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जानिए सुप्रीम कोर्ट ने नीट परीक्षार्थियों को ग्रेस मार्क्स देने पर क्यों जताई आपत्ति

सुप्रीम कोर्ट ने कहा तमिल में नीट परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को इस तरह से नहीं बांटे जा सकते हैं अंक।

By Brij Bihari ChoubeyEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 03:12 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 04:29 PM (IST)
जानिए सुप्रीम कोर्ट ने नीट परीक्षार्थियों को ग्रेस मार्क्स देने पर क्यों जताई आपत्ति
जानिए सुप्रीम कोर्ट ने नीट परीक्षार्थियों को ग्रेस मार्क्स देने पर क्यों जताई आपत्ति

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल एंट्रेंस कम एलिजिबिलिटी टेस्ट (नीट) स्टूडेंट्स को 196 ग्रेस मार्क्स देने के मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच के फैसले पर शुक्रवार को रोक लगा दी। हाईकोर्ट ने तमिल में परीक्षा देने वाले नीट स्टूडेंट्स को गलत अनुवाद के कारण यह ग्रेस मार्क्स देने का आदेश दिया था। जस्टिस एसए बोब्डे और जस्टिस एल नागेश्वर राव ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीएसई की याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। इस मामले में अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी। 

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इस तरह से नहीं बांटे जा सकते अंक

शीर्ष अदालत ने इस मामले के सभी पक्षों से कहा कि वे दो हफ्ते बाद इस मामले का समाधान लेकर उसके पास आएं क्योंकि नीट स्टूडेंट्स को इस तरह से नंबर नहीं बांटे जा सकते हैं। ऐसा लगता है कि जिन विद्यार्थियों ने तमिल भाषा में परीक्षा दी थी, उन्हें इन ग्रेस मार्क्स के कारण दूसरे विद्यार्थियों से बढ़त मिल जाएगी। बता दें कि मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने 10 जुलाई को 49 गलत सवालों के लिए चार-चार अंक देने का आदेश दिया था।

ग्यारह भाषाओं में 136 शहरों में हुई थी परीक्षा

सीबीएसई ने 6 मई को 11 भाषाओं में 136 केंद्रों पर नीट परीक्षा का आयोजन करवाया था। इसके नतीजे 4 जून को जारी किए गए थे। 


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