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शीर्ष अदालत पहुंचा अलवर लिंचिंग का केस, 20 अगस्त को होगी सुनवाई

आरोप है कि पुलिस ने रकबर को अस्पताल पहुंचाने की जगह बरामद गायों को पहले गौशाला पहुंचाने को तरजीह दी।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 23 Jul 2018 12:21 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 02:26 PM (IST)
शीर्ष अदालत पहुंचा अलवर लिंचिंग का केस, 20 अगस्त को होगी सुनवाई
शीर्ष अदालत पहुंचा अलवर लिंचिंग का केस, 20 अगस्त को होगी सुनवाई
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बता दें कि हाल ही में लिंचिंग मामले में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने साफ कहा था कि कोई भी शख्स कानून को किसी भी तरह से हाथ में नहीं ले सकता। कानून व्यवस्था को बहाल रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और प्रत्येक राज्य सरकार को ये जिम्मेदारी निभानी होगी। गोरक्षा के नाम पर भीड़ हिंसा गंभीर अपराध है।

सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पीएस नरसिम्हा ने कहा था कि केंद्र सरकार इस मामले में सजग और सतर्क है, लेकिन मुख्य समस्या कानून व्यवस्था की है। कानून व्यवस्था पर नियंत्रण रखना राज्यों की जिम्मेदारी है। केंद्र इसमें तब तक दखल नहीं दे सकता जब तक कि राज्य खुद गुहार ना लगाएं।  

सुनवाई के दौरान एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से इंदिरा जय सिंह ने दलील दी कि मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा हिंसा) के पीड़ितों को मुआवजे के लिए धर्म व जाति आदि को ध्यान में रखा जाए। इसके लिए अनुच्छेद-15 का भी हवाला दिया गया था। इस पर कोर्ट ने कहा कि पीड़ित सिर्फ पीड़ित होता है और उसे अलग-अलग कैटेगरी में नहीं रखा जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत की गाइडलाइंस

- कोई भी अपने आप में कानून नहीं हो सकता है। देश में भीड़तंत्र की इजाजत नहीं दी जा सकती है।

- राज्य सरकारे संविधान के मुताबिक काम करें। साथ ही राज्य सरकारों को लिंचिंग रोकने से संबंधित गाइडलाइंस को चार हफ्ते में लागू करने का आदेश दिया है।

- इसे रोकने के लिए विधायिका कानून बनाए। ये राज्य सरकारों का दायित्व है कि वह इस तरह से हो रही भीड़ की हिंसा को रोकें।

- ये सिर्फ कानून व्यवस्था का सवाल नहीं है, बल्कि गोरक्षा के नाम पर भीड़ की हिंसा क्राइम है। अदालत इस बात को स्वीकार नहीं कर सकती कि कोई भी कानून को अपने हाथ में ले।

क्या है अलवर मामला

बता दें कि राजस्थान के अलवर जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र के लालवंडी गांव में गो तस्करी के आरोप में कुछ कथित गोरक्षकों ने रकबर खान नामक एक शख्स को पीट-पीटकर मार डाला था। इसके अलावा मॉब लिंचिंग में रकबर खान की मौत के मामले में राज्य पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। आरोप है कि पुलिस ने रकबर को अस्पताल पहुंचाने की जगह बरामद गायों को पहले गौशाला पहुंचाने को तरजीह दी। इसकी वजह से रकबर को अस्पताल पहुंचाने में तीन घंटे की देरी हुई और उसकी मौत हो गई। गौरतलब है कि रामगढ़ थाना क्षेत्र के लालवंडी गांव में गो तस्करी के आरोप में कुछ कथित गोरक्षकों ने रकबर खान नामक एक शख्स को पीट-पीटकर मार डाला था।


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