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    UPSC के इंटरव्यू में जयशंकर से क्या पूछा गया था? विदेश मंत्री ने बताया- 'इमरजेंसी का आखिरी दिन था और...'

    By Agency Edited By: Piyush Kumar
    Updated: Sun, 20 Jul 2025 10:51 PM (IST)

    विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा के अपने इंटरव्यू के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उनका इंटरव्यू आपातकाल के अंतिम दिन हुआ था। ...और पढ़ें

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    एस जयशंकर ने UPSC के सिविल सर्विस परीक्षा के अपने इंटरव्यू को किया याद।(फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विदेश मंत्री और पूर्व IFS अधिकारी एस जयशंकर ने UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) के सिविल सर्विस परीक्षा के अपने इंटरव्यू को लेकर जानकारी शेयर की है। उन्होंने बताया कि उनका इंटरव्यू आपातकाल के आखिरी दिन हुआ था।

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    जयशंकर ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में सिविल सेवा में शामिल होने वाले नए बैच के लोगों से बातचीत करते हुए कहा कि उनका इंटरव्यू 21 मार्च 1977 में हुआ था। इसी दिन 21 महीनों तक देश में चले आपातकाल को खत्म किया गया था।

    विदेश मंत्री एस जयंशकर इंटरव्यू के दिन को याद करते हुए कहा, , मैं शाहजहां रोड पर साक्षात्कार के लिए गया। उस सुबह सबसे पहले पहुंचने वाला मैं था।'उस इंटरव्यू में मैंने दो बातें सीखी। पहला कि जब आप पर प्रेशर के बीच आपके संवाद का महत्व और दूसरा कि लोग एक दायरे से बाहर नहीं देख रहे थे।

    उन्होंने आगे बताया कि जब वो इंटरव्यू देने गए थे तो उनकी उम्र महज 22 साल थी। 70 वर्षीय जयशंकर ने ये भी बताया कि आपातकाल को लेकर उस समय वो क्या सोच रहे थे।

    'इंटरव्यू में मेरा संवाद कौशल काम करने लगा'

    विदेश मंत्री ने कहा कि इंटरव्यू में उनसे पूछा गया था कि 1977 के चुनावों में क्या हुआ था। एक छात्र के रूप में जेएनयू से अपने जुड़ाव और राजनीति विज्ञान विषय का हवाला देते हुए विदेश मंत्री ने कहा, 'मैं भाग्यशाली था'। हमने 1977 के चुनाव अभियान में हिस्सा लिया था। हम सभी वहां गए थे और आपातकाल के खिलाफ काम किया था।' उन्होंने कहा, तो जवाब देते वक्त, 'मैं भूल गया था कि मैं इंटरव्यू में हूं', और उस समय, 'किसी तरह मेरा संवाद कौशल काम करने लगा।'

    मैंने इंटरव्यू में दो बातें सीखी

    इंटरव्यू की बारीकियों पर बात करते हुए एस जयशंकर ने कहा,"'उन लोगों को, जो सरकार से काफी जुड़े हुए हैं, सहानुभूति रखते हैं, उन्हें आहत किए बिना यह समझाना कि क्या हुआ था, वास्तव में एक बड़ी चुनौती थी।' और दूसरी बात जो उन्होंने उस दिन सीखी, वह थी (इस लुटियंस बबल) यानी लुटियंस दिल्ली के दायरे तक सिमटने के बारे में।

    कई बार महत्वपूर्ण लोग एक तरह के 'बबल' (सिमटे दायरे) में रहते हैं और उन्हें यह एहसास ही नहीं होता कि देश में वास्तव में क्या हो रहा है।'

    उन्होंने कहा कि जो लोग जमीन पर काम कर रहे थे- जैसे कि उनके जैसे छात्र जो चुनाव अभियानों का हिस्सा थे और मुजफ्फरनगर जैसे इलाकों में गए थे-'हमें जमीन पर एक माहौल का अंदाजा हो गया था', लेकिन दिल्ली में बैठे लोग, जिनके पास सभी तंत्र से सारी जानकारियां थीं, 'किसी तरह वो उसे समझ नहीं पाए'।

    उन्होंने कहा जो लोग मेरा इंटरव्यू ले रहे थे वो लोग सचमुच हैरान थे, उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि ये चुनाव परिणाम आए हैं, जबकि हम आम छात्र देख सकते थे कि आपातकाल के खिलाफ लहर थी। जयशंकर ने कहा कि उस दिन से उन्होंने दबाव में भी संवाद करना तथा लोगों को नाराज किए बिना ऐसा करना सीख लिया। उन्होंने कहा कि आप लोगों को कैसे समझाते हैं, कैसे उन्हें मनाते हैं। यह एक बड़ी बात है।

    जब विदेश मंत्री से पूछा गया कि लोकतंत्र का आकलन करने का पैमाना क्या है? तो उन्होंने कहा, मेरे लिए मेरे लिए, एक सफल लोकतंत्र वह है जब पूरे समाज को अवसर मिले; तभी लोकतंत्र काम कर रहा है। उन्हें अपनी बात कहने का अधिकार है, लेकिन यह कुछ लोगों का, पूरे समाज की ओर से अपनी बात कहने का अधिकार नहीं है।'

    'आप 20 साल आगे की सोचें'

    यूपीएससी में सफल अभ्यर्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने उनसे आग्रह किया कि वे याद रखें कि वे सभी "एक सेवा में प्रवेश कर रहे हैं"।

    विदेश मंत्री ने कहा, "25 वर्षों का यह अमृत काल आपका युग है। आपका युग, क्योंकि आपको काम करना होगा, आपको परिणाम देने होंगे, और आप इस युग के लाभार्थी होंगे, आप इस युग के नेता होंगे।" उन्होंने उनसे 2047 तक विकसित भारत के विजन में योगदान देने का आग्रह किया

    उन्होंने कहा, "मैं चाहता हूं कि आप 20 साल आगे की सोचें... जब हम विकसित भारत की यात्रा की ओर बढ़ेंगे, तो आपका योगदान क्या होगा? और, विकसित राष्ट्र बनाने के सपने को साकार करने के लिए आपको कैसी मानसिकता लानी होगी।"

    विदेश मंत्री ने यूपीएससी परीक्षा को अग्नि परीक्षा के समान बताया और कहा कि यह सेवाओं के लिए चयन की दुनिया की एक ''अनोखी'' परीक्षा प्रणाली है।

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