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साइबर कानून पर केंद्र, बंगाल सरकार को नोटिस

ऑनलाइन आपत्तिजनक लेख या भाषण पर सजा के प्रावधान वाले साइबर कानून की धारा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब तलब किया है। इस संबंध में मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल की जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए शुक्रवार को अदालत ने दोनों सरकारों को नोटिस जारी किया। याचिका में सूचना प्रौद्योगिकी कानून [आइटी एक्ट] की धारा 66ए पर रोक लगाने की मांग की गई है। साथ ही वेबसाइट ब्लाक करने के सरकार के अधिकार को भी चुनौती दी गई है। धारा 66ए के तहत ऑनलाइन आपत्तिजनक लेख या भाषण के लिए तीन वर्ष के जेल का प्रावधान है।

By Edited By: Published: Fri, 22 Nov 2013 07:51 PM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2013 08:49 PM (IST)
साइबर कानून पर केंद्र, बंगाल सरकार को नोटिस

नई दिल्ली। ऑनलाइन आपत्तिजनक लेख या भाषण पर सजा के प्रावधान वाले साइबर कानून की धारा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब तलब किया है। इस संबंध में मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल की जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए शुक्रवार को अदालत ने दोनों सरकारों को नोटिस जारी किया। याचिका में सूचना प्रौद्योगिकी कानून [आइटी एक्ट] की धारा 66ए पर रोक लगाने की मांग की गई है। साथ ही वेबसाइट ब्लाक करने के सरकार के अधिकार को भी चुनौती दी गई है। धारा 66ए के तहत ऑनलाइन आपत्तिजनक लेख या भाषण के लिए तीन वर्ष के जेल का प्रावधान है।

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न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा एवं न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह की पीठ ने पीयूसीएल की याचिका पर बंगाल सरकार समेत केंद्र को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। शीर्ष न्यायालय ने केंद्र सरकार के जिन विभागों से जवाब तलब किया है, उनमें गृह, कानून, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी प्रमुख हैं। पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने अपनी याचिका में आइटी कानून की धारा 66ए को संविधान विरोधी बताया है। उसका कहना है कि यह धारा संविधान के अनुच्च्ेद 14 (समानता के अधिकार), 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 21(जीवन के अधिकार) के खिलाफ है। पीयूसीएल की दलील है कि इंटरनेट या मोबाइल फोन पर दिए गए भाषण को आपराधिक कृत्य करार देना असंवैधानिक है। इसके लिए दंडात्मक कार्रवाई को अंजाम देना और वेबसाइट ब्लाक करना तो संविधान का सरासर उल्लंघन है। धारा 66ए के दुरुपयोग संबंधी अपने आरोपों की पुष्टि के लिए पीयूसीएल ने ठाणे की 21 वर्षीय युवती शाहीन एवं रेणु श्रीनिवासन की गिरफ्तारी का जिक्र किया है। दोनों को पालघर की पुलिस ने एक फेसबुक पोस्ट के लिए पिछले वर्ष नवंबर में गिरफ्तार किया था। शाहीन ने अपने पोस्ट में लिखा था कि शिव सेना संस्थापक बाल ठाकरे की मौत पर मुंबई सम्मान नहीं बल्कि डर की वजह से बंद रही। याचिका में मांग की गई है कि धारा 66ए के तहत शिकायतों की समीक्षा के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जाए। साथ ही जब तक कोर्ट इस याचिका का निस्तारण न कर दे तब तक धारा 66ए के तहत कोई भी एफआइआर दर्ज न की जाए।

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