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अस्पतालों में औसतन हर कोरोना मरीज ने खर्च किए 1.50 लाख रुपये, जानें एसबीआई की सर्वे रिपोर्ट का आकलन

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) की तरफ से सोमवार को ही जारी एक रिपोर्ट में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान आम जनता पर पड़ने वाले चिकित्सा के बोझ की तस्वीर कुछ हद तक साफ करने की कोशिश की गई है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 17 May 2021 08:23 PM (IST)Updated: Mon, 17 May 2021 08:23 PM (IST)
अस्पतालों में औसतन हर कोरोना मरीज ने खर्च किए 1.50 लाख रुपये, जानें एसबीआई की सर्वे रिपोर्ट का आकलन
कोरोना की दूसरी लहर पर भारतीय स्टेट बैंक की सर्वे रिपोर्ट का आकलन (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार की तरफ से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल, 2021 में देश में थोक महंगाई दर 10.49 फीसद के ¨चताजनक स्तर पर पहुंच गई। लेकिन इस महंगाई से भी ज्यादा ¨चताजनक स्थिति स्वास्थ्य क्षेत्र में महंगाई की है जिसका कोई भी आंकड़ा सरकार की तरफ से जारी नहीं किया जाता। लेकिन भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) की तरफ से सोमवार को ही जारी एक रिपोर्ट में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान आम जनता पर पड़ने वाले चिकित्सा के बोझ की तस्वीर कुछ हद तक साफ करने की कोशिश की गई है। इसके मुताबिक दूसरी लहर में कोरोना से प्रभावित तकरीबन 30 फीसद लोगों को अस्पतालों में भर्ती करवाना पड़ा है। 50 हजार करोड़ रुपये सिर्फ इलाज आदि में खर्च करने पड़े हैं। अनुमान है कि औसतन हर परिवार ने निजी अस्पतालों में भर्ती होने की स्थिति में 1.50 लाख रुपये की राशि खर्च की है।

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रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल, 2021 में खुदरा महंगाई की दर सिर्फ 4.42 फीसद रही है जो मार्च, 2021 में दर्ज 5.21 फीसद से कम ही है। इसकी कसर कोरोना ने पूरी कर दी क्योंकि इस महीने में कोरोना की वजह से लोगों पर दवाइयों, एक्स-रे, ईसीजी, पैथोलाजी टेस्ट, नर्सिंग शुल्क आदि का पिछले महीने के मुकाबले अप्रैल में ज्यादा बोझ पड़ा है। एक औसत परिवार को स्वास्थ्य सेक्टर पर जितना खर्च करना पड़ रहा है उसमें 11 फीसद की वृद्धि होगी। साथ ही आम जनता को बढ़ती ईंधन लागत का बोझ भी उठाना पड़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर केंद्र व राज्यों ने पेट्रोल व डीजल पर टैक्स नहीं घटाया तो आने वाले दिनों में ईंधन की लागत और बढ़ेगी, जिसका असर दूसरे क्षेत्रों में भी दिखेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वास्थ्य पर होने वाले खर्चे आने वाले महीनों में भी बढ़ेंगे। सिर्फ दवाओं और चिकित्सा उत्पादों के महंगा होने से भारतीय परिवार समग्र तौर पर 15 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करेंगे। औसतन 30 फीसद लोगों को अस्पतालों में भर्ती करवाना पड़ा है और इनमें से भी 30 फीसद लोगों ने निजी अस्पतालों की सेवाओं ली हैं। इनके द्वारा 35 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च करने का अनुमान लगाया गया है।

इसके अतिरिक्त एसबीआइ ने कहा है कि लाकडाउन होने या रोजगार छिन जाने की वजह से लोगों की आमदनी में 16 हजार करोड़ रुपये की कमी आने का अनुमान है। यह भी भारतीय परिवारों पर एक बोझ ही है। इस तरह से एसबीआइ रिपोर्ट का अनुमान है कि कोरोना की दूसरी लहर ने समग्र रूप से आम भारतीय परिवारों पर 66 हजार करोड़ रुपये का बोझ डाला है। यह वर्ष 2019-20 में स्वास्थ्य सेक्टर पर किए गए कुल खर्च छह लाख करोड़ रुपये का 11 फीसद है।


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