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World AIDS Day: सैंड आर्टिस्ट ने बनाई खूबसूरत कलाकृति, सिलिगुड़ी में HIV से मरने वालों को कैंडल जला दी गई श्रद्धांजलि

World AIDS Day हर साल एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। मंगलवार को इस बीमारी के कारण मरने वालों की याद में सिलिगुड़ी में यौन कर्मियों व स्वास्थ्य कर्मियों ने सामूहिक तौर पर मोमबत्ती जलाईं।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 05:27 AM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 08:56 AM (IST)
World AIDS Day: सैंड आर्टिस्ट ने बनाई खूबसूरत कलाकृति, सिलिगुड़ी में HIV से मरने वालों को कैंडल जला दी गई श्रद्धांजलि
सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने पुरी के तट पर बनाई खूबसूरत आकृति

सिलिगुड़ी, एएनआइ। एड्स पीड़ितों की मदद और इस बीमारी से जुड़ी गलत धारणाओं को खत्म करने के प्रयास के तौर पर हर साल मनाए जाने वाले विश्व एड्स दिवस की पूर्व संध्या के मौके पर मंगलवार को सिलिगुड़ी की यौन कर्मियों , स्वास्थ्य कर्मियों और एड्स मरीजों ने मिलकर सामूहिक रूप से मोमबत्तियां जलाईं और इस बीमारी से मरने वालों को श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं ओडिशा के पुरी तट पर सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने भी बालू की खूबसूरत कलाकृति बनाई। इस बार यानि 2021 में विश्व एड्स दिवस 2021 का थीम 'असमानताओं को समाप्त करें. एड्स खत्म करें' है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि साल 2021 का मुख्य एजेंडा दुनिया भर में आवश्यक एचआईवी सेवाओं तक पहुंच में बढ़ती असमानताओं को उजागर करना है। इसमें आगे कहा गया है कि विभाजन, असमानता और मानवाधिकारों की अवहेलना उन विफलताओं में से हैं जिन्होंने एचआईवी को वैश्विक स्वास्थ्य संकट बनने और बने रहने दिया। WHO यह भी कहता है कि अब COVID-19 सेवाओं में असमानता और व्यवधान को बढ़ा रहा है, जिससे एड्स बीमारी से जूझ रहे मरीजों का जीवन और ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया है।

विश्व एड्स दिवस पहली बार 1 दिसंबर, 1988 को मनाया गया था। इसे मनाने का मकसद एड्स से पीड़ित लोगों की मदद करना और एड्स से जुड़ी गलत धारणाओं को दूर करते हुए लोगों को शिक्षित करना है।

विश्व एड्स दिवस हर साल 1 दिसंबर को मनाया जाता है। HIV का प्रतीक लाल रंग का रिबन है। पश्चिम बंगाल में अभी तक कुल 50 हजार एड्स के मरीज हैं। UNAIDS के अनुसार, आज, दुनिया 2030 तक एड्स को समाप्त करने के लिए साझा प्रतिबद्धता को पूरा करने से दूर है, न कि एड्स को मात देने के लिए ज्ञान या उपकरणों की कमी के कारण, बल्कि संरचनात्मक असमानताओं के कारण जो एचआईवी की रोकथाम और उपचार के सिद्ध समाधानों में बाधा डालती हैं।


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