मोदी के तंबाकू विरोधी अभियान में जुटे हर्षवर्धन
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। गुजरात में गुटखा और तंबाकू उत्पादों के खिलाफ जोरदार अभियान चला चुके नरेंद्र मोदी की सरकार अब राष्ट्रीय स्तर पर इन जानलेवा उत्पादों पर सख्ती की तैयारी में है। भारत में पोलियो उन्मूलन अभियान के अगुआ स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने पद संभालने के साथ ही एलान कर दिया है कि वे इन उत्पादों के खिलाफ कानूनों को सख्ती से लागू करवा
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। गुजरात में गुटखा और तंबाकू उत्पादों के खिलाफ जोरदार अभियान चला चुके नरेंद्र मोदी की सरकार अब राष्ट्रीय स्तर पर इन जानलेवा उत्पादों पर सख्ती की तैयारी में है। भारत में पोलियो उन्मूलन अभियान के अगुआ स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने पद संभालने के साथ ही एलान कर दिया है कि वे इन उत्पादों के खिलाफ कानूनों को सख्ती से लागू करवाने और इन पर टैक्स में बढ़ोतरी करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
देश के नए स्वास्थ्य मंत्री के रूप में हर्षवर्धन ने अपनी शुरुआत ही तंबाकू विरोधी कार्यक्रम से की। उन्होंने गुरुवार को तंबाकू से होने वाली बीमारियों के आर्थिक बोझ पर तैयार एक विशेष रिपोर्ट जारी की। इस मौके पर उन्होंने कहा, 'मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाना बहुत जरूरी है। मैं स्वास्थ्य मंत्री के रूप में इस लिहाज से गंभीर पहल करूंगा। अपने अधिकारियों से इस संबंध में सलाह लूंगा कि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से ऐसे उत्पादों का सेवन घटाने के लिए जो भी मुमकिन हो किया जाए।'
उन्होंने माना कि तंबाकू कंपनियां सरकारी नीतियों और कानून बनाने की प्रक्रिया को प्रभावित करने की जमकर कोशिश करती हैं। विधायिका में बहुत से लोग इनके प्रभाव में होते हैं। हर्षवर्धन ने कहा, जब मैं दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर तंबाकू उत्पादों से संबंधित कानून बनाने में जुटा था तो कई साथी विधायकों ने भी इसका काफी विरोध किया था। तब मुझे समझ में आया कि तंबाकू लॉबी कितनी ताकतवर है। मुझसे मिलने के लिए भी उन्होंने बहुत कोशिश की।
सालाना एक लाख करोड़ का चूना
स्वास्थ्य मंत्री द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में तंबाकू उत्पादों से होने वाली बीमारियों की वजह से अर्थव्यवस्था पर सालाना एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का बोझ पड़ रहा है। यह रकम केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से स्वास्थ्य पर खर्च होने वाली कुल रकम से भी ज्यादा है। भारत में तंबाकू जनित बीमारियों का आर्थिक बोझ शीर्षक वाली पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की यह रिपोर्ट वर्ष 2011 के आंकड़ों पर आधारित है। इसे स्वास्थ्य व टैक्स क्षेत्र के शीर्ष विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों ने मिलकर तैयार किया है।