कोरोना में सुरक्षा भी परीक्षा भी, जानिए बोर्ड एग्जाम में कैसे एकाग्रचित रहकर करनी है इस बार तैयारी
इस साल कोरोना वायरस महामारी के कारण छात्रों में सुरक्षित परीक्षा देने को लेकर मन थोड़ा सशंकित है। इससे ना सिर्फ स्टूडेंट्स बल्कि पैरेंट्स की चिंता भी बढ़ गई है। आइए जानते हैं कि कैसे इस साल सुरक्षा के साथ परीक्षा की एकाग्रचित होकर तैयार करनी है।
नई दिल्ली, अंशु सिंह। सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाओं के काउंट डाउन के बाद स्टूडेंट अपनी तैयारी को धार देने में जुटे हैं। लेकिन कोरोना के बीच सुरक्षित परीक्षा देने को लेकर मन थोड़ा सशंकित है। स्टूडेंट्स के साथ पैरेंट्स की चिंता भी बढ़ गई है। लेकिन परीक्षाएं तो होनी हैं और उसमें शामिल भी होना है। फिर क्यों न अपने मन को हर प्रकार के भय से दूर रख, तैयारी पर फोकस करें। यह विश्वास रखें कि जो होगा,वह अच्छा होगा। हां,सतर्क रहने और सावधानी बरतने में कोई दिक्कत नहीं। क्योंकि जबमन होगा चंगा,तो सब होगा अच्छा...
कोविड-19 के कारण करीब एक साल के बाद स्कूल पहुंचे १२वीं के स्टूडेंट आलोक मिश्रा के लिए कई चीजें बदल चुकी हैं। वह बिना मास्क के स्कूल में प्रवेश नहीं कर सकते। प्रवेश द्वार पर ही उनका तापमान लिया जाता है। कक्षा में सहपाठियों से एक निश्चित दूरी पर बैठना होता है। इन दिनों प्री-बोर्ड की परीक्षाएं भी चल रही हैं। दो महीने बाद बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी। लखनऊ स्थित केंद्रीय विद्यालय के छात्र आलोक बताते हैं, ‘कोरोना ने बहुत कुछ बदला है। लेकिन स्कूल में सैनिटाइजेशन से लेकर तमाम दूसरी व्यवस्थाएं है। ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन क्लासेज भी चल रही हैं। सीबीएसई के सैंपल पेपर्स से काफी मदद मिल रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि ३० फीसद तक कम हो चुके सिलेबस के रिवीजन के लिए पर्याप्त समय मिल रहा है। एक दिन में मैं एक विषय पर ही ध्यान देता हूं।‘ ह्यूमैनिटीज के छात्र आलोक ने अपनी एक टाइम टेबल बनायी है। उसी के अनुसार वह दिन में आठ से नौ घंटे पढ़ाई कर रहे हैं। इसके बीच जो थोड़ा समय मिलता है, उसमें दोस्तों से बात करते हैं। मोबाइल से थोड़ा ध्यान भटकता है, इसलिए ज्यादातर समय उसे बंद ही रखते हैं।
इसी स्कूल के विज्ञान के छात्र प्रशांत की मानें, तो मन में किसी प्रकार का डर रखने से अपनी तैयारी ही बाधित होगी। इसलिए वह बिना कुछ सोचे, सिर्फ अपनी पढ़ाई पर फोकस रख रहे हैं। १०-१२ घंटे की टारगेटेड स्टडी कर रहे हैं। जब दिमाग थोड़ा बोझिल होने लगता है, तो पार्क में टहल लेते हैं। कहते हैं प्रशांत, ‘ऑनलाइन क्लासेज का एक फायदा हुआ है कि हम नियमित रूप से टीचर्स से जुडे रहतेहैं। कुछ दुविधा होती है, तो बेझिझक पूछ भी सकते हैं। टीचर्स भी काफी सहयोग करते हैं।’
पैरेंट्स का डर हुआ दूर
बोर्ड परीक्षाओं की तारीखों की घोषणा के बाद से बच्चों के साथ-साथ पैरेंट्स भी स्वास्थ्य की सुरक्षा को लेकर परेशान थे। ऐसे में तमाम एहतियात बरतने के बाद जब १०वीं से १२वीं तक के स्टूडेंट्स को स्कूल बुलाने की कवायद शुरू हुई, तो फिर कुछ सुगबुगाहट हुई। पैरेंट्स द्वारा सवाल उठाए गए। लेकिन पढ़ाई जरूरी थी। बच्चे प्रायोगिक कक्षाओं के लिए स्कूल पहुंचे। वहां की व्यवस्था देखने से सबमें एक आत्मविश्वास जगा और धीरे-धीरे उन्होंने नये माहौल के अनुरूप खुद को तैयार किया। बोर्ड की परीक्षा देने जा रहे प्रशांत के पिता सरोज कहते हैं कि शुरू में हम सभी जरूर डरे हुए थे। लेकिन अब तो वैक्सीन भी आ गई है। स्कूल प्रबंधन भी बच्चों का पूरा ध्यान रख रहा है। ऐसे में हम भी बच्चों से सिर्फ अपनी तैयारी पर ध्यान देने को कह रहे हैं। नोएडा के एक निजी स्कूल की अंग्रेजी की शिक्षिका सोनू मल्होत्रा की मानें, तो बच्चों एवं अभिभावकों के साथ-साथ टीचर्स के लिए भी इस बार एक नया अनुभव रहा। हमने कोशिश की कि स्टूडेंट्स को स्कूल की कमी महसूस न हो। सिलेबस कम होने से किसी विषय को समझाने एवं उसे दोहराने के लिए पर्याप्त समय मिला।
स्कूल में होंगी प्रायोगिक परीक्षाएं
दोस्तो, इसमें दो मत नहीं कि बीते वर्षों की तुलना में इस बार स्टूडेंट्स को अपनी तैयारी एवं रिवीजन के लिए पूरा समय मिला है। अमूमन जो परीक्षाएं मार्च से शुरू होकर अप्रैल में खत्म हो जाती थीं, वह इस बार मई महीने से शुरू हो रही हैं। सीबीएसई बोर्ड ने पेपर्स के बीच अच्छा गैप भी रखा है। प्रैक्टिकल्स शुरू हो चुकी हैं, जो ११ जून तक चलेंगी। बोर्ड द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुसार, प्रैक्टिकल परीक्षाएं स्कूल में ही होंगी, जिसकी निगरानी के लिए इंटरनल एवं एक्सटरनल दोनों एग्जामिनर्स उपलब्ध होंगे। परीक्षा के फौरन बाद अंकों को अपलो़ड करना होगा। किसी भी सूरत में इन नियमों के टूटने पर परीक्षा को रद्द कर दिया जाएगा औऱ सैद्धांतिक परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर मार्क्स दिये जाएंगे। बोर्ड की ओर से एक ऑब्जर्वर भी नियुक्त किया जाएगा, जो परीक्षा का सुपरविजन करेगा। परीक्षा से पहले स्कूल प्रशासन को लैब को सैनिटाइज करना होगा। स्टूडेंट्स एवं टीचर्स के लिए मास्क पहनना अनिवार्य होगा। उन्हें शारीरिक दूरी बनाकर रखनी होगी। इसके अलावा, स्कूल में प्रवेश एवं बाहर निकलने के लिए अलग-अलग रास्ते तय किये जाएंगे।
स्वयं पर रखें विश्वास
करिश्मा अरोड़ा, सीबीएसई टॉपर 2019
किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए फोकस बहुत जरूरी होता है। पढ़ाई में हम जितने नियमित रहेंगे। एक समान पढ़ेंगे और अपनी कमजोरियों को दूर कर बेहतर करने की कोशिश करेंगे, उससे किसी और का नहीं, खुद का ही फायदा होगा। मैंने कभी सोचा नहीं था कि बोर्ड में टॉप करूंगी। मेहनत से पढ़ाई की थी बस। अपना १०० प्रतिशत दिया था। हालांकि यह कतई जरूरी नहीं है कि आप टॉपर ही बनें। मन से, मेहनत से पढ़ाई करें। परीक्षा दें औऱ सब भूल जाएं।
सीबीएसई की तरफ से है पूरी तैयारी
रेणु सिंह, प्रिंसिपल, एमेटी इंटरनेशनल स्कूल, नोएडा
सीबीएसई ने इस वर्ष छात्रों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए कई नये प्रयोग किये हैं। विगत वर्षों की अपेक्षा ज्यादा परीक्षा केंद्र होंगे। पहले जहां एक कमरे में ३० छात्रों के बैठने की व्यवस्था होती थी, वहीं इस बार एक कमरे में १२ बच्चे ही बैठ सकेंगे। परीक्षा की निगरानी के लिए पर्याप्त शिक्षकों को तैनात किया जाएगा। केंद्रों पर प्रवेश से पहले बच्चों का तापमान आदि भी लिया जाएगा। जहां तक प्रायोगिक परीक्षाओं की बात है, तो इस बार बोर्ड ने लंबा विंडो पीरियड (एक मार्च से ११ जून) दिया है, जिससे हम भी बच्चों पर स्कूल आने का कोई दबाव नहीं डाल रहे। उन्हें छोटे-छोटे समूहों में स्कूल बुलाया जा रहा है। उन्हें धीरे-धीरे प्रैक्टिकल्स कराये जा रहे हैं। कोरोना काल में नि:संदेह ऑनलाइन क्लासेज सफलतापूर्वक संचालित की गईं। लेकिन उनकी अपनी एक सीमा है। इसलिए स्टूडेंट्स एवं टीचर्स का नियमित रूप से इंटरैक्शन कराया जाता है। बच्चों के साथ पैरेंट्स की भी काउंसिलिंग की जाती है। इसलिए बच्चे विश्वास रखें और पूरी तैयारी से परीक्षा दें।
स्कूल के साथ बढ़ी पैरेंट्स की जिम्मेदारी
ज्योति गुप्ता, प्रिंसिपल, डीपीएस, गाजियाबाद
स्कूल सभी एहतियात बरत रहे हैं, लेकिन इस समय सबको साथ मिलकर चलने की आवश्यकता है। पैरेंट्स को भरोसा रखना होगा। उन्हें अपने बच्चों को कोविड-१९ के एक्सपोजर से बचाना होगा। क्योंकि लोगों की दिनचर्या सामान्य हो रही है। दफ्तर, बाजार, सिनेमाघर, स्पोर्ट्स कॉंम्प्लेक्स सब खुल चुके हैं। रेल, हवाई यात्राएं कर रहे हैं लोग। कई पैरेंट्स भी यह सब कर रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि वे अपने साथ बच्चों की सेहत का पूरा ध्यान रखें। जो पैरेंट्स ज्यादा बाहर निकलते हों, जिनका एक्सपोजर ज्यादा लोगों से होता है, वे कुछ समय के लिए बच्चों से खास शारीरिक दूरी बनाकर रखें। कोई भी दिक्कत होती है, तो स्कूल को सूचित करें। शिक्षकों से भी यही उम्मीद रहती है। बच्चों से यही कहना चाहती हूं कि इधर-उधर अधिक सोचने या दिमाग को भटकाने की बजाय तैयारी पर फोकस करें। अभी भी दो महीने हैं परीक्षाओं में औऱ बच्चों को सिर्फ पांच सब्जेक्ट ही पढ़ने हैं। इसलिए याद करने के अलावा लिखने का भी भरपूर अभ्यास करें, जो कि इस कोरोना काल में थोड़ा कम ही हुआ। सैंपल पेपर्स के साथ ही शिक्षकों द्वारा उपलब्ध कराये जा रहे पेपर्स को सॉल्व करते रहें। दिमाग को कूल रखें। योग एवं प्राणायाम करें। पौष्टिक आहार लें औऱ रिलैक्स रहें। बाहर निकलने से बचें।