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स्वतंत्र कुमार ने पांच करोड़ मानहानि का दावा किया

लॉ इंटर्न से यौन शोषण के आरोप में घिरे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरमैन स्वतंत्र कुमार ने दिल्ली हाई कोर्ट में पांच करोड़ रुपये की मानहानि का मामला दायर किया है। उन्होंने इस संबंध में मीडिया रिपोर्टिग पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की है। अंग्रेजी अखबार इंडियन

By Edited By: Published: Wed, 15 Jan 2014 09:55 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2014 02:33 PM (IST)
स्वतंत्र कुमार ने पांच करोड़ मानहानि का दावा किया

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। लॉ इंटर्न से यौन शोषण के आरोप में घिरे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरमैन स्वतंत्र कुमार ने दिल्ली हाई कोर्ट में पांच करोड़ रुपये की मानहानि का मामला दायर किया है। उन्होंने इस संबंध में मीडिया रिपोर्टिग पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स नाऊ चैनल, सीएनएन-आइबीएन और लॉ इंटर्न के खिलाफ मामला दायर किया गया है। न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह ने मीडिया रिपोर्टिग पर प्रतिबंध को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत इस पर गुरुवार को फैसला सुनाएगी।

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न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी के समक्ष बुधवार सुबह पूर्व जज स्वतंत्र कुमार की तरफ से कुछ वकील पेश हुए। उन्होंने मानहानि मामले की याचिका दायर कर मीडिया रिपोर्टिग पर प्रतिबंध की मांग की। उन्होंने दलील दी कि सिर्फ अदालत में हुई सुनवाई की निष्पक्ष रिपोर्टिग की ही अनुमति मीडिया को दी जाए। इसके बाद मामले को न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह की खंडपीठ के समक्ष भेज दिया गया। स्वतंत्र कुमार ने याचिका में कहा है कि मीडिया उनके बारे में गलत तथ्य दिखा रहा है। लॉ इंटर्न का शपथपत्र भी मीडिया ने छाप दिया और टीवी पर दिखा गया, जबकि वह गोपनीय दस्तावेज था। सीएनएन-आइबीएन ने 10 जनवरी को एक कार्यक्रम में गलत तथ्य चलाए, जिससे मानहानि हुई है।

पढ़ें: लॉ इंटर्न केस में एससी का टिप्पणी से इंकार, तंत्र के लिए नोटिस

टाइम्स नाऊ ने दलील दी कि उसने निष्पक्ष रिपोर्ट दिखाई थी और भविष्य में भी ऐसा ही करेंगे। वही दिखाया गया है, जो लॉ इंटर्न ने हलफनामे में कहा। वह कागजात सार्वजनिक था। ऐसे में उसमें मौजूद जानकारी दिखाकर उसने कुछ गलत नहीं किया। सीएनएन-आइबीएन की तरफ से कहा गया कि दस जनवरी को दिखाई गई रिपोर्ट का दोबारा टेलीकास्ट नहीं किया जाएगा। वह अब सिर्फ अदालत में हुई सुनवाई को ही दिखाएगा। केंद्र सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलीसिटर जनरल राजीव मेहरा ने दलील दी कि अभी यह नहीं पता चल रहा है कि मीडिया संस्थानों को कागजात कहां से मिले हैं।

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