मुरझाए पौधों में जान डाल रहे हैं संजीव
हमारे आसपास कई ऐसे पेड़-पौधे हैं जो प्रकृति की मेहरबानी से जिंदा हैं। हमारे आसपास कई ऐसे लोग भी हैं, जो ऐसे पौधों की देखरेख में जुटे हैं। गीता कॉलोनी निवासी संजीव छिब्बर सात वर्ष से पेड़-पौधों की सेवा कर रहे हैं।
अंकुर शुक्ला, पूर्वी दिल्ली। हमारे आसपास कई ऐसे पेड़-पौधे हैं जो प्रकृति की मेहरबानी से जिंदा हैं। हमारे आसपास कई ऐसे लोग भी हैं, जो ऐसे पौधों की देखरेख में जुटे हैं। गीता कॉलोनी निवासी संजीव छिब्बर सात वर्ष से पेड़-पौधों की सेवा कर रहे हैं।
उनका सपना दिल्ली को हरा-भरा करने का है, जिसे पूरा करने के लिए वे जी-जान से जुटे हुए हैं। इसके लिए उन्होंने बाकायदा एक संगठन भी बनाया, जिसका नाम ग्रीन दिल्ली, ग्रीन भारत है। संजीव का कहना है कि जिस प्रकार राजधानी में हरियाली की उपेक्षा हो रही है वह आने वाले कल के लिए खतरनाक संकेत है।
अकेले ही बढ़ाते गए कदम
संजीव छिब्बर के मुताबिक जब उन्होंने हरियाली को बचाने का संकल्प लिया तो उन्हें किसी का भी साथ नहीं मिला। उन्होंने कई बार लोगों को खुद से जोड़ने की कोशिश की, लेकिन तब किसी ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया।
ऐसे में थोड़ी निराशा जरूर हुई, लेकिन अकेले ही आगे बढ़ने का फैसला कर लिया। संजीव दिल्ली ट्रांस्को में काम करते हैं। जो कुछ मिलता था, उसका एक बड़ा हिस्सा पौधों की देखभाल में लगा देते थे। जैसे-जैसे वक्त बढ़ता गया, आत्मविश्वास से भरपूर कदम बढ़ते चले जा रहे थे।
नहीं लेते हैं आर्थिक मदद
संजीव और उनकी संस्था आर्थिक मदद की मोहताज नहीं है। फिलहाल, संस्था के सदस्य ही अपनी आमदनी में से कुछ हिस्सा पर्यावरण के नाम कर देते हैं। फिर जमा पैसों के आधार पर योजनाओं को अमली जामा पहनाने की योजना बनाकर उनका क्रियान्वयन किया जाता है।
खाली जगहों पर पौधे लगाने का अनोखा संकल्प
संजीव ने एक अनोखा संकल्प लिया। उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में अवकाश वाले दिन का एक बड़ा हिस्सा वे इसी कार्य में खर्च कर देते थे। अगर उन्हें कोई ऐसा स्थान दिखता था, जहां पौधे लगाने की गुंजाइश होती तो वे वहां पौधों को लगा देते थे। उन पौधों को विशेष निशान लगाकर चिन्हित भी कर देते थे, ताकि हफ्ते में एक या दो बार वहां जाकर उसकी देखभाल की जा सके।
पार्को में जाकर लोगों को करते हैं प्रेरित
संजीव सुबह पार्को में सिर्फ सैर के लिए नहीं, बल्कि उन्हें पौधे लगाने व उनकी देखभाल करने के लिए भी प्रेरित करते हैं। उनका कहना है कि पौधा चाहे फूल का हो या औषधि, हर पौधा प्रकृति के लिहाज से महत्वपूर्ण और उपयोगी है। ये पौधे आगे चलकर हमें शुद्ध वातावरण मुहैया कराते हैं।
संजीव की योग के क्षेत्र मेंच्अच्छी पकड़ है। सुबह उठकर वे पार्को में जाकर लोगों को योग के गुर और फायदों के बारे में भी बताते हैं। वे लोगों से कहते हैं कि पेड़-पौधों का ख्याल रखने के साथ ही उनकी संख्या भी बढ़ाने का संकल्प लेना चाहिए। संजीव का मानना है कि लगातार कोशिश करते हुए उन्होंने कई लोगों को अपन हरियाली मिशन से जोड़ लिया है।
ग्रीन दिल्ली के जरिये ग्रीन भारत का सपना
संजीव की हरियाली मुहिम वक्त के साथ असरदार साबित हुई। इस समय उनके पास ग्रीन दिल्ली ग्रीन भारत नाम की संस्था है। इसके जरिये हरियाली मुहिम में योगदान देने वाले लोगों की तादाद तकरीबन 20 के आसपास पहुंच गई है। इनमें कई ऐसे वरिष्ठ नागरिक शामिल हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी का बाकी वक्त हरियाली के ही नाम कर दिया है।