Move to Jagran APP

Hindi Hain Hum: सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी की संध्या सिंह ने कहा, भारत के बाहर हिंदी ही हमारी प्रतिनिधि भाषा

संध्या सिंह ने कहा कि ये सही है कि वैश्विक स्तर पर हिंदी रोजगार की भाषा के रूप में अपेक्षित आकर्षण नहीं बना पाई है पर वो स्वावलंबन की राह पर है। विदेश में भी हिंदी जानने के कारण कई क्षेत्रों में रोजगार में अतिरिक्त लाभ मिल ही रहा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 09 Jan 2022 09:02 PM (IST)Updated: Sun, 09 Jan 2022 09:31 PM (IST)
Hindi Hain Hum: सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी की संध्या सिंह ने कहा, भारत के बाहर हिंदी ही हमारी प्रतिनिधि भाषा
सिंगापुर नेशनल युनिवर्सिटी की हिंदी और तमिल की विभागाध्यक्ष डा संध्या सिंह।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जब हमलोग भारत से बाहर निकलते हैं तो हिंदी ही हमारी प्रतिनिधि भाषा होती है। जब हम बाजार में या मेट्रो में अपनी तरह की शक्ल सूरत वालों को देखते हैं तो ये जानना चाहते हैं कि वो हिंदी जानते हैं या नहीं। अर कोई समूह हिंदी में बात करता दिखता है तो चेहरे पर मुस्कान खिल जाती है। हमारे दक्षिण भारतीय भाई भी जब विदेश में मिलते हैं तो वो भी हिंदी में ही बात करने की कोशिश करते हैं। इस तरह से अगर हम देखें तो हिंदी ही भारत के बाहर भारतीयों की प्रतिनिधि भाषा है।

loksabha election banner

हम बाजार जाते हैं तो ये पूछते है कि हिंदी आती है कि नहीं आपको, कभी भी ये नहीं पूछते कि तमिल या तेलुगू या मराठी या बंगाली आती है आपको। ये बातें सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी की हिंदी और तमिल की विभागाध्यक्ष डा संध्या सिंह ने कही। वो विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर दैनिक जागरण के ‘हिंदी हैं हम’ के आयोजन में अपनी बात रख रही थीं। संध्या सिंह ने कहा कि ये सही है कि वैश्विक स्तर पर हिंदी रोजगार की भाषा के रूप में अपेक्षित आकर्षण नहीं बना पाई है पर वो स्वावलंबन की राह पर है। विदेश में भी हिंदी जानने के कारण कई क्षेत्रों में रोजगार में अतिरिक्त लाभ तो मिल ही रहा है। वैश्विक स्तर पर कई क्षेत्रों में हिंदी में प्रयोग करनेवालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस भाषा का उपयोग करनेवाले बढ़ रहे हैं। भले ही ये संख्या बहुत बड़ी न हो लेकिन हिंदी को लेकर एक सकारात्मकता का भाव तो बना ही है।

‘हिंदी हैं हम’ के मंच पर सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी की संध्या सिंह का बयान

संध्या सिंह ने अपने अनुभवों के आधार पर ये भी बताया कि हिंदी फिल्मों की वजह से भी हिंदी का विस्तार हो रहा है। बालीवुड ने विदेश में हिंदी को फैलाने में बड़ी मदद की है। उन्होंने बताया कि उनके युनिवर्सिटी में साउथ एशियन स्टडीज विभाग में एक बालीवुड माड्यूल है । भाषा शिक्षण में भी हिंदी फिल्मों की वजह से बहुत मदद मिलती है। एक उदाहरण के जरिए उन्होंने इसको स्पष्ट किया।

उन्होंने बताया कि अगर उनको कक्षा में छात्रों को रंग सिखाना होता है तो वो फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस के दिल तितली गाने को दिखाती हैं। इस गाने में दीपिका पादुकोण ने अनेक रंगों की साड़ियां और लहंगा पहना हुआ है। इस क्लिप को देखकर छात्रों को रंगों के हिंदी नाम याद करने में सुविधा होती है। इसके अलावा फिल्मों के संवाद को इस प्रकार बना लेते हैं कि छात्रों को व्याकरण के बारे में समझाया जा सके। उन्होंने बताया कि सिंगापुर में मलय लोग बहुत अधिक हैं और उनमें से ज्यादातर बालीवुड के आकर्षण के कारण ही हिंदी सीखने आते हैं।

संध्या सिंह ने अपने व्यक्तिगत अनुभव भी साझा किया। उन्होंने कहा कि आज से 25 बरस पहले शादी के बाद वो सिंगापुर आई थी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पढ़ी हैं और बनारसी हैं। उन्होंने कहा कि अगर अपनी भाषा से लगाव नहीं रहेगा तो भोले बाबा का कोप हो जाएगा। भोले बाबा के आशीर्वाद और हिंदी को वो अपनी सुसुराल लेकर आई थी। इसके अलावा संध्या सिंह ने एक और बात रेखांकित की।

उनका मानना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वैश्विक मंचों पर हिंदी बोलने की वजह से इस भाषा को लेकर एक उत्सुकता का वातावरण बना और विदेश में रहनेवाले हिंदी भाषियों का भी उत्साह बढ़ा। आपको बताते चलें कि हिंदी हैं हम दैनिक जागरण का अपनी भाषा के संवर्धन के लिए चलाया जानेवाला एक उपक्रम है। विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी हैं हम आगामी एक सप्ताह तक विश्व के अलग अलग देशों के हिंदी विद्वानों और हिंदी सेवियों के साथ बातचीत अपने पाठकों के सामने लेकर आ रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.