संजीव रंजन बने एनएचएआइ के पूर्णकालिक चेयरमैन
अनुभवी आइएएस अधिकारी संजीव रंजन की नियुक्ति होने से सड़क सचिव युद्धवीर सिंह मलिक को मंत्रालय पर फोकस करने का मौका मिलेगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) में पूर्णकालिक चेयरमैन की नियुक्ति से सड़क परियोजनाओं में और तेजी आने की उम्मीद है। चेयरमैन के रूप में अनुभवी आइएएस अधिकारी संजीव रंजन की नियुक्ति होने से सड़क सचिव युद्धवीर सिंह मलिक को मंत्रालय पर फोकस करने का मौका मिलेगा। अभी उन्हें मंत्रालय के साथ-साथ एनएचएआइ का काम भी देखना पड़ रहा है।
संजीव रंजन सड़क मंत्रालय के अलावा रक्षा, शिपिंग और पर्यटन मंत्रालय में काम कर चुके हैं। वे शिपिंग कारपोरेशन, आइटीडीसी, ड्रेजिंग कारपोरेशन तथा पोर्ट रेल कारपोरेशन के निदेशक तथा भारतीय जलमार्ग विकास प्राधिकरण के सदस्य भी रहे हैं। उनके पास हार्वर्ड, नेशनल यूनिवर्सिटी सिंगापुर तथा आइआइटी, दिल्ली जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की स्नातक, परास्नातक और पीएचडी डिग्रियां हैं। मई में दीपक कुमार के बिहार का मुख्य सचिव बनने के बाद से एनएचएआइ पूर्णकालिक प्रमुख का अभाव महसूस कर रहा था।
दूर होंगी भूमि अधिग्रहण की दिक्कतें
सरकार को भी भारतमाला, टीओटी और दिल्ली-मुंबई सुपर हाईवे जैसी 'गेम चेंजर' परियोजनाओं के लिए कुशल योजनाकार एवं प्रबंधक प्रशासक की दरकार थी। सात लाख करोड़ की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना के तहत कुल 84 हजार किलोमीटर राजमार्गो का निर्माण होना है। जिसमें पहले चरण के तहत डेढ़ लाख करोड़ रुपये लागत वाली 6,320 किलोमीटर परियोजनाओं के अनुबंध जारी किए जा चुके हैं। लेकिन इनमें सबसे बड़ी चुनौती भूमि अधिग्रहण की है, जिसके लिए एनएचएआइ के पास पूर्णकालिक चेयरमैन होना आवश्यक है।
अधूरी परियोजनाएं हो सकेंगी पूरी
कुछ यही हाल हाईवे मौद्रीकरण वाली टीओटी (टोल, ऑपरेट एंड ट्रांसफर) परियोजनाओं का है। जिनके दूसरे चरण के रोड शो शुरू हो गए हैं। टीओटी के पहले चक्र में छह परियोजनाओं के टोल ठेकों से एनएचएआइ को 9681.5 करोड़ रुपये की बड़ी रकम हासिल हुई थी। सरकार दूसरे दौर में भी ऐसी ही कामयाबी चाहती है। जिसके लिए एनएचएआइ ने 586.55 किलोमीटर कुल लंबाई वाली आठ परियोजनाएं ऑफर की हैं।
सरकार की इच्छा है कि इनसे कम से कम 5362 करोड़ रुपये की रकम अवश्य आनी चाहिए। सरकार की मंशा अगले दो वर्षो में कुल 75 हाईवे परियोजनाओं के टीओटी ठेके देकर 60 हजार करोड़ की रकम जुटाने की है। वहीं एनएचएआइ के सामने 138 अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने की भी चुनौती है। सरकार ने इनमें से 93 परियोजनाओं को मार्च, 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य उसे दिया है।