Minors Seeking Abortion: अब पुलिस को भी नहीं मिलेगी अबार्शन कराने वाली नाबालिग लड़कियों की जानकारी, डाक्टरों को SC का सख्त निर्देश
Minors Seeking Abortion अब तक दुष्कर्म पीड़िताओं के नामों को जाहिर नहीं किया जाता रहा है लेकिन अब अबार्शन कराने डाक्टर के पास पहुंचने वाली नाबालिगों की पहचान भी सार्वजनिक नहीं की जाएगी। ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। अब तक केवल दुष्कर्म मामलों में पीड़िता का नाम सार्वजनिक नहीं करने का आदेश था, अब अबार्शन कराने पहुंची नाबालिगों के नाम को भी सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। देश में कई ऐसी घटनाएं होती हैं जिसमें किसी कारण नाबालिग लड़कियां गर्भवती हो जाती हैं। ऐसे मामलों के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला लिया है। इसमें डाक्टरों को खास तौर पर निर्देश दिया गया है कि अबार्शन के लिए पहुंचने वाली नाबालिग लड़कियों के नाम का खुलासा स्थानीय पुलिस तक के समक्ष नहीं किया जाए।
नाबालिग लड़कियों को मिली राहत
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को MTP (Medical Termination of Pregnancy) अधिनियम के तहत आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाने वाली नाबालिग लड़कियों के नाम का खुलासा नहीं करने का आदेश दिया। इस बड़े फैसले में शीर्ष कोर्ट ने अविवाहित महिलाओं को भी शामिल किया जिन्हें 20-24 सप्ताह की अवधि में अबार्शन की अनुमति दी। कोर्ट ने कहा कि यह प्रविधान केवल विवाहित महिलाओं के लिए लागू करने पर अनुच्छेद 14 के तहत अविवाहितों के साथ भेदभाव का मसला होगा। साथ ही इसमें वैवाहिक दुष्कर्म वाले मामले में भी अबार्शन की छूट दी गई।
MTP एक्ट 2021
- 1971 से लागू MTP एक्ट में साल 2021 में संशोधन किया गया। इसके तहत समयसीमा बढ़ाकर 24 हफ्ते तक कर दी गई।
- खास मामलों में 24 हफ्ते तक है अबार्शन की मंजूरी
- 0 से 20 हफ्ते तक - न चाहते हुए कोई महिला गर्भवती हो जाए तो अबार्शन करा सकती है
- 20 से 24 हफ्ते तक दुष्कर्म या यौन उत्पीड़न के कारण गर्भवती होने पर 20 से 24 हफ्ते के बीच करा सकती है अबार्शन
- महिला विकलांग है तो भी अबार्शन की अनुमति
- यदि बच्चे को कोई हेल्थ रिस्क है या मां की जान को खतरा हो तो अबार्शन की मंजूरी
- 24 हफ्ते बाद अबार्शन - मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य पर जोखिम होने पर अबार्शन की इजाजत
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, एएस बोपन्ना और जेबी पारदीवाला ने कहा कि Rule 3B(b) का विस्तार 18 साल से कम उम्र की महिलाओं के लिए किया गया है। साथ ही कोर्ट ने सलाह दी है कि POCSO अधिनियम और MTP अधिनियम को विस्तार से पढ़ा जाए। सामान्य मामलों में 20 हफ्ते से अधिक और 24 हफ्ते से कम के गर्भ के लिए अबार्शन का अधिकार केवल विवाहित महिलाओं को था जो अब अविवाहितों व नाबालिगों के लिए भी हो गया है। कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली अविवाहित महिलाओं को बाहर करना असंवैधानिक बताया।
अविवाहितों के साथ भेदभाव नहीं
भारत में अबार्शन के लिए अधिनियम के तहत विवाहित और अविवाहित महिलाओं में भेदभाव नहीं किया गया है। वैवाहिक दुष्कर्म मामले में भी अबार्शन की अनुमति दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने विशेष तौर पर विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच अबार्शन का अधिकार एक समान कर दिया। कोर्ट ने MTP एक्ट से अविवाहित महिलाओं को लिव-इन रिलेशनशिप से बाहर करना असंवैधानिक बताया।
अविवाहित महिलाएं भी करा सकेंगीं 24 हफ्ते के अंदर अबार्शन, वैवाहिक दुष्कर्म भी होगा गर्भपात का आधार