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आरएसएस ने कहा, कृषि कानून विरोधी आंदोलन खत्म कराने में बाधा डाल रहीं राष्ट्र विरोधी ताकतें

संघ की दो दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की वार्षिक बैठक शुक्रवार से शुरू हो गई। इससे इतर पत्रकारों से बातचीत में सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा कि आरएसएस के बारे में जानने के लिए लोगों में उत्सुकता बढ़ रही है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Fri, 19 Mar 2021 07:18 PM (IST)Updated: Fri, 19 Mar 2021 07:29 PM (IST)
आरएसएस ने कहा, कृषि कानून विरोधी आंदोलन खत्म कराने में बाधा डाल रहीं राष्ट्र विरोधी ताकतें
सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य की फाइल फोटो ।

बेंगलुरु, प्रेट्र। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने शुक्रवार को दावा किया कि केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का समाधान निकालने की दिशा में प्रयासों को राष्ट्र विरोधी और समाज विरोधी ताकतें विफल करने की कोशिश कर रही हैं। यह किसी के हित में नहीं है कि किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन लंबे समय तक चले।

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संघ ने अपनी रिपोर्ट-2021 में कहा कि विचार विमर्श जरूरी है और किसी सहमति पर पहुंचना भी आवश्यक है, भले ही सभी मुद्दों का समाधान न हो सके। यह भी चिंता का विषय है कि विरोध प्रदर्शनों की वजह से रोजमर्रा की जीवन प्रभावित हुआ है और समस्या तब और गंभीर हो गई जब राष्ट्र विरोधी और समाज विरोधी ताकतों ने समाधान की दिशा में जारी प्रयासों को विफल करने की कोशिश की।

संघ ने चेतावनी देते हुए कहा कि वर्तमान आंदोलन के नेतृत्व को ऐसी स्थिति पैदा नहीं होने देनी चाहिए। हाल के समय में हमने यह महसूस किया है कि ऐसी राष्ट्र विरोधी ताकतें अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए देश में गड़बड़ी और अस्थिरता का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रही हैं। संघ ने कहा, 'हमारा मानना है कि ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसे सुलझाया नहीं जा सकता, जरूरत सिर्फ ईमानदार प्रयासों की है।' आरएसएस ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपने विचारों को प्रकट करने की आजादी है, लेकिन किसी को भी देश में गड़बड़ी और अस्थिरता पैदा करने का अधिकार नहीं दिया सकता।

संघ के बारे में जानने को बढ़ रही उत्सुकता

संघ की दो दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की वार्षिक बैठक शुक्रवार से शुरू हो गई। इससे इतर पत्रकारों से बातचीत में सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा कि आरएसएस के बारे में जानने के लिए लोगों में उत्सुकता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान सेवा और राम मंदिर अभियान ने भारतीय समाज के लचीलेपन और सांस्कृतिक एकता को प्रदर्शित किया।

राम मंदिर धन संग्रह अभियान में नहीं लगाया घरों पर निशान

मनमोहन वैद्य ने उन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया कि राम मंदिर के लिए देशव्यापी धन संग्रह अभियान के दौरान आरएसएस ने घरों पर निशान लगाए। उन्होंने कहा, संघ का मानना है कि जिन्होंने राम मंदिर के लिए धन का योगदान दिया वे उसके अपने लोग हैं और जिन्होंने नहीं दिया वे भी उसके अपने लोग हैं। संघ किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं करता। वैद्य ने बताया कि संघ के 20 लाख कार्यकर्ता देशभर में 5,45,737 स्थानों पर पहुंचे और अपने अभियान के जरिये देश में 12.5 करोड़ से अधिक परिवारों से संपर्क किया।

देश के एक सूत्र में बंधने पर ही पूरा होगा राम मंदिर निर्माण

सह सरकार्यवाह वैद्य ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य तभी पूरा होगा जब देश को सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से एक सूत्र में बांधने का काम पूरा होगा। उन्होंने कहा कि यह (मंदिर) किसी अन्य मंदिर की तरह ही है, यह ऐसा मंदिर है जो देश की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक तरक्की का प्रतीक होगा।

महामारी के दौरान संघ ने बांटे 73 लाख राशन किट, 45 लाख खाद्य पैकेट

मनमोहन वैद्य ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान संघ ने 73 लाख लोगों को राशन किट, करीब 45 लाख लोगों को खाद्य पैकेट वितरित किए और देशभर के 60 फीसद मंडलों को कवर किया। उन्होंने बताया, 'कोविड-19 के दौरान हमने 90 लाख मास्क वितरित किए और 60 हजार से ज्यादा यूनिट रक्तदान किया। स्वयंसेवकों ने 20 लाख से ज्यादा प्रवासी कामगारों और करीब 2.5 लाख घुमंतू लोगों की मदद की।'


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