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जेहादी बनने के लिए घर से भागे पांच किशोरों को सुरक्षा बलों ने पकड़ा

जेहादी बनने के लिए घर से भागे पांच किशोरों को स़ुरक्षाबलों ने समय रहते उत्तरी कश्मीर में एलओसी से सटे उड़ी सेक्टर में पकड़ लिया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 23 Dec 2019 12:04 AM (IST)Updated: Mon, 23 Dec 2019 12:04 AM (IST)
जेहादी बनने के लिए घर से भागे पांच किशोरों को सुरक्षा बलों ने पकड़ा
जेहादी बनने के लिए घर से भागे पांच किशोरों को सुरक्षा बलों ने पकड़ा

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। जेहादी बनने के लिए घर से भागे पांच किशोरों को स़ुरक्षाबलों ने समय रहते उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सटे उड़ी सेक्टर में पकड़ लिया। इन्हें उनके परिजनों को सौंपा जाएगा।

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पांचों पुलवामा और शोपियां जिले के रहने वाले

जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू करने के बाद यह पहला मौका है जब जेहादी बनने के लिए गुलाम कश्मीर की तरफ जा रहे पांच किशोर एलओसी के पास पकड़े गए हैं। सूत्रों ने बताया कि ये पांचों पुलवामा व शोपियां जिले के रहने वाले हैं। इनकी आयु 14-15 साल है।

उड़ी कस्‍बे के एक होटल में थे

ये उड़ी सेक्टर के रास्ते गुलाम कश्मीर जा रहे थे और एलओसी से सटी सेना की एक चौकी तक पहुंच गए थे। इनके पास से सिर्फ कपड़े और खाने का कुछ सामान मिला है। पुलिस से जुड़े लोगों के मुताबिक, यह पांचों उड़ी कस्बे में एक होटल में थे।

पांचों की हो रही काउंसलिंग

पूछताछ में इन्होंने बताया कि उन्हें कहा गया था कि सड़क के रास्ते उड़ी चले जाएं। वहां एक पुल और एक दरिया है। अगर पुल से मौका नहीं मिला तो दरिया के रास्ते सीमा पार चले जाएं। उन्हें कोई नहीं रोकेगा। फिलहाल, इन पांचों को काउंसलिंग की जा रही थी।

ऑपरेशन मां: घर लौटे घाटी के 50 युवा

पिछले महीने सेना की चिनार कोर ने ऑपरेशन मां शुरू किया था। इस ऑपरेशन में चिनार कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग केजेएस ढिल्लो के निर्देश पर घरों से गायब हो चुके युवाओं का पता लगाना और उनके परिजनों से संपर्क कर उन्हें वापस घर लाना। पुलवामा हमले के बाद सेना ने घाटी में सभी माताओं से अपने बच्चों को वापस लौटने के लिए अपील करने को कहा था।

सेना ने कहा था कि मां एक बड़ी भूमिका में होती है और वे अपने बच्चों को वापस बुला सकती है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे मारे जाएंगे। इस साल करीब 50 ऐसे युवा आतंकी संगठनों को छोड़कर वापस लौटे हैं। कई आतंकी आत्मसमर्पण करने के बाद पढ़ रहे हैं। कुछ अपने पिता का हाथ बंटा रहे हैं तो कुछ खेतों में काम कर रहे हैं। पाकिस्तान का प्रयास रहता है कि ऐसे युवाओं को निशाने बनाए। ऐसे में इनकी पहचान छुपाई जाती है।


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