नहीं रहे संघ के पूर्व बौद्धिक व पहले प्रवक्ता एमजी वैद्य, नागपुर के अस्पताल में ली अंतिम सांस
RSS ideologue MG Vaidya passes away राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के विचारक एमजी वैद्य (MG Vaidya) का निधन हो गया। संघ के विचारक वैद्य का निधन महाराष्ट्र के नागपुर जिले (Nagpur District) में हुआ है ।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व राष्ट्रीय बौद्धिक प्रमुख और पहले प्रवक्ता एमजी वैद्य नहीं रहे। 97 वर्षीय वैद्य का संक्षिप्त बीमारी के बाद शनिवार को निधन हो गया। वे नागपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे। उनका अंत्येष्टि रविवार को सुबह नागपुर में ही होगी। उनके निधन पर संघ प्रमुख मोहन भागवत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा संघ और भाजपा से जुड़े लोगों ने शोक व्यक्त किया है।
संघ के सह सरकार्यवाह और उनके पुत्र मनमोहन वैद्य ने एक ट्वीट में निधन की जानकारी देते हुए कहा कि हिंदुत्व के 'भाष्यकार' और संघ में नौ दशक तक सक्रिय रहे उनके पिता ने शनिवार को अपराह्न 3.35 पर अपना शरीर छोड़ा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट में कहा कि एमजी वैद्य एक उत्कृष्ट लेखक और पत्रकार थे। उन्होंने दशकों तक संघ को अपना योगदान दिया। उन्होंने भाजपा के लिए भी काम किया। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि यह बहुत दुखद है कि हम लोगों के बीच से एक पवित्र व संत चरित्र का व्यक्ति चला गया है। बाबूराव वैद्य को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि है।
संघ के लगभग सभी शीर्ष पदाधिकारियों के संपर्क में रहे
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में संघ को गहराई से जानने के साथ-साथ उसकी विचारधारा को कुशलता से अभिव्यक्त करनेवाले चंद लोगों में से एक माधव गोविंद वैद्य को उनके गृहनगर नागपुर में लोग बाबूराव वैद्य के नाम से ही ज्यादा जानते रहे हैं। उम्र के लिहाज से आंकें तो वह संघ के लगभग समकक्ष थे। वह 11 मार्च, 1923 को जन्मे, तो संघ का गठन उसी नागपुर में दो साल बाद 27 सितंबर, 1925 को हुआ। एमजी वैद्य न सिर्फ संघ के साथ ही पले-बढ़े, बल्कि संघ को डॉ. हेडगेवार, गोलवलकर गुरुजी से लेकर मोहन भागवत तक विकसित होते देखा। सभी सर संघचालकों सहित संघ के लगभग सभी शीर्ष पदाधिकारियों के संपर्क में रहे। वे मैट्रिक से लेकर एम.ए. तक सभी कक्षाएं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करनेवाले एक मेधावी छात्र रहे। नागपुर में ईसाई मिशनरी की शिक्षण संस्था हिस्लॉप कालेज में प्राध्यापक रहते हुए उन्हें मिशनरी की कार्य पद्धति को समझने का अवसर मिला।
उन्होंने संघ के मुखपत्र समझे जानेवाले नागपुर के तरुण भारत में संपादक सहित विभिन्न दायित्वों का निर्वाह। उन्हें न केवल अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख जैसी जिम्मेदारियां मिलीं, बल्कि 1994 में जब संघ ने पहली बार प्रवक्ता नियुक्त करने का विचार किया तो यह दायित्व एमजी वैद्य को सौंपा गया। वैद्य ने यह दायित्व बखूबी निभाया। प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के नेतृत्ववाली बहुदलीय सरकार के दौर में भी वैद्य संघ की भूमिका बड़े ही संतुलित तरीके से मीडिया के सामने रखते रहे।
'संघ कार्यकर्ताओं ने छायाछत्र खोया'
एमजी वैद्य के निधन पर संघ प्रमुख सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह सुरेश भैय्या जोशी ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर कहा कि बाबूराव वैद्य के शरीर छोड़ने से हम सब संघ कार्यकर्ताओं ने अपना छायाछत्र खो दिया है। संस्कृत के प्रगाढ़ विद्वान, उत्तम पत्रकार, विधान परिषद के पूर्व सदस्य, उत्कृष्ट साहित्यिक जैसी बहुमखी प्रतिभा के धनी बाबूराव ने सारी गुणसंपदा संघ को समर्पित कर रखी थी। वे संघ के विकास के साक्षी रहे। उनकी अगली पीढ़ी भी देश हित में कार्यरत है। उनके दो बेटे मनमोहन वैद्य व रामजी वैद्य संघ के वरिष्ठ प्रचारक हैं। उनका आंखों से ओझल होना अपने पीछे एक रिक्तता छोड़ गया है।