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सौम्या रेप केस: SC ने भेजा नोटिस, काटजू बोले- किसी से नहीं डरता

सौम्या दुष्कर्म और हत्या मामले के फैसले पर जस्टिस मार्कडेय काटजू के ब्लाग में की गई टिप्पणी को अवमानना मानते हुए सुप्रीमकोर्ट ने जस्टिस काटजू को नोटिस जारी किया है।

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 11 Nov 2016 04:53 PM (IST)Updated: Fri, 11 Nov 2016 09:06 PM (IST)
सौम्या रेप केस: SC ने भेजा नोटिस, काटजू बोले- किसी से नहीं डरता

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। न्यायपालिका के इतिहास में शुक्रवार का दिन अभूतपूर्व था। देश में पहली बार सुप्रीमकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश सुप्रीमकोर्ट में बहस करने के लिए पेश हुए। इतना ही नहीं पहली बार सुप्रीमकोर्ट ने अपने ही सेवानिवृत न्यायाधीश को कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी किया। सौम्या दुष्कर्म और हत्या मामले के फैसले पर जस्टिस मार्कडेय काटजू के ब्लाग में की गई टिप्पणी को अवमानना मानते हुए सुप्रीमकोर्ट ने जस्टिस काटजू को नोटिस जारी किया है।

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कोर्ट ने जस्टिस काटजू से पूछा है कि क्यों न उन पर न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही की जाए। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति पीसी पंत व न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने जस्टिस काटजू को ये अवमानना नोटिस उस वक्त जारी किया जब वे सौम्या मामले में फैसले में कोर्ट के बुलावे पर फैसले की खामियां बताने के लिए पेश हुए थे। कोर्ट ने ब्लाग पर की गई काटजू की टिप्पणी पर अदालत कक्ष में मौजूद अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से राय मांगी। रोहतगी ने टिप्पणी देख कर कहा कि ये कोर्ट की छवि को धक्का पहुंचाने जैसा है। जैसे ही रोहतगी ने यह कहा पीठ ने काटजू को अवमानना नोटिस जारी कर दिया।

ये देखकर अगले ही पल रोहतगी ने कोर्ट से अपनी राय बदलने की इजाजत मांगी। उन्होंने कहा कि वे समझ नहीं पाए थे कि कोर्ट ने उनसे सिर्फ अंडर लाइन की गई पंक्तियों पर राय मांगी थी या पूरे पैराग्राफ पर। उन्होंने पूरे पैराग्राफ पर ऐसी राय दी है अब वे समझ गये हैं कि कोर्ट सिर्फ अंडर लाइन पंक्तियों पर उनकी राय पूछ रहा है और वे अपनी पहले दी गई राय को बदल कर ये कहना चाहते हैं कि ये पंक्तियां गुस्से में की गई टिप्पणीं से ज्यादा कुछ नहीं है। ये कोर्ट की अवमानना नहीं है। तभी पीठ ने उन्हें ब्लाग के दूसरे अंश की प्रति देते हुए उस पर उनकी राय पूछी। रोहतगी ने कहा कि ये भी वही है। कोर्ट ने जब काटजू से पूछा तो उन्होंने कहा कि ये उन्हीं का ब्लाग है और उन्हें देश के कानून में बोलने का अधिकार मिला है। इसके बाद कोर्ट ने काटजू को अवमानना नोटिस जारी करते हुए कहा कि टिप्पणियां प्रथम दृष्टया अवमाननापूर्ण हैं।

ये टिप्पणी जजों पर है न कि फैसले पर इसलिए उन्हें अवमानना नोटिस जारी किया जाता है। जस्टिस काटजू ने अवमानना नोटिस का विरोध किया और कहा कि उनके साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जा सकता। वे कोर्ट ने आग्रह पर यहां आए थे। उन्हें इस तरह धमकाया नहीं जा सकता है। वे इससे नहीं डरते। पीठ ने भी नाराजगी जताते हुए जस्टिस काटजू से कहा कि उन्हें उकसाओ नहीं। बेंच और काटजू के बीच काफी बहस हुई और अदालत कक्ष का माहौल गरमा गया। पीठ ने सुरक्षाकर्मियों को आवाज लगाई कोई है जो काटजू को बाहर ले जाए। काटजू ने इसका विरोध करते हुए कहा कि वे सुप्रीमकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश हैं उनके साथ ऐसा व्यवहार ठीक नहीं है। ऐसा सुप्रीमकोर्ट नहीं करता।

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यह है सौम्या मामला

एक फरवरी, 2011 को एर्नाकुलम से शोरनूर जाने वाली पैसेंजर ट्रेन के लेडीज कंपार्टमेंट में सौम्या (23) पर गोविंदास्वामी नाम के आदमी ने हमला किया था। सौम्या बचने के प्रयास में चलती ट्रेन से कूद गई थी। उसके पीछे ही गोविंदास्वामी भी ट्रेन से कूद गया और उसने बुरी तरह घायल सौम्या के साथ बेहोशी की दशा में दुष्कर्म किया और उसके बाद उसका मोबाइल फोन और अन्य सामान लूटकर भाग गया। बाद में अस्पताल में इलाज के दौरान सौम्या की मौत हो गई थी।

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कोर्ट के बुलावे पर पहुंचे थे काटजू

जस्टिस काटजू ने सौम्या कांड पर ब्लाग कर फैसले से आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि यह कहना ठीक नहीं है कि अभियुक्त की मंशा सौम्या को मारने की नहीं थी। अभियुक्त ने सौम्या को बड़े ही निर्मम ढंग से मारा था। अभियुक्त ने सौम्या का सिर बार बार ट्रेन के डिब्बे की दिवालों से टकराया जिससे उसकी सिर की हड्डी टूट गई थी उसे गंभीर चोट पहुंची और वह लगभग बेहोशी की हालत में थी। ऐसे में चाहें वह स्वयं ट्रेन से कूदी हो या उसे धक्का दिया गया हो उसमें कोई अंतर नहीं है। अभियुक्त इसके लिए दोषी है और उसे हत्या के जुर्म से बरी नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने फैसले में भारी भूल की है। कोर्ट ने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया है। केरल सरकार की ओर से पेश मुकुल रोहतगी ने भी फैसले पर पुनर्विचार की मांग करते हुए ऐसी ही तथ्यपरक दलीलें दीं।

वही अदालत थी जिसमें बैठ कर फैसला सुनाते थे काटजू

यह महज संयोग ही था कि शुक्रवार को जिस अदालत कक्ष में जस्टिस काटजू बहस के लिए पेश हुए और बाद में उन्हें अवमानना नोटिस जारी हुआ यह वही कक्ष था जहां बैठ कर वे फैसला सुनाया करते थे। कोर्ट नंबर छह ने जस्टिस काटजू को नोटिस जारी किया और इसी छह नंबर कोर्ट में किसी समय जस्टिस काटजू की अदालत लगती थी।

कोर्ट ने खारिज कर दी पुनर्विचार याचिका

कोर्ट ने सौम्या के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दाखिल याचिकाएं खारिज कर दीं। कोर्ट ने कहा कि उन्होंने साक्ष्य अधिनियम की धारा 113 पर विचार किया जिसमें कोर्ट परिस्थितियों के मुताबिक अनुमान लगा सकती है लेकिन आईपीसी की धारा 300(हत्या) के मामले में विधायिका ने कोर्ट को अनुमान लगाने का अधिकार नहीं दिया है। कोर्ट ने मामले की तथ्यपरक दलीलें भी खारिज कर दीं।


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