रूस अफगानिस्तान में नहीं करेगा दूतावास बंद, पश्चिमी देशों ने अपने नागरिकों को काबुल से निकाला
रूस को उम्मीद नहीं थी कि तालिबान इतनी आसानी से काबुल पर कब्जा कर लेगा। उन्हें अमेरिका और नाटो की ओर से अफगान लड़ाकों को दिए गए सैन्य प्रशिक्षण पर पूरा भरोसा था। पर अफगान सेना ने पहली ही गोली पर सब कुछ छोड़ दिया।
नई दिल्ली, एपी। अफगानिस्तान संकट के चलते विभिन्न देशों ने अपने नागरिकों को वहां से अपने विशेष विमान भेजकर निकालना शुरू कर दिया है। सोमवार की सुबह ब्रिटेन, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, इटली, स्वीडन जैसे पश्चिमी देशों ने विमान भेजकर अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की। जबकि रूस ने साफ कहा कि वह काबुल से करीब सौ कर्मचारियों को वापस बुलाएगा, लेकिन अपना दूतावास बंद नहीं करेगा।
पाकिस्तान ने रोकी उड़ानें, नेपाल ने मांगी मदद
पाकिस्तान ने काबुल एयरपोर्ट के घातक हालात को देखते हुए वहां जाने वाली अपनी उड़ानें रोक दीं। पड़ोसी नेपाल ने वहां फंसे अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए अमेरिका समेत कई देशों से मदद मांगी है।
पाक ने यात्रियों, चालक दल और विमानों की सुरक्षा के लिए बंद करने का लिया फैसला
पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइंस के प्रवक्ता अब्दुल्ला हाफीज ने बताया कि काबुल जाने वाली उनकी सभी उड़ानों को रोक दिया गया है। उन्होंने कहा कि अफगान नागरिक उड्डयन प्राधिकरण से सलाह करने के बाद पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस ने अपने यात्रियों, चालक दल के सदस्यों और विमानों की सुरक्षा के लिए यह फैसला लिया है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और कतर ने भी अफगानिस्तान से अपने सभी राजनयिकों को वापस बुला लिया है।
नेपाल ने अफगान से नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए कई देशों से मांगी मदद
नेपाल के विदेश मंत्रालय ने अफगानिस्तान से नेपाली नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए भारत और अमेरिका समेत विभिन्न देशों से मदद मांगी है। उनका कहना है कि संयुक्त राष्ट्र मिशन में वहां 1500 नेपाली हैं। नौकरी करने के लिए भी 14 हजार से अधिक नेपाली अफगानिस्तान पहुंचे हुए हैं। उन्हें भी सुरक्षित निकाला जाना है।
ब्रिटेन दो दिनों में युद्धग्रस्त देश से अपने लोगों को सुरक्षित निकालने की तैयारी में
अफगानिस्तान में अमेरिका का सहयोगी रहा ब्रिटेन अगले दो दिनों में युद्धग्रस्त देश से अपने 1500 से अधिक लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने की तैयारी में है। सोमवार को पहली उड़ान ब्रिटेन के लिए रवाना हो चुकी है जिसमें ज्यादातर उनके राजनयिक हैं। अफगानी कर्मियों और उनके परिवारों को निकाला जा रहा है। ब्रिटिश नागरिकों की मदद करने वाले अफगानी लोगों के साथ प्रतिदिन एक हजार लोगों को वापस ब्रिटेन लाने की योजना है।
आस्ट्रेलिया अपने लोगों को लेने के लिए विमान भेज रहा, फ्रांस के नागरिक काबुल से यूएई पहुंचे
आस्ट्रेलिया अपने 250 सुरक्षा बलों के साथ तीन विमान और एयर टु एयर रिफ्यूलिंग की सुविधा वाले जेट अफगानिस्तान भेज रहा है। ताकि वह वहां से अपने 130 कर्मचारी और उनके परिवार के सदस्यों को सुरक्षित वापस ला सके। आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्काट मोरिसन के अनुसार वह वहां से कई शरणार्थियों को भी निकालेंगे। आस्ट्रेलिया मई में ही काबुल स्थित अपने दूतावास को बंद कर चुका है। वहीं, फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने भी कहा कि फ्रांस के नागरिकों को काबुल से यूएई पहुंचाया गया है।
रूस दूतावास बंद नहीं करेगा
रूस में क्रेमलिन के दूत जामिर काबुलोव ने कहा कि रूस काबुल स्थित अपने दूतावास से सौ कर्मियों को ही वापस बुलाएगा। ताकि वहां भीड़भाड़ न रहे। पर काबुल स्थित अपना दूतावास बंद नहीं करेगा। काबुल में रूसी राजदूत दिमित्री झिरनोव मंगलवार को तालिबान के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे।
रूस को उम्मीद नहीं थी कि तालिबान इतनी आसानी से काबुल पर कर लेगा कब्जा
उन्होंने अमेरिका पर तंज कसते हुए कहा कि रूस को उम्मीद नहीं थी कि तालिबान इतनी आसानी से काबुल पर कब्जा कर लेगा। उन्हें अमेरिका और नाटो की ओर से अफगान लड़ाकों को दिए गए सैन्य प्रशिक्षण पर पूरा भरोसा था। पर अफगान सेना ने पहली ही गोली पर सब कुछ छोड़ दिया। इटली ने दूतावास के 70 कर्मियों व अफगान कर्मियों को काबुल से सुरक्षित निकाल लिया है। रोम जाने वाले विमान में सवार इटली के पत्रकार फ्रेसेस्का मोनोची ने बताया कि विमान में 20 अफगान कर्मी और उनके परिवार के लोग भी हैं।
कई देश अपने नागरिकों को काबुल से सुरक्षित निकालने में जुटे
इसीतरह, स्विट्जरलैंड के विदेश मंत्री इग्नाजियो कासिस ने बताया कि उनके देश ने तीन कर्मियों को वापस बुलाया है। स्वीडन की विदेश मंत्री एन लिंडे ने बताया कि काबुल में फंसे उनके दूतावास के 19 कर्मियों को काबुल से दोहा व कतर सुरक्षित पहुंचाया गया है। वहां से यह लोग स्वीडन के लिए उड़ान भरेंगे। नार्वे व डेनमार्क ने भी अपने दूतावास कर्मियों को काबुल से निकाल लिया है। पुर्तगाल ने कहा कि उसका कोई नागरिक अफगानिस्तान में नहीं है, पर वह नाटो की मदद से 243 अफगानों को वहां से सुरक्षित निकालने के लिए तैयार है। चेक गणराज्य का भी विमान अपने 46 नागरिकों को लेकर रवाना हो चुका है।