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'साइकिल की जंग': रामगोपाल ने EC को बताया, '90 फीसद विधायक अखिलेश के साथ'

चुनाव आयोग से मुलाकात में रामगोपाल यादव ने कहा, 90 फीसद विधायक अखिलेश यादव का समर्थन कर रहे हैं, इसलिए उनके नेतृत्व वाली पार्टी को ही समाजवादी पार्टी माना जाए।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 03 Jan 2017 01:53 AM (IST)Updated: Tue, 03 Jan 2017 03:08 PM (IST)
'साइकिल की जंग': रामगोपाल ने EC को बताया, '90 फीसद विधायक अखिलेश के साथ'
रामगोपाल यादव और नरेश अग्रवाल (फाइल फोटो)

नई दिल्ली (जेएनएन)। समाजवादी पार्टी में मचे घमासान का अंत होता नहीं दिख रहा। सोमवार को मुलायम सिंह ने चुनाव आयोग पहुंचकर 'साइकिल' चुनाव चिन्ह पर दावा ठोका था और अब मंगलवार सुबह अखिलेश यादव खेमे के रामगोपाल यादव चुनाव आयोग में ऐसा ही दावा ठोका है।

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चुनाव आयोग से मुलाकात के बाद रामगोपाल यादव ने कहा, 'हमने चुनाव आयोग को बताया कि 90 फीसद विधायक अखिलेश यादव का समर्थन कर रहे हैं, इसलिए उनके नेतृत्व वाली पार्टी को ही समाजवादी पार्टी माना जाए।'

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इस बीच नरेश अग्रवाल का कहना है, 'अखिलेश यादव हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। आज हम चुनाव आयोग जा रहे हैं और बताएंगे की हम ही समाजवादी पार्टी हैं और 'साइकिल' चुनाव चिन्ह हमें ही मिलना चाहिए।'

किरणमय नंदा ने एक चिट्ठी दिखाते हुए कहा, 'देख लीजिए चिट्ठी जिसमें लिखा है अधिवेशन असंवैधानिक है, उसमें दस्तखत अलग हैं और ये नेताजी के नहीं हैं।'

सपा में छिड़े सत्ता संघर्ष के बीच मुलायम सिंह ने सोमवार को चुनाव आयुक्त से मुलाकात की और सपा के चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ पर अपना दावा ठाेका था। चुनाव आयोग के सामने मुलायम सिंह यादव ने ताजा राजनैतिक घटनाक्रम की जानकारी दी। दूसरे खेमे की राजनैतिक गतिविधि को पार्टी के संविधान के खिलाफ बताया। साथ ही रामगोपाल यादव और अखिलेश यादव के निष्कासन की भी जानकारी दी। मुलायम ने आयोग की बैठक में चुनाव चिन्ह साइकिल पर अपना हक जताया।

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सपा में घमासान ऐसे वक्त में हो रहा है जब आयोग चुनाव की तारीख तय करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। ऐसे में आयोग के समक्ष दो ही रास्ते बचते दिखाई दे रहे हैं। इनमें से पहला रास्ता दोनों धड़ों के साथ आने का है और दूसरा रास्ता सपा के चुनाव चिन्ह को जब्त कर दोनों धड़ों को अलग अलग नाम और चुनाव चिन्ह देने का है। ऐसा इसलिए है कि चुनाव चिन्ह को लेकर आयोग के पास फैसला करने के लिए अब समय नहीं है। ऐसे में यही विकल्प वह चुन सकता है।

समाजवादी पार्टी में जारी कलह से अन्य दलों की बांछेंं खिलती हुई दिखाई दे रही हैं। सभी दल सपा में बिखराव को लेकर अपना फायदा देख रहे हैं। हालांकि सपा में कलह का नुकसान भी आगामी चुनाव में उसे देखना पड़ सकता है।

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