कोरोना को 'लॉक' करने में 'डाउन' हो गई दवाओं की बिक्री, जानें किन राज्यों में कितनी हुई खरीद
झारखंड में 17 हजार दुकानदारों ने जहां पिछले साल अप्रैल महीने में लगभग 140 करोड़ रुपये की दवाओं का कारोबार किया था वहीं इस वर्ष अप्रैल में आंकड़ा 50 करोड़ के आसपास ही रहा।
नई दिल्ली, जेएनएन। लॉकडाउन के दौरान भी पहले दिन से दुकानें खोले रखने की स्वतंत्रता के बावजूद दवाओं के कारोबार पर बहुत बुरा असर पड़ा है। जानकारों का मानना है कि लॉकडाउन के दौरान घर पर रहने के कारण प्रदूषण, बाहर का खाना आदि से दूर रहने के कारण सर्दी, जुकाम, बुखार, पेट की बीमारी जैसे रोगों में कमी आई है। इसकी वजह से इन आम बीमारियों की दवाओं की बिक्री भी घटी है। सरकारी और प्राइवेट ओपीडी का बंद रहना भी एक कारण है।
झारखंड में 17 हजार दुकानदारों ने जहां पिछले साल अप्रैल महीने में लगभग 140 करोड़ रुपये की दवाओं का कारोबार किया था वहीं इस वर्ष अप्रैल में आंकड़ा 50 करोड़ के आसपास ही रहा। मई में बिक्री कुछ बढ़ी भी तो आंकड़ा आधे के आसपास ही पहुंचा है। बड़ी बात यह कि ब्रांडेड दवाइयों का कारोबार कुछ हद तक बना रहा, लेकिन जेनरिक दवाएं और संपर्क आधारित दवाओं की बिक्री में भारी कमी रही। थोक व्यवसायियों के साथ ऐसी परेशानी नहीं है। खासकर जिनके पास ब्रांडेड प्रोडक्ट हैं। ऐसे ही एक थोक व्यवसायी बलकार सिंह नामधारी बताते हैं कि उनके यहां से दवाइयों की बिक्री 40 से 50 प्रतिशत तक कम हुई है। राज्य में डायबीटिज, ब्लड प्रेशर की दवा की बिक्री भी अचानक घट गई है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि लॉक डाउन लागू होने के साथ ही मरीजों ने पांच-छह माह की दवा खरीद ली। मार्च के अंतिम सप्ताह में इन बीमारियों की दवा की बिक्री अचानक बढ़ गई थी। लेकिन अप्रैल-मई में इनकी भी बिक्री घट गई।
इसलिए कम बिकी दवाएं
- निजी अस्पतालों में ओपीडी अब भी बंद।
-डाक्टरों के नर्सिग होम भी बंद।
- बड़े अस्पतालों में टालने लायक सर्जरी टाली जा रही है।
-ज्यादातर डेंटल क्लिनिक बंद।
-प्रदूषण के स्तर में सुधार से लोग बीमार भी कम पड़ रहे हैं।
- लॉकडाउन में कम वाहनों के चलने से दुर्घटनाओं में भी कमी।
छत्तीसगढ़: लॉकडाउन के दो महीनों में पिछले वर्ष के मुकाबले दवाओं की बिक्री में करीब 50 फीसद की कमी आई है। राज्य में पिछले वर्ष अप्रैल, मई माह में 180 करोड़ रपये का व्यवसाय हुआ था। वह इस बार घटकर 92 करोड़ रपये हो गया है। दवा विक्रेता संघ रायपुर के अध्यक्ष विनय कृृपलानी यह भी बताते हैं कि इस सीजन में पीलिया और डायरिया तथा वायरल की दवाओं की बिक्री भी होती थी जो इस वर्ष 20 फीसद से भी कम है। इसकी वजह लोगों के खानपान की शैली में बदलाव भी हो सकता है।
पंजाब : पंजाब में इस साल मार्च व अप्रैल के दौरान करीब 184 करोड़ रुपये की दवाइयां बिकीं। पिछले साल इसी दो माह की अवधि में 267 करोड़ रुपये की दवाइयां बिकी थीं। पंजाब होलसेल केमिस्ट एसोसिएशन के प्रधान सुरेंद्र दुग्गल ने बताया कि प्रदेश में कफ्र्यू के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री में 23 फीसद तक बढ़ोतरी दर्ज की गई। हाइपरटेंशन से संबंधित दवाओं की बिक्री 17 फीसद तक बढ़ी है। पेनकिलर व डिप्रेशन की दवाएं भी ज्यादा बिकी हैं।
उप्र : लखनऊ में 3,491 थोक दवा दुकान हैं। वहीं 4,800 फुटकर दवा विक्रेता हैं। लॉकडाउन के वक्त 80 अमीनाबाद मेडिसिन मार्केट, 200 ट्रांसपोर्ट नगर, 200 डिपो व एक हजार फुटकर दवा दुकानें खुलीं। केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट फेडरेशन के प्रवक्ता सुरेश कुमार के मुताबिक पिछले वर्ष मार्च में जहां 1750 करोड़ की दवा बिक्री हुई। वहीं इस वर्ष मार्च में1850 का दवा कारोबार हुआ। अप्रैल में बिक्री काफी प्रभावित रही। गत अप्रैल में लगभग 1900 करोड़ की दवा बिक्री हुई, जबकि इस वर्ष अप्रैल में दवा कारोबार सिमट कर 1670 करोड़ रह गया। डायबिटीज, Oदय रोग, बीपी व गाइनी की दवा छोड़कर सभी में गिरावट दर्ज की गई।