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दलितों को जोड़ने की मुहिम में जुटा संघ परिवार

भाजपा समेत पूरा संघ परिवार दलितों को जोड़ने की मुहिम में जुट गया है। इसके लिए बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती को बड़े पैमाने पर मनाने की तैयारी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जहां इस अवसर पर पूरे देश में 250 से अधिक सभाएं कर रहा है, वहीं भाजपा अध्यक्ष

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 14 Apr 2015 12:23 AM (IST)Updated: Tue, 14 Apr 2015 01:15 AM (IST)
दलितों को जोड़ने की मुहिम में जुटा संघ परिवार

नई दिल्ली (नीलू रंजन)। भाजपा समेत पूरा संघ परिवार दलितों को जोड़ने की मुहिम में जुट गया है। इसके लिए बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती को बड़े पैमाने पर मनाने की तैयारी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जहां इस अवसर पर पूरे देश में 250 से अधिक सभाएं कर रहा है, वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह बिहार में परोक्ष रूप से आगामी विधानसभा चुनाव का शंखनाद करेंगे। इधर सोमवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने छुआछूत के खिलाफ अंतिम लड़ाई का एलान कर दिया। संघ परिवार की तैयारियों से सशंकित कांग्रेस इसके काट के लिए बाबा साहब और संघ के बीच मतभेदों पर पुस्तिका लाने जा रही है।

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अंबेडकर जयंती की तैयारियों के बारे में बताते हुए पंचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने कहा कि बाबा साहब के व्यक्तित्व के अलग-अलग आयामों पर केंद्रित यह एक संग्रहणीय अंक होगा। 100 पन्नों के विशेष अंक में 27 लेख हैं, जिनमें संघ के सह सरसंघचालक कृष्ण गोपाल, अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख मगैयाजी और दलित चिंतक रमेश पतंगे के लेख शामिल हैं। हितेश शंकर ने कहा कि अंबेडकर जयंती मनाने के लिए पूरे देश में भारी उत्साह है और पत्रिका की तीन लाख प्रतियों की अग्रिम बुकिंग हो चुकी है और जल्द ही इसे दोबारा छापने के लिए भेजा जाएगा। इस अवसर पर पूरे देश में 250 सभाओं का आयोजन किया जाएगा, जिनमें बाबा साहेब के योगदान पर चर्चा होगी।

उन्होंने साफ कर दिया कि अंबेडकर की जयंती को राजनीति से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उनके अनुसार संघ की शाखाओं में गाए जाने वाले एकात्मक स्त्रोत में अंबेडकर का उल्लेख काफी समय से रहा है। इसके पहले 1991 में भी पा†चजन्य का अंबेडकर विशेषांक निकल चुका है। उन्होंने कहा कि संघ की बहुत सी शाखाओं का नाम अंबेडकर पर लंबे समय से है।

बहरहाल इससे इंकार नहीं किया जा सकता है कि वर्तमान राजनीतिक माहौल में संघ की कवायद को राजनीति से ही जोड़ा जाएगा। पिछले दिनों में खुद भाजपा ने भी दलितों पर केंद्रित करना शुरू किया है। दिल्ली में चुनाव अभियान की शुरुआत आरक्षित क्षेत्रों से की गई थी। बिहार में जीतन राम मांझी के रूप में भाजपा को एक और ऐसा दलित चेहरा मिला है जिसके सहारे नाव खेने की कोशिश होगी।

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मंगलवार को पटना में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह अंबेडकर के नाम के साथ ही कार्यकर्ताओं को संबोधित करने वाले हैं। वहीं राजनाथ सिंह ने छुआछूत के खिलाफ अंतिम लड़ाई का एलान कर साफ कर दिया कि मोदी सरकार सही मायने में दलितों की हितैषी हैं। जाहिर है दलित और ब्राह्मण वोटों के सहारे लंबे समय तक शासन करने वाली कांग्रेस इससे सशंकित हो गई है। यही कारण है कि उसने बाबा साहब और संघ के मतभेदों पर विशेष पुस्तिका निकालने का जा रही है।

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