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प्रकाशित होगी मलयालम उपन्‍यास मीशा, कोर्ट में रोक की मांग खारिज

मलयालम उपन्‍यास के कुछ पैरा पर आपत्‍ति जताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की गई थी जिसे कोर्ट में खारिज कर दिया गया।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 05 Sep 2018 11:20 AM (IST)Updated: Wed, 05 Sep 2018 11:23 AM (IST)
प्रकाशित होगी मलयालम उपन्‍यास मीशा, कोर्ट में रोक की मांग खारिज
प्रकाशित होगी मलयालम उपन्‍यास मीशा, कोर्ट में रोक की मांग खारिज

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मलयालम उपन्यास मीशा के प्रकाशन पर रोक की मांग खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा लेखक की कल्पनाशीलता बाधित नहीं की जा सकती। किताब के कुछ हिस्सों से बनी धारणा पर कोर्ट आदेश नहीं दे सकता। उपन्यास में हिन्दू धर्म के लिए अपमानजनक बातें होने के आधार पर चुनौती दी गई थी।

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पिछले माह सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट 'मीशा' के कुछ पैराग्राफ को लेकर आपत्ति जताई गई थी। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता एन. राधाकृष्णन के वकील गोपाल शंकरनारायण ने कोर्ट में दलील दी कि उपन्यास 'मीशा' के कुछ पैराग्राफ आपत्तिजनक हैं, क्योंकि उसमें हिंदू और हिंदू पुजारी का अपमान किया गया है।

मामले में कोर्ट ने अनुभव किया कि उपन्यास के पात्र काल्पनिक हैं। ऐसे में देखना होगा कि आखिर आपत्तिजनक पैराग्राफ में क्या लिखा गया है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने मलयालम डेली मातृभूमि के वकील को उपान्यास के विवादित तीन पैराग्राफ का अनुवाद करके पांच दिनों में कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया था और मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

याचिका में आरोप लगाया गया कि उपन्यास में मंदिर जाने वाली हिंदू महिलाओं और पुजारियों के किरदार को गलत तरीके से दर्शाया गया है। 'मीशा' नामक इस उपन्यास को युवा लेखक एम हरीश ने लिखा है। हरीश के उपन्यास के कई हिस्सों को ऑनलाइन सीरीज के माध्यम से प्रकाशित किया है। इसका एक हिस्सा जुलाई के दूसरे हफ्ते में जारी किया गया, जिसे लेकर काफी विवाद उत्पन्न हुआ।

याचिकाकर्ता के मुताबिक केरल सरकार की ओर से उपन्यास के ऑनलाइन प्रकाशन पर रोक लगाने को लेकर कोई उचित कदम नहीं उठाए गए हैं। बता दें कि उपन्यास पर विवाद के बाद इसका प्रकाशन रोक दिया गया था, लेकिन बाद में इसे ऑनलाइन माध्यम से कई चरणों में रिलीज किया गया।

यह उपन्यास केरल की 50 साल पहले की सामाजिक पृष्ठभूमि पर आधारित है। जुलाई के दौरान ‘मीशा’ के तीन अध्याय मलयालम साप्ताहिक मातृभूमि में प्रकाशित हुए थे। लेकिन इसके बाद एस हरीश को हिंदूवादी संगठनों की धमकियां मिलने लगीं और उन्होंने 21 जुलाई को अपना उपन्यास वापस ले लिया। हालांकि इस फैसले के बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन सहित राज्य के कई जाने-माने लेखक उनके समर्थन में आए थे।


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