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सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने की कई राज्‍यों के हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को बदलने की सिफारिश

कोलेजियम ने कई राज्‍यों के हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को बदलने की सिफारिश की है। इस सिफारिश में तेलंगाना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को दिल्‍ली हाईकोर्ट में तैनात करने की सिफारिश की गई है। ये पद कुछ समय से रिक्‍त है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 03:01 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 03:01 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने की कई राज्‍यों के हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को बदलने की सिफारिश
कई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को बदलने की सिफारिश

नई दिल्‍ली (एएनआई)। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने कुछ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को बदलने की सिफारिश की है। इसके तहत कोलेजियम ने तेलंगाना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा को दिल्‍ली हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश की है। इसके अलावा दिल्‍ली हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस विपिन सांघी को उत्‍तराखंड हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश की है। बता दें कि दिल्‍ली हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस डीएन पटेल के सेवानिवृत होने के बाद ये पद खाली पड़ा है। कोलेजियम ने एए सईद को हिमाचल प्रदेश का चीफ जस्टिस, एसएस शिंदे को राजस्‍थान का, रशमिन एम छाया को गुवाहाटी का, और उज्‍जवल भुयान को तेलंगाना हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश भी की गई है।

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गौरतलब है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में दो नए जजों की नियुक्ति भी हुई थी। गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुधांशु धूलिया और गुजरात हाईकोर्ट के जज जमशेद बी पारदीवाला को सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में नियुक्त किया गया था। 5 मई को सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने दो नए जजों की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी थी, जिस पर राष्ट्रपति ने अंतिम मुहर लगाई थी।

जस्टिस पारदीवाला सुप्रीम कोर्ट में चौथे पारसी जज हैं। करीब 5 वर्षों के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के किसी जज की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट में हुई है। इससे पहले एस अब्दुल नजीर की फरवरी 2017 में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की गई थी। इसके अलावा कोलेजियम ने उत्तराखंड HC से पदोन्नत होकर सुुप्रीम कोर्ट आने वाले जस्टिस धूलिया दूसरे व्‍यक्ति हैं। बता दें कि पिछले वर्ष अब तक चीफ जस्टिस रमणा के नेतृत्‍व वाले कोलेजियम ने करीब 11 नामों की सिफारिश की है। इनमें तीन महिला जज शामिल हैं। गौरतलब है कि देश में लगातार कोर्ट में जजों की कमी का मुद्दा सामने आता रहा है। कई बार ये मुद्दा विभिन्‍न मंचों से सुनाई भी दिया है। 


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