विशेष भूगर्भीय संरचना की विस्तृत मैपिंग की तैयारी में है वैज्ञानिक
कोलकाता। पिछले साल उत्तराखंड में बाढ़ और भूकंप से जुड़ी प्राकृतिक आपदा की भयावह यादें आज भी लोगों के दिलों में ताजा है। आपदा में जानमाल के भारी नुकसान के साथ ही देश की आपदा प्रबंधन रणनीति और वैज्ञानिक भूगर्भीय विशेषज्ञ जानकारियों की कमी पर सरकार की काफी आलोचना हुई। अब इन जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होने पर इस
कोलकाता। पिछले साल उत्तराखंड में बाढ़ और भूकंप से जुड़ी प्राकृतिक आपदा की भयावह यादें आज भी लोगों के दिलों में ताजा है। आपदा में जानमाल के भारी नुकसान के साथ ही देश की आपदा प्रबंधन रणनीति और वैज्ञानिक भूगर्भीय विशेषज्ञ जानकारियों की कमी पर सरकार की काफी आलोचना हुई।
अब इन जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होने पर इसके कारगर मुकाबले और बेहतर प्रबंधन के लिए भारतीय वैज्ञानिक उपग्रह और कम्प्यूटर आधारित तकनीकी का प्रयोग करते हुए भारतीय भूगर्भीय और समुद्रतल की संरचना का आकलन कर रहे हैं। कोलकाता के विख्यात यादवपुर विवि के स्कूल आफ ओसेनोग्राफी की ओर से यह कार्य शुरू किया जा रहा है।
स्कूल द्वारा भूगर्भीय सूचनाओं के लिए रिमोट सेंसिंग और जीआईएस तकनीक का शोध में विशेष प्रयोग किया जा रहा है। स्कूल ने बिहार के लिए एक ऐसे मैप का निर्माण शुरू किया है जो उसकी विस्तारित भूगर्भीय संरचना की जानकारी देगा। स्कूल आफ ओशेनोग्राफी के संयुक्त निदेशक डा. तुहिन घोष ने बताया कि सबसे पहले बिहार की भूगर्भीय संरचना पर अध्ययन शुरू है।
इसके तहत विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के लिए अलग अलग अध्ययन होंगे। मैपिंग के जरिए मिली महत्वपूर्ण सूचनाओं को मौसम विभाग सहित कई एजेंसियों से भी साझा किया जा सकता है।
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