Salman Rushdie: कौन हैं सलमान रुश्दी जिनकी वजह से आमने-सामने आ गए थे ब्रिटेन और ईरान, जानें विवादित किताब की कहानी
सलमान रश्दी का जन्म ब्रिटिश राज के दौरान 19 जून 1947 को बंबई में हुआ था। वह अनीस अहमद रुश्दी के बेटे हैं। उनके पिता एक समृद्ध मुस्लिम व्यापारी थे। उन्होंने दक्षिण बॅाम्बे में द कैथेड्रल एण्ड जॅान कॅानन स्कूल में शिक्षा प्राप्त की।
नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय ब्रिटिश भारतीय उपन्यासकार और निबंधकार सलमान रुश्दी (Salman Rushdie) पर शुक्रवार को चाकू से हमला किया गया। वह पश्चिमी न्यूयॉर्क में एक व्याख्यान देने वाले थे। समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक एक व्यक्ति ने सलमान रुश्दी पर चाकू से हमला किया गया। बता दें कि सलमान रुश्दी कट्टरपंथियों के निशाने पर रहे हैं। सलमान रुश्दी को 'मिडनाइट्स चिल्ड्रन' उपान्यास के लिए साल 1981 में बुकर पुरस्कार मिला था। सलमान रुश्दी ने तकरीबन 12 उपन्यास लिखे हैं।
जानिए सलमान रुश्दी का जीवन परिचय
75 वर्षीय सलमान रुश्दी का पूरा नाम अहमद सलमान रश्दी है। इनका जन्म ब्रिटिश राज के दौरान 19 जून 1947 को बंबई में हुआ था। वह अनीस अहमद रुश्दी के बेटे हैं। उनके पिता एक समृद्ध मुस्लिम व्यापारी थे। उन्होंने दक्षिण बॅाम्बे के किले में कैथेड्रल एण्ड जान काॅनन में शिक्षा प्राप्त की। रश्दी ने रग्बी स्कूल और कैम्ब्रिज में स्नातक होने के बाद रुश्दी कुछ समय के लिए पाकिस्तान में अपने परिवार के साथ रहे। 1970 के दशक में उन्होंने विज्ञापन कंपनी में बतौर कॅापीराइटर काम किया।
बता दें कि सलमान रुश्दी ने चार शादियां की। सलमान रुश्दी ने कई विवादित चीजें भी लिखी जिसके कारण उनके कई किताबों को भारत में बैन कर दिया गया है। सलमान रुश्दी ने पहला उपन्यास साल 1975 में ग्रिमस के नाम से लिखा था। इस किताब में एक अमर व्यक्ति मृत्यु को दोबारा हासिल करने के लिए एक पौराणिक यात्रा करता है। इसके बाद सलमान रुश्दी ने द एनचेंट्रेस ऑफ फ्लोरेंस, द ग्राउंड बिनिथ हर फीट, रोष, शालीमार द क्लाउन, दो साल आठ महीने और अट्ठाईस रातें और क्विक्सोट जैसे उपन्यास भी लिखे।
द सैटेनिक वर्सेस की वजह से विवाद हुआ था खड़ा
सलमान रुश्दी ने साल 1988 में लिखी अपने उपन्यास द सैटेनिक वर्सेस में की गई इस्लाम विरोधी टिप्पणियों के लिए विवादों में घिर चुके थे। इसके ठीक एक साल बाद 1989 में ईरान के तत्कालीन सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खोमैनी ने उनकी हत्या के लिए फतवा जारी किया था। ईरान की तत्कालीन कट्टरपंथी सरकार ने रुश्दी की हत्या के लिए 30 लाख डालर के पुरस्कार की घोषणा भी की थी। गौरतलब है कि सलमान रुश्दी को ब्रिटिश सरकार ने पुलिस सुरक्षा भी मुहय्या कराया था। इस किताब की वजह से ब्रिटेन और ईरान ने संबंध तोड़ दिए। दुनियाभर के कई देशों ने इस उपान्यास को तत्काल प्रतिबंधित कर दिया। भारत में भी द सैटेनिक वर्सेस उपन्यास पर पाबंदी है।
इस मामले पर पश्चिमी लेखकों और कई बुद्धिजीवियों ने ईरान द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ उठाए गए कदमों की आलोचना की। बता दें कि सैटेनिक वर्सेस कई देशों में प्रतिबंधित है। रुश्दी को मिडनाइट्स चिल्ड्रेन के लिए 1981 में प्रतिष्ठित बुकर अवार्ड मिला था। उनका नया उपन्यास विक्ट्री सिटी फरवरी 2023 में प्रकाशित होने वाला है। रुश्दी धार्मिक कट्टरता के विरोधी हैं और भारत में बढ़ रही धार्मिक हिंसा के प्रति भी आलोचनात्मक विचार रखते हैं।
यह जानकारी बीबीसी इंग्लिश लंदन और ब्रिटेनिका से साभार ली गई है।