Russia Ukraine Conflict: यूक्रेन संघर्ष पर भारत के रुख का जर्मनी सम्मान करता है : जर्मन राजदूत
जर्मनी रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत के रुख का सम्मान करता है। राजदूत ने कहा कि जर्मनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले महीने होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है और उन्होंने इस निमंत्रण को स्वीकार भी कर लिया है।।
नई दिल्ली, एएनआइ। जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडनर ( J Lindner) ने शुक्रवार को कहा कि जर्मनी, रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत के रुख का सम्मान करता है। राजदूत लिंडनर ने जानकारी दी है कि जर्मनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले महीने होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है और उन्होंने इस निमंत्रण को स्वीकार भी कर लिया है।। दिल्ली के इंडियन वुमेंस प्रेस कोर (IWPC) में संवाददाताओं से बातीचत करते हुए लिंडनर ने यह भी बताया कि यहां (भारत में) जर्मन राजदूत के रूप में उनकी यह जिम्मेदारी कुछ हफ्तों में खत्म हो जाएगी और वह शीघ्र ही सेवानिवृत हो रहे हैं। राजदूत ने आगे कहा कि हर देश को अपने हितों के हिसाब से अपना रूख तय करने का अधिकार है।
जर्मनी-भारत के रिश्ते हैं मजबूत
लिंडनर ने आगे कहा कि शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र (United Nation) में प्रस्तावों को अपनाने पर जब भी संयुक्त राष्ट्र में बातचीत होती थी तब उम्मीद की जाती थी कि रूस द्वारा यूक्रेन पर किए जा रहे हमले की भारत निंदा करेगा लेकिन उसने (भारत) नें नहीं किया, लेकिन भारत के इस कदम से दो देशों (जर्मनी-भारत) के रिश्ते को कभी नुकसान नहीं पहुंचा क्योंकि सिर्फ हमने (जर्मनी) ही नहीं बल्कि यूरोप ने भी कहा कि वे भारत के रूख का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया में हर देश के अपने हित, पड़ोस एवं निर्भरताएं हैं और हर देश को अपने हितों एवं क्षेत्रीय स्थिति के हिसाब से अपने रूख तय करने का अधिकार है।
विकासशील देशों को भी बैठक में बुलाया गया है
राजदूत ने कहा कि जर्मनी, रूस से ऊर्जा आपूर्ति पर अपनी निर्भरता तेजी से कम कर रहा है।
उन्होंने यह भी कहा, 'रूस द्वारा यूक्रेन पर किए जा रहे हमले की वजह से फिनलैंड और स्वीडन नाटो (NATO) सदस्यता की मांग कर रहे हैं।' राजदूत ने कहा कि चार सप्ताह के अंदर बवेरिया (Bavaria) में जी-7 ( G-7) की बैठक होगी। आमतौर पर इस बैठक में 7 देश ही शामिल होते थे लेकिन पिछले कुछ सालों से भारत सहित दक्षिण के कुछ विकासशील और मजबूत देशों को भी आमंत्रित किया जा रहा है।