सचिन पायलट की पॉलीटिकल बाजीगरी, विरोधियों को लगाया ठिकाने
राजस्थान प्रदेश कांंग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने संगठन में अपने लोगों को अहम पदों पर बिठाकर हवाओं का रुख अपने हक में करने की कोशिश शुरू कर दी है।
जयपुर (नरेन्द्र शर्मा)। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने प्रदेश पदाधिकारियों को जिलों एवं अग्रिम संगठनों का प्रभार सौंपा है, जिसमें साफ दिख रहा है कि उन्होंने पूरी तरह से पॉलिटिकल बाजीगरी का सहारा लिया है। यानी अपनों को खास जगह और अन्य को अन्य को कम महत्व का प्रभार सौंपा गया है। पायलट ने अपनी पसंद के पदाधिकारियों को प्रदेश की राजनीति में महत्व रखने वाले जिलों का प्रभार सौंपकर ढाई वर्ष बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां अभी से प्रारम्भ कर दी। इन प्रभारी पदाधिकारियों का काम संगठन की गतिविधियां चलाने के साथ ही पायलट के लिए भविष्य का ग्राउंड तैयार करना है।
पायलट समर्थक अभी से उन्हें भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने लगे है। प्रभार का बंटवारा करते समय पायलट ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. सी.पी. जोशी के निकट माने जाने वाले पीसीसी पदाधिकारियों को कम महत्व के जिलों का प्रभार सौंपा है। इससे पूर्व अग्रिम संगठन के प्रदेश अध्यक्ष भी पायलट अपनी पसंद के बना चुके है। पूर्व में गहलोत समर्थक नेता अग्रिम संगठनों की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। जयपुर जैसी महत्वपूर्ण जगह पर उपाध्यक्ष रघु शर्मा प्रभारी थे, लेकिन अब उन्हें यहां से रवाना कर दिया गया है।
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रघु शर्मा को दौसा भेजकर भंवरलाल मेघवाल को जयपुर का प्रभारी बनाया गया है। भंवरलाल मेघवाल लगातार इस तरह का बर्ताव कर रहे हैं, जिससे स्पष्टï हो रहा है कि वे सचिन के खास आदमी बन गए हैं। उन्हें जयपुर समेत चार जिलों की जिम्मेदारी दी गई हैं। पिछले दिनों दलित सम्मेलन का संचालन भी मेघवाल के हाथ में था। इसी तरह कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी गुरुदास कामत या दिल्ली के दबाव में प्रदेश कार्यकारिणी में जगह बनाने वाले महेश शर्मा और खानू खान एवं ज्योति खंडेलवाल को भी ऐसी जगह भेजा गया है, जहां वे खुलकर काम नहीं कर सकते। खानू खान और ज्योति खंडेलवाल को विश्वेन्द्र सिंह के इलाके में प्रभारी बनाया है, जहां उनकी एक नहीं चलने वाली। इसी तरह वैभव गहलोत को धौलपुर में ही रखा गया है, जहां भी विश्वेन्द्र सिंह का प्रभाव है।
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