलेंट को दबाया नहीं जा सकता, लेकिन सोशल मीडिया इन दिनों प्रतिभाशाली लोगों को एक मंच प्रदान कर रहा है। यहां चंद मिनट में किसी शख्‍स का टैलेंट करोड़ों लोगों तक पहुंच जाता है। नरसीराम के साथ भी ऐसा ही हुआ, जिनकी एक फोटों ने उन्‍हें इतना मशहूर कर दिया कि महिंद्रा ग्रुप के चैयरमैन आनंद महिंद्रा भी उनके मुरीद हो गए।

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