सुप्रीम कोर्ट में कोरोना मुआवजे के लिए आवेदन दायर करने की तय हुई समय-सीमा- स्वास्थ्य मंत्रालय
शीर्ष अदालत से मिले निर्देशों के अनुसार भविष्य में होने वाली संक्रमितों की मौत के लिए 90 दिन का समय देने का प्रविधान बनाया गया है। हालांकि पहले बनाए गए नियमों को आगे जारी रखा जाएगा। इसके अनुसार मुआवजे के लिए दावेदारी के बाद 30 दिनों का समय होगा।
नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिकरण द्वारा घोषित कोरोना मुआवजे को लेकर आवेदन दायर करने का समय निश्चित कर दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने सोमवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय ने बताया कि विविध आवेदन संख्या 1805 की सुनवाई के दौरान यह फैसला लिया गया। कोरोना पीड़ितों को मुआवजे के लिए आवेदन को लेकर 20 मार्च से पहले मरने वाले संक्रमितों के लिए 60 दिनों का समय दिया गया है। इसके अलावा फर्जी दावे करने वालों को सजा भी दी जाएगी।
इनके लिए 90 दिनों तक आवेदन डालने का होगा समय
अदालत से मिले निर्देशों के अनुसार, भविष्य में होने वाले संक्रमितों की मौत के लिए 90 दिन का समय देने का प्रविधान बनाया गया है। हालांकि पहले बनाए गए नियमों को आगे जारी रखा जाएगा। इसके अनुसार मुआवजे के भुगतान के लिए दावेदारी बाद 30 दिनों का समय दिया जाता है। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, 'निर्धारित समयावधि में यदि कोई कोविड पीड़ित मुआवजे के लिए आवेदन नहीं दे पाता है तो वह Grievance Redressal Committee के पास जा सकता है। यह कमिटी केस टू केस के आधार पर आवेदन पर विचार करती है। मंत्रालय ने यह भी बताया कि मामलों में आने वाले फर्जी दावों के जोखिमों को कम करने के लिए छानबीन की भी व्यवस्था की जाएगी।
कोर्ट के निर्देशानुसार अत्यधिक कठिनाई के मामले में जहां कोई दावेदार निर्धारित समय के भीतर आवेदन नहीं कर सकता है। सरकार ने कहा, 'दावेदार के लिए शिकायत निवारण समिति से संपर्क करने और पैनल के माध्यम से दावा करने का अधिकार होगा, जिस पर मामला दर मामला आधार पर विचार किया जाएगा और यदि समिति द्वारा यह पाया जाता है कि एक विशेष दावेदार निर्धारित समय के भीतर दावा नहीं कर सकता है तो योग्यता के आधार पर विचार किया जा सकता है।' इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि फर्जी दावों के जोखिम को कम करने के लिए, दावा आवेदनों में से 5 प्रतिशत की यादृच्छिक जांच पहली बार में की जाएगी। फर्जी दावों में डीएम अधिनियम, 2005 की धारा 52 के तहत विचार किया जाएगा और तदनुसार दंडित किया जा सकता है।