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परमाणु तकनीक के भारतीय दावे को राजनीतिक रंग न दे चीन : एस जयशंकर

भारतीय विदेश सचिव एस जयशंकर ने चीन को खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि उसे एनएसजी के मुद्दे पर राजनीति करने से बाज आना चाहिए।

By Lalit RaiEdited By: Published: Sat, 10 Dec 2016 12:04 AM (IST)Updated: Sat, 10 Dec 2016 09:29 AM (IST)
परमाणु तकनीक के भारतीय दावे को राजनीतिक रंग न दे चीन :  एस जयशंकर

नई दिल्ली, प्रेट्र । एक-दूसरे की वैध आकांक्षाओं का सम्मान करने का आह्वान करते हुए भारत ने शुक्रवार को कहा कि नागरिक परमाणु तकनीक हासिल करने के भारतीय प्रयासों को चीन राजनीतिक रंग न दे। बता दें कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता हासिल करने के भारत के प्रयास का बीजिंग लगातार विरोध कर रहा है।

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'चीन सभी मुद्दों को एक करके न देखे'

भारत-चीन थिंक टैंक फोरम को संबोधित करते हुए विदेश सचिव एस. जयशंकर ने कट्टरपंथी आतंकवाद से निपटने के लिए द्विपक्षीय सहयोग की वकालत भी की। उन्होंने इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दोनों देशों के एक साथ नहीं आ सकने पर असंतोष भी जाहिर किया। उनकी इस टिप्पणी को जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक आतंकी घोषित करवाने के प्रयास में चीनी विरोध के संदर्भ में देखा जा रहा है।

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'एनएसजी पर राजनीति न करे चीन'

एनएसजी में भारत की दावेदारी का जिक्र किए बिना जयशंकर ने कहा कि परमाणु तकनीक नियंत्रण समूह का आधार बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि परमाणु अप्रसार को लेकर भारत की नीति और उसका इतिहास साफ है। भारत की स्पष्ट सोच है कि ऊर्जा के लिए परमाणु समझौते होने चाहिए। इस मुुद्दे को लेकर चीन की रणनीति और कूटनीति विभेदकारी है। एनएसजी में सदस्यता हासिल करने के लिए भारत पूरजोर कोशिश कर रहा है। चीन से भारत को ये उम्मीद है कि वो बिना किसी पूर्वाग्रह के भारत की दावेदारी का समर्थन करेंगे। साथ ही उन्होंने पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने जैसे अहम वैश्विक मुद्दों पर भारत-चीन के बीच गहरे सहयोग पर जोर दिया।

'मतभेद के बाद भी हो सकता है सहयोग'

विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि दोनों देश एक प्राचीन संस्कृति को साझा करते हैं। आपसी मतभेदों के बावजूद तमाम ऐसे मुद्दे हैं,जिनपर हम आगे बढ़ सकते हैं। आज के बदलते परिवेश में ये जरूरी है कि भारत के प्रति चीन अपनी सोच में खुलापन लाए ताकि तेजी से उभर रहे दोनों देश वैश्विक ताकत बन सकें। हमें एक दूसरे की संप्रभुता का सम्मान कर आगे बढ़ना होगा।

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