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चंद्रमा की दूसरी कक्षा में दाखिल हुआ Chandrayaan-2, लैंडिंग को लेकर और बढ़ी चुनौतियां

Chandrayaan2 ने बुधवार को चंद्रमा की दूसरी कक्षा में भी सफलतापूर्वक प्रवेश कर लिया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ट्वीट करके यह जानकारी दी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 21 Aug 2019 04:07 PM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 04:44 PM (IST)
चंद्रमा की दूसरी कक्षा में दाखिल हुआ Chandrayaan-2, लैंडिंग को लेकर और बढ़ी चुनौतियां
चंद्रमा की दूसरी कक्षा में दाखिल हुआ Chandrayaan-2, लैंडिंग को लेकर और बढ़ी चुनौतियां

नई दिल्ली, एजेंसी। चंद्रयान-2 ने बुधवार को चंद्रमा की दूसरी कक्षा में भी सफलतापूर्वक प्रवेश कर लिया। चंद्रयान ने दोपहर 12.50 बजे चांद की दूसरी कक्षा में प्रवेश की प्रक्रिया शुरू की जो कुल 1228 सेकंड में पूरी हो गई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इसकी ट्वीट करके बताया कि पूर्व निर्धारित प्रक्रिया के तहत चंद्रयान-2 को चांद की दूसरी कक्षा में प्रवेश करा दिया गया है।

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बता दें कि चंद्रमा पर उतरने के लिए सधे कदमों से आगे बढ़ रहे चंद्रयान-2 ने कल मंगलवार को महत्वपूर्ण पड़ाव पार करते हुए सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया। इसरो के मुताबिक, ‘यह प्रक्रिया 1,738 सेकेंड की थी।  इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा, ‘करीब 30 मिनट तक ऐसा लगा, मानो हम सबकी धड़कनें थम गई हों। सात सितंबर को यान की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की प्रक्रिया तनाव भरी होगी। अभी तनाव कम नहीं हुआ है, उल्टा बढ़ गया है। हालांकि, चंद्रयान-2 की सफल लैंडिंग के लिए वह आश्वस्त हैं।’ 

अब यान को चांद की निकटतम कक्षा तक पहुंचाने के लिए इसके पथ में चार बदलाव और किए जाएंगे। निकटतम कक्षा चांद की सतह से करीब 100 किलोमीटर पर होगी। निकटतम कक्षा में पहुंचने के बाद यान से लैंडर ‘विक्रम’ अलग होकर चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए बढ़ेगा। सात सितंबर को चंद्रयान-2 को चंद्रमा पर उतरना है। यदि यह यान चंद्रमा पर उतरने में सफल रहता है तो अमेरिका, रूस व चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा।

22 जुलाई को प्रक्षेपित किया गया चंद्रयान-2 अब तक अपनी कक्षा में सात बदलाव से गुजर चुका है। छठा बदलाव 14 अगस्त को किया गया था। इस बदलाव के जरिये यान को लुनार ट्रांसफर ट्रेजेक्टरी (एलटीटी) पर पहुंचा दिया गया था। एलटीटी पर बढ़ते हुए ही यान ने चांद की कक्षा में प्रवेश किया है। यान को चांद की कक्षा में पहुंचाने के लिए एक बार फिर लिक्विड इंजन चलाया गया था।


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