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स्कूली बच्चे होंगे तनावमुक्त- भारतीय बच्चों को तनाव से बचाने की मुहिम में उतरा यूनेस्को

इस पूरे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे यूनेस्को एमजीआईईपी के अधिकारियों के मुताबिक फिलहाल इसे लेकर वह दो साल तक अध्ययन करेंगे।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 29 Nov 2018 09:03 PM (IST)Updated: Fri, 30 Nov 2018 12:14 AM (IST)
स्कूली बच्चे होंगे तनावमुक्त- भारतीय बच्चों को तनाव से बचाने की मुहिम में उतरा यूनेस्को
स्कूली बच्चे होंगे तनावमुक्त- भारतीय बच्चों को तनाव से बचाने की मुहिम में उतरा यूनेस्को

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बच्चों में पढ़ाई के दौरान बढ़ने वाला तनाव फिलहाल वैश्विक रूप ले चुका है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। सरकार से लेकर सभी स्तर पर इसको लेकर चिंताएं और कोशिशें जारी है, बावजूद इसके अब तक कोई भी इसकी मूल वजहों और समाधान तक नहीं पहुंच सका है। यूनेस्को अब इन्हीं कारणों को जानने-समझने और उनका समाधान भी देने की कोशिशों में जुटा है। इसके लिए उसने नवोदय विद्यालय के साथ मिलकर देश भर में काम शुरू किया है। फिलहाल इसके लिए 64 नवोदय विद्यालयों को चुना गया है।

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नवोदय विद्यालय के साथ मिलकर शुरू किया अध्ययन, सरकार को देगा इसकी रिपोर्ट

बच्चों में यह तनाव परीक्षा के दौरान काफी बढ़ जाता है। यही वजह है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसे लेकर आगे आ चुके है। बच्चों के साथ इसे लेकर परीक्षा पर चर्चा नाम से संवाद भी कर चुके है। जिसमें बच्चों को तनाव से निजात पाने के लिए कुछ टिप्स दी थी। इनमें सबसे अहम परीक्षा को त्यौहार जैसा मनाने का अहम सुझाव भी था।

तनाव के साथ बच्चों में सीखने की क्षमता को बढ़ाने के तरीकों पर भी करेगा काम

खासबात यह है कि यूनेस्को एमजीआईईपी (महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन फार पीस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट) ने भी अपने अध्ययन में ऐसे छात्रों पर फोकस किया है, जो सातवीं या उससे बड़ी कक्षाओं में पढ़ रहे है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इनमें बढ़ने वाले बच्चे बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होंगे।

फिलहाल यूनेस्को एमजीआईईपी और नवोदय विद्यालय के साथ मिलकर शुरु की गई इस मुहिम में इलेक्ट्रॉनिक कंज्यूमर प्रोडक्टस बनाने वाली कंपनी सैमसंग तकनीक मदद उपलब्ध करा रही है। इस रिसर्च को माइड्रीम प्रोजेक्ट का नाम दिया गया है। सैमसंग सभी 64 जवाहर नवोदय विद्यालयों में स्मार्ट क्लास का संचालन कर रहा है।

इस पूरे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे यूनेस्को एमजीआईईपी के अधिकारियों के मुताबिक फिलहाल इसे लेकर वह दो साल तक अध्ययन करेंगे। इसके बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को देंगे।

गौरतलब है कि यूनेस्को एमजीआईईपी का गठन यूनेस्को ने भारत की मदद से किया है, जो शिक्षा के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों पर लगातार काम करती है।


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