कर्मचारियों के अभाव से ग्रामीण विकास प्रभावित
ज्यादातर पंचायतों में न तो मिनी सचिवालय हैं और न ही कुशल कर्मचारियों की भर्तियां की गई हैं।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से पंचायतों को भारी वित्तीय अनुदान मिलने के बावजूद उसका पूरा लाभ ग्रामीण विकास को नहीं मिल पा रहा है। विकास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए पंचायत स्तर पर जरूरी बुनियादी ढांचा तक नहीं बन पाया है। ज्यादातर पंचायतों में न तो मिनी सचिवालय हैं और न ही कुशल कर्मचारियों की भर्तियां की गई हैं। संसदीय समिति ने पंचायती राज मंत्रालय को इस दिशा में गंभीर प्रयास करने के निर्देश दिये हैं।
संसदीय समिति ने पंचायती राज मंत्रालय की कार्य प्रणाली पर कड़ी टिप्पणी करते हुए पंचायतों में बुनियादी सुविधाएं बहाल करने और कर्मचारियों की तैनाती पर जोर देने को कहा है, जिससे पंचायतों का कामकाज सुचारु रूप से चल सके। दरअसल, पंचायतों को चौदहवें वित्तायोग की सिफारिशों के बाद सीधे वित्तीय अनुदान प्राप्त होने लगा है। पंचायतों को मिलने वाली धनराशि पहले के मुकाबले बहुत अधिक है।
लेकिन पंचायत स्तर पर कुशल व तकनीकी कर्मचारियों की भारी किल्लत है। संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पंचायतों की ओर से जो सेवाएं मुहैया कराई जाती हैं, उनके लिए जरूरी कर्मचारियों का सर्वथा अभाव है। इनमें पंचायत सचिव, जूनियर इंजीनियर, कंप्यूटर आपरेटर, डाटा एंट्री आपरेटर व एकाउंटेंट समेत अन्य कर्मचारियों की भारी कमी है। इनके न होने से तकनीकी कार्य सही तरीके नहीं पूरे होते हैं, जिससे सरकारी धन की बर्बादी होती है।
पंचायतों को सशक्त बनाने की दिशा में पर्याप्त धनराशि का आवंटन तो समय पर हो जाता है, लेकिन उसके उपयोग का उचित प्रबंधन नहीं है। ग्राम प्रधान, सरपंच और मुखिया जैसे गैर तकनीकी लोग ही इसे अनाप शनाप तरीके से जहां तहां खर्च कर रहे हैं। ब्लाक स्तर के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत भी इस बर्बादी को और बढ़ावा दे रही है। पंचायत स्तर की योजनाओं को तैयार करने वाली प्रणाली भी विकसित करन की जरूरत पर जोर दिया गया है।