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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- एलएसी पर चीन के साथ काम अधूरा, समाधान खोजने के लिए प्रयास जारी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर काम अधूरा है और दोनों पक्षों की सेनाएं व राजनयिक इस मुद्दे का समाधान खोजने के लिए काम कर रहे हैं। File Photo

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyPublished: Thu, 30 Mar 2023 04:50 AM (IST)Updated: Thu, 30 Mar 2023 04:50 AM (IST)
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- एलएसी पर चीन के साथ काम अधूरा, समाधान खोजने के लिए प्रयास जारी
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- एलएसी पर चीन के साथ काम अधूरा

नई दिल्ली, पीटीआई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर काम अधूरा है और दोनों पक्षों की सेनाएं व राजनयिक इस मुद्दे का समाधान खोजने के लिए काम कर रहे हैं।

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एक कार्यक्रम में जयशंकर ने राहुल गांधी द्वारा एलएसी पर स्थिति और यूक्रेन संघर्ष की तुलना करने के प्रयास की निंदा करते हुए कहा, 'यूक्रेन में आज जो कुछ हो रहा है, उस पर एक पक्ष कहेगा कि नाटो के विस्तार और यूक्रेन की सत्ता के चरित्र से खतरा है। पश्चिम कहेगा कि रूस विस्तारवादी है। इसके और भारत-चीन के बीच क्या समानता है? यहां नाटो की कोई भूमिका नहीं है, यहां सत्ता के चरित्र की कोई भूमिका नहीं है। मुझे कोई समानता नहीं दिखती।

भारत को लेकर फैलाई गई अफवाह

जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत के गश्ती क्षेत्रों में बफर जोन बनाए जाने के बारे में ''अफवाह'' फैलाई गई। उन्होंने कहा कि 2020 में गलवन संघर्ष के बाद सेना और कूटनीति के मिश्रण ने प्रगति की है, लेकिन दोनों पक्ष अभी तक सभी मुद्दे नहीं सुलझा पाए हैं। एलएसी पर वर्तमान स्थिति के बारे में उन्होंने कहा, ''जो कुछ भी किया गया है वह आपसी सहमति और वार्ता के जरिये किया गया है, लेकिन यह काम अभी भी अधूरा है।''

दोनों देशों के बीच प्रकृति को समझना महत्वपूर्ण

विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के साथ रिश्तों को समझने के लिए दोनों देशों के बीच समस्या की प्रकृति को समझना होगा। उन्होंने कहा, ''भारत और चीन के बीच समस्या की प्रकृति यह है कि दोनों सेनाएं जो एलएसी पर या उसके पास या उसके बहुत पास तैनात नहीं थीं। मई-2020 से पहले दोनों सेनाएं मुख्य रूप से दूरस्थ स्थानों में तैनात थीं जहां उनके स्थायी ठिकाने थे। 2020 में चीनियों ने 1993-96 के समझौते का उल्लंघन किया और उन्हें एलएसी पर सेना ले आए।''

उन्होंने कहा कि जाहिर तौर पर हमने इसका प्रतिकार किया। नतीजतन, अब बहुत अधिक करीबी तैनाती की एक बहुत ही जटिल स्थिति है जो सैन्य आकलन के अनुसार एक बहुत ही खतरनाक स्थिति है।विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने चीन को स्थिति के बारे में आगाह किया था लेकिन फिर गलवन हुआ जो इस बात का सुबूत था कि स्थिति कितनी अस्थिर हो सकती है।

एलएसी को लेकर बोले विदेश मंत्री

उन्होंने कहा कहा, ''मैं सितंबर-2020 में अपने चीनी समकक्ष से मिला था और उन्होंने स्वीकार किया कि यह एक खतरनाक स्थिति थी। तब से हम अग्रिम तैनाती को पीछे करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह तभी किया जा सकता है जब आपसी सहमति हो।'' जयशंकर ने कहा कि हो सकता है कि भारत ने अतीत में इस तरह के कुछ एकतरफा कदम उठाए हों, लेकिन पाया कि यह दूसरे पक्ष ने ऐसा नहीं किया था। उन्होंने कहा, ''हमने जो कुछ भी किया है वह आपसी और समान सुरक्षा के सिद्धांत के आधार पर किया है, जिसका मतलब है कि अगर हम यहां से वापस जाते हैं, तो वे वहां वापस चले जाते हैं।''-

किसी विदेशी राजनयिक ने नहीं उठाया राहुल की अयोग्यता का मुद्दा

जयशंकर ने बुधवार को कहा कि किसी विदेशी राजनयिक ने लोकसभा से राहुल गांधी को अयोग्य घोषित किए जाने का मुद्दा नहीं उठाया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता को उसी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया गया है, जिसका उन्होंने खुद समर्थन किया था। राहुल को इसलिए अयोग्य ठहराया गया है क्योंकि उन्होंने चार वर्ष पहले एक समुदाय के विरुद्ध की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर अफसोस जताने से इन्कार कर दिया था।

जी-20 को विकास के मूल मुद्दे पर लाने में कामयाब रहा भारत

जयशंकर ने कहा कि भारत जी20 को वैश्विक वृद्धि और विकास के मूल एजेंडे पर लाने में कामयाब रहा है। पिछले वर्ष तक यह यूक्रेन युद्ध जैसे मुद्दों से जूझ रहा था। उन्होंने कहा कि जी20 संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद नहीं है। यह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा करने का प्राथमिक मंच नहीं है। भारत चाहेगा कि वह दुनिया के लगभग 200 देशों से संबंधित मामलों पर लौट आए।

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा जैसे मुद्दे मायने रखते हैं, लेकिन खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, राष्ट्रों के लिए हरित वित्तपोषण जैसे गंभीर मुद्दे भी चिंता के विषय हैं। एरिक गार्सेटी के भारत में अमेरिकी राजदूत के रूप में नियुक्ति और मानवाधिकारों पर उनके विचारों के बारे में रिपोर्ट पर जयशंकर ने कहा कि उन्हें सौ प्रतिशत प्यार से समझा देंगे। गार्सेटी ने कहा था कि वह नागरिकता संशोधन अधिनियम आदि के माध्यम से होने वाले मानवाधिकार और भेदभाव के मुद्दों पर नियुक्ति के बाद बातचीत करेंगे।


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