दुष्कर्म के आरोपी नित्यानंद को कराना ही होगा पोटेंसी टेस्ट
दुष्कर्म के आरोपी नित्यानंद स्वामी को पोटेंसी टेस्ट यानी पुंसत्व परीक्षण कराना होगा। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने पोटेंसी टेस्ट एवं खून और आवाज के नमूने लेने के आदेश का विरोध करने वाली नित्यानंद की याचिका खारिज कर दी। यही नहीं तीन साल से मामले में कोई प्रगति न होने पर कोर्ट ने पुलिस के रवैये पर भी नाराजगी जताई है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। दुष्कर्म के आरोपी नित्यानंद स्वामी को पोटेंसी टेस्ट यानी पुंसत्व परीक्षण कराना होगा। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने पोटेंसी टेस्ट एवं खून और आवाज के नमूने लेने के आदेश का विरोध करने वाली नित्यानंद की याचिका खारिज कर दी। यही नहीं तीन साल से मामले में कोई प्रगति न होने पर कोर्ट ने पुलिस के रवैये पर भी नाराजगी जताई है।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने नित्यानंद को पोटेंसी टेस्ट व खून तथा आवाज के नमूने देने के लिए जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने का आदेश दिया था, लेकिन नित्यानंद ने आदेश का पालन नहीं किया और हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई व एनवी रमन्ना की पीठ ने नित्यानंद की याचिका खारिज करते हुए कहा कि अभियुक्त को मेडिकल जांच करानी होगी। कोर्ट ने मामले में देरी करने के अभियुक्तों के रवैये पर नाराजगी जाहिर करने के साथ ही तीन साल से केस में कोई प्रगति न होने पर जांच एजेंसी को भी आड़े हाथों लिया। पीठ ने कहा कि अभियुक्तों को मामले में सहयोग करना होगा जो कि वे नहीं कर रहे हैं।
मालूम हो कि गत 20 अगस्त को मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नित्यानंद की पोटेंसी टेस्ट कराने की अनिच्छा जताने पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए तो ऐसे टेस्ट दिन प्रतिदिन जरूरी होते जा रहे हैं।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने गत 1 अगस्त को नित्यानंद और उसके चार अनुयायियों के खिलाफ सीजेएम कोर्ट से जारी गैर जमानती वारंट के आदेश पर रोक लगाते हुए नित्यानंद को मेडिकल जांच व खून और आवाज के नमूने देने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर वह स्वयं को जांच के लिए पेश करता तो इस सीमित उद्देश्य के लिए उसे हिरासत में लिया जा सकता है और जांच के बाद छोड़ दिया जाए।