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वैज्ञानिक ने किया आगाह, कोरोना में हो रहे बदलावों को देखते हुए तैयार करनी होगी वैक्‍सीन

वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना के नए स्वरूप और इसमें हो रहे बदलावों को देखते हुए दूरगामी कदम उठाने की जरूरत है। वैक्‍सीन के नए संस्‍करण को वायरस में आ रहे बदलावों को देखते हुए तैयार करना होगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 28 Jan 2021 04:04 PM (IST)Updated: Thu, 28 Jan 2021 04:12 PM (IST)
वैज्ञानिक ने किया आगाह, कोरोना में हो रहे बदलावों को देखते हुए तैयार करनी होगी वैक्‍सीन
वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना में हो रहे बदलावों को देखते हुए दूरगामी कदम उठाने की जरूरत है।

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना के नए स्वरूप और इसमें हो रहे बदलावों को देखते हुए दूरगामी कदम उठाने की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि वैक्‍सीन का शुरुआती संस्करण भले ही हमारे बीच आ गया है लेकिन वायरस के स्वरूप में बदलाव को देखते हुए भविष्य के लिहाज से भी टीके तैयार करने का काम जारी रखना होगा। राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (एनआईआई) के वैज्ञानिक ने यहां कहा कि मौजूदा टीकाकरण अभियान से संक्रमण फैलने की रफ्तार कम जरूर हो जाएगी लेकिन वायरस में आ रहे बदलावों को देखते हुए वैक्‍सीन के नए संस्‍करण तैयार करने होंगे।  

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वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस में टीका के खिलाफ प्रतिरोधक भी तैयार हो सकता है। ऐसे में वायरस की नई स्‍ट्रेन को ध्यान में रखकर वैक्‍सीन के नए संस्‍करण तैयार करने होंगे। वायरस में हो रहे बदलाव को देखते हुए आशंका है कि ये इंसान को आसानी से संक्रमित कर सकते हैं। सनद रहे वैज्ञानिकों के एक हालिया अध्ययन में कहा गया कि कोविड-19 से बचाव के लिए एमआरएनए आधारित टीकों को समय-समय पर उन्नत बनाना होगा ताकि ये वैक्‍सीन संक्रमण से रोकथाम करने में कारगर हों। इस अध्‍ययन के वैज्ञानिकों की टीम में अमेरिका के रॉकफेलर विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ भी शामिल थे। 

पुणे में भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान से जुड़ीं प्रतिरक्षा विज्ञानी विनीता बल का कहना है कि कोरोना में जो बदलाव हो रहे हैं उसकी वजह से आने वाले दिनों में मौजूदा टीकों का असर कम होता जाएगा। वहीं माउंट सिनाई अमेरिका में इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन में माइक्रोबॉयोलॉजी के प्रोफेसर फ्लोरियन क्रैमर का कहना है कि ब्रिटेन में पाई गई कोरोना की नई स्‍ट्रेन वैक्‍सीन से शरीर में तैयार होने वाली प्रतिरक्षा पर संभवत: असर नहीं डाले लेकिन एमआरएनए आधारित टीकों में बदलाव करना आसान होगा। नई स्‍ट्रेन से बचाव के लिए प्रोटीन आधारित टीकों में भी बदलाव किया जा सकता है। 


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