कम्यूनिटी किचन के गठन से जुड़ी याचिका की सुनवाई को तैयार हुआ सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने देश में कुपोषण और भुखमरी से लड़ने के लिए कम्यूनिटी किचन के गठन और इसके लिए दिशा निर्देश की मांग करने से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई की मंजूरी दे दी है। कम्यूनिटी किचन से गरीब लोगों को भोजन मिल सकेगा।
नई दिल्ली (पीटीआई)। सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर तत्काल सुनवाई पर सहमति जता चुका है जिसमें देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कम्यूनिटी किचन खोलने को लेकर दिशा निर्देश देने की मांग की गई है। इस तरह के कम्यूनिटी किचन से भुखमरी और कुपोषण से लड़ने में मदद मिल सकेगी। चीफ जस्टिस एनवी रमणा के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और हिमा कोहली शामिल थे, ने वकील अशिमा मंडला की इस याचिका में उठाए गए मुद्दों को कोरोना महामारी के मद्देनजर जरूरी माना। शार्ष कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि उनके नेतृत्व में बनी पीठ ने इसमें नोटिस जारी किया है। इसकी अगली सुनवाई 27 अक्टूबर को होगी।
आपको बता दें कि कोर्ट ने पिछले वर्ष 17 फरवरी को देश के छह राज्यों कम्यूनिटी किचन के सेटअप और पीआईएल के संबंध में अपना जवाब न देने पर पांच लाख रुपये का अतिरिक्त जुर्माना लगाया था। जिन राज्यों पर ये जुर्माना लगाया गया था उनमें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मणिपुर, ओडिशा, गोवा और दिल्ली थे। इस मामले में कोर्ट के समक्ष पेश हुई वकील अशिमा मंडला से खंडपीठ ने पूछज्ञ था कि जिन राज्यों की तरफ से पीआईएल के बाबत जवाब मिले हैं उनके चार्ट का तैयार कर लिया गया है या नहीं।
इसके जवाब में मंडला ने बताया कि पांच वर्ष की उम्र के करीब 69 फीसद बच्चे कुपोषण की वजह से मर जाते हैं। इसलिए ये जरूरी है कि ऐसे राज्यों में इनके भरण पोषण के लिए कम्यूनिटी किचन खोले जाएं। 18 अक्टूबर 2019 में कोर्ट ने कम्यूनिटी किचन खोले जाने को लेकर सहमति भी जताई थी। कोर्ट का कहना था कि इससे भुखमरी की समस्या से निपटा जा सकता है।
याचिका में कहा गया है कि पांच वर्ष से कम उम्र के अधिकतर बच्चे कुपोषण का शिकार होकर अपनी जान गंवा देते हैं। इस तरह से ये उनके मानवाधिकारों का हनन है। उनको भोजन और जीने का अधिकार है। पीआईएल को सामाजिक कार्यकर्ता अनुन धवन, इशनान धवन और कुंजना सिंह ने दायर किया है। इस याचिका के माध्यम से इन्होंने देश में एक फूड ग्रिड का गठन करने के लिए केद्र को निर्देश देने की भी मांग की है। इस याचिका में तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, झारखंड और दिल्ली में चलाई जा रहे कम्यूनिटी किचन का भी जिक्र किया गया है। इसमें ये भी कहा गया है कि अन्य देशों में ये खाना मुफ्त में दिया जाता है। इसके अलावा कई जगहों पर बेहद कम दाम पर इसको उपलब्ध कराया जाता है।