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उत्तराखंड पर संसद में संग्राम, कांग्रेस ने कहा-लोकतंत्र की हुई हत्या

उत्तराखंड के मुद्दे पर संसदे के दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ। तीखे सवालों और जवाबों के बीच गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तराखंड संकट के लिए कांग्रेस खुद जिम्मेदार है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 25 Apr 2016 12:48 AM (IST)Updated: Mon, 25 Apr 2016 08:29 PM (IST)
उत्तराखंड पर संसद में संग्राम, कांग्रेस ने कहा-लोकतंत्र की हुई हत्या

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जैसा कि अंदेशा था, उत्तराखंड मुद्दे को लेकर कांग्र्रेस ने दोनों सदनों में जोरदार हंगामा किया। तय पटकथा के मुताबिक कांग्रेस ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को लेकर कार्यस्थगन प्रस्ताव पेश कर अविलंब चर्चा की मांग, सरकार ने अदालत में विचाराधीन मामला बताकर इसे खारिज कर दिया। कांग्रेस के हंगामे के बावजूद लोकसभा की कार्यवाही जारी रही, लेकिन राज्यसभा की कार्यवाही बार-बार स्थगित होती रही।

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बजट सत्र के दूसरे भाग के पहले दिन की शुरुआत ही कांग्रेस के हंगामे के साथ हुई। उत्तराखंड पर विशेष चर्चा की मांग को लेकर दोनों सदनों में कांग्र्रेस सांसद सदन पटल पर आ गए और सरकार विरोधी नारेबाजी करते रहे। लेकिन आसन की ओर इसकी अनुमति नहीं मिली। लोकसभा में तो हंगामे के बीच भी प्रश्नकाल चलता रहा। इसके विरोध में मल्लिकार्जुन खड़गे आसन के पास सीढिय़ों पर धरने पर बैठ गए। उनके साथ ही अन्य सांसद भी पटल के बीचोंबीच बैठ गए। प्रश्नकाल खत्म होने के बाद ही लोकसभा अध्यक्ष ने खडग़े को बोलने की अनुमति दी, लेकिन चर्चा कराने से साफ कर दिया।

खड़गे ने मोदी सरकार पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यही चलता रहा तो आने वाले दिनों में कहीं भी विपक्ष की सरकार नहीं बचेगी। इशरत जहां केस का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अदालत में विचाराधीन होने के बावजूद सदन में इसपर चर्चा हुई है, तो फिर उत्तराखंड के लिए क्यों इंकार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम हाईकोर्ट के फैसले पर चर्चा की मांग नहीं कर रहे हैैं, बल्कि सरकार ने जो राष्ट्रपति शासन लगाया उसपर चर्चा की मांग कर रहे हैैं। लेकिन सरकार की ओर राजनाथ सिंह ने अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड के संकट को कांग्रेस की अंदरूनी संकट बताते हुए कहा कि इसका सरकार और भाजपा से कोई लेना देना नहीं है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार चर्चा से नहीं भाग रही है। नियम के मुताबिक सरकार को राष्ट्रपति शासन पर संसद की मुहर लेनी होगी, उस समय इस पर विस्तार से चर्चा की जा सकती है। सरकार के रुख का समर्थन करते हुए बीजेडी के भतृहरि माहताब ने कहा कि अदालत में लंबित मामले पर वे चर्चा के पक्ष में नहीं है और इसके लिए फैसले का इंतजार कर लेंगे, जबकि आप के भगवंत मान कांग्र्रेस के साथ नारेबाजी करते दिखे।

राज्यसभा में कांग्र्रेस विरोध का नेतृत्व गुलाम नबी आजाद ने किया और अधिक संख्याबल के कारण सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी। गुलाम नबी आजाद ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए जजों की तारीफ शुरू की, जिसपर भाजपा सांसदों ने आपत्ति जताई। माकपा की ओर से सीताराम येचुरी ने कांग्र्रेस की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि अदालत में लंबित मामलों पर पहले भी सदन में चर्चा होती रही है।

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