सुप्रीम कोर्ट के सजीव प्रसारण की बंधी उम्मीद, कोर्ट ने कहा ये समय की जरूरत
लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही का जिस तरह सजीव प्रसारण होता है बिल्कुल उसी तरह अब कोर्ट की कार्यवाही का होगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का जल्दी ही सजीव प्रसारण शुरू हो सकता है। सोमवार को इस बाबत उम्मीद बंधती दिखी। कोर्ट ने सजीव प्रसारण को सैद्धांतिक मंजूरी देते हुए इसे वक्त की जरूरत बताया। कोर्ट ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से इस बारे में दिशानिर्देश और सुझाव मांगे हैं। मामले पर 23 जुलाई को फिर सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका लंबित है जिसमें कोर्ट की कार्यवाही के सजीव प्रसारण की मांग की गई है। सोमवार को मामले पर सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने मांग का समर्थन करते हुए कहा कि इससे मुकदमा लड़ने वालों को लाभ होगा। हालांकि उन्होंने कहा कि सभी मुकदमों का सजीव प्रसारण व्यवहारिक नहीं होगा। सजीव प्रसारण के तौर तरीके और दिशानिर्देश तय होने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सजीव प्रसारण की शुरूआत प्रयोग के तौर पर सुप्रीम कोर्ट के पहले और दूसरे कोर्ट की कार्यवाही के प्रसारण से हो सकती है। मामले की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, एएम खानविल्कर और डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कोर्ट कार्रवाई के प्रसारण से सहमति जताते हुए कहा कि ये समय की जरूरत है।
अटार्नी जनरल ने कहा कि निजता और सुरक्षा से जुड़े मामलों का सजीव प्रसारण नहीं होना चाहिए। पीठ ने सहमति जताते हुए कहा कि वैवाहिक विवाद, दुष्कर्म जैसे मामलों को सजीव प्रसारण से अलग रखा जाना चाहिए क्योंकि इनमें निजता का पहलू जुड़ा होता है। कोर्ट ने खुली अदालत में सुनवाई की अवधारणा पर चर्चा करते हुए कहा कि जब तक किसी मामले की इन कैमरा सुनवाई न हो रही हो, हमारे देश में खुली अदालत में सुनवाई की अवधारणा है। खुली अदालत में सुनवाई होने पर मुकदमा लड़ने वालों को पता रहता है कि उसके केस में अदालत में क्या हुआ। सजीव प्रसारण से मुकदमा लड़ने वाले लोग कोर्ट में नहीं होंगे उन्हें भी पता चल सकेगा कि अदालत में उनके केस में क्या हुआ। उनके वकील ने कैसे केस पेश किया। इस दौरान वकीलों के अनुशासन और व्यवहार का भी मुद्दा उठा।
मामले में एक याचिकाकर्ता वरिष्ठ वकील इंद्रा जयसिंह ने कहा कि सजीव प्रसारण का आफीशियल रिकार्ड रखा जाना चाहिए और कार्यवाही के प्रसारण का व्यवसायिक इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके जरिये किसी को पैसा बनाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए ये शैक्षणिक और मुकदमा लड़ने वालों के लाभ के उद्देश्य से होना चाहिए। सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल ने जब कहा कि राज्यसभा और लोकसभा के अपने चैनल हैं तो मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट को भी चैनल मुहैया करा सकती है जिससे लाइव प्रसारण हो।
इसके बाद कोर्ट ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा कि कोर्ट के सजीव प्रसारण के बावत सुझाव दें। कोर्ट ने सभी पक्षों से कहा कि वे अपने अपने सुझाव अटार्नी जनरल को दे दें ताकि वे एक समग्र सुझाव व दिशानिर्देश तैयार कर सकें। मामले पर 23 जुलाई को फिर सुनवाई होगी।