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आरएसएस ने मजहबी कट्टरता पर जताई चिंता, कहा- धार्मिक आजादी की आड़ में हो रहा उन्मादी कार्यक्रमों का आयोजन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने मजहबी कट्टरता पर चिंता जताई है। गुजरात के कर्णावती में चल रही प्रतिनिधि सभा की बैठक में पेश किए गए वार्षिक प्रतिवेदन में कहा गया है कि कुछ कट्टर ताकतें धार्मिक आजादी की आड़ में उन्मादी कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को भड़का रही हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 12 Mar 2022 09:34 PM (IST)Updated: Sat, 12 Mar 2022 11:48 PM (IST)
आरएसएस ने मजहबी कट्टरता पर जताई चिंता, कहा- धार्मिक आजादी की आड़ में हो रहा उन्मादी कार्यक्रमों का आयोजन
गुजरात के कर्णावती में चल रही प्रतिनिधि सभा की बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले

जेएनएन, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने मजहबी कट्टरता पर चिंता जताई है। गुजरात के कर्णावती में चल रही प्रतिनिधि सभा की बैठक में पेश किए गए वार्षिक प्रतिवेदन में कहा गया है कि कुछ कट्टर ताकतें धार्मिक आजादी की आड़ में उन्मादी कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को भड़का रही हैं। इससे समाज में विद्वेष बढ़ रहा है। प्रतिवेदन में केरल व कर्नाटक में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं की हत्या का उदाहरण भी दिया गया है।

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आरएसएस के वार्षिक प्रतिवेदन में देश में बढ़ती कट्टरता पर जताई गई चिंता

संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले की ओर से पेश वार्षिक प्रतिवेदन में कहा गया है कि धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देने वाले लोगों की ओर से सरकारी तंत्र में भी प्रवेश करने की व्यापक योजना दिखाई देती है। इन सबके पीछे एक दीर्घकालीन षड्यंत्र काम कर रहा है। भ्रम पैदा कर लोगों को उकसाया जा रहा है। इसलिए समाज की एकता, एकात्मता तथा सद्भाव के साथ के समक्ष खड़े इस खतरे को संगठित शक्ति, जन जागरण और सक्रियता से सफलतापूर्वक परास्त करने का प्रयास करना होगा।

ये गिनाए गए हैं कारण

प्रतिवेदन में कहा गया है कि मजहबी उन्माद पैदा करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम, रैलियां, प्रदर्शन और भ्रम पैदा करने वाले आयोजन किए जा रहे हैं। धार्मिक स्वतंत्रता की आड़ में सामाजिक अनुशासन व परंपरा का उल्लंघन किया जा रहा है। अलग-अलग तरीके से लोगों को भड़का कर लोगों को हिंसा के लिए उत्तेजित किया जा रहा है। साथ ही अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देने का काम सुनियोजित तरीके से हो रहा है। दूसरी ओर स्वाभिमान के साथ खड़ी हो रही हिंदू शक्ति से भी लोग परेशान हो रहे हैं।

देश में आई नई जागृति पर गर्व

प्रतिवेदन में भारत में बढ़ते स्वाभिमान और नई जागृति पर गर्व महसूस करने की भी बात कही गई है। कहा गया है, सुखद पहलू यह भी है कि भारत में जागृति, विकास और नए चीजों के प्रादुर्भाव की एक आशाजनक बेला का अनुभव हो रहा है। भारत का एक बड़ा वर्ग भारत के स्वर्णिम अध्याय को लिखने के लिए उत्साह से कार्यरत है।

सामूहिक प्रयास से रोकना होगा मतांतरण

देश में बढ़ रहे अवैध मतांतरण पर संघ ने चिंता जताते हुए कहा है कि देश के विभिन्न भागों में योजनाबद्ध तरीके से मतांतरण कराया जा रहा है। नए-नए समूहों का मतांतरण कराने के लिए भिन्न-भिन्न तरीके अपनाए जा रहे हैं। इसे रोकने के लिए योजनाबद्ध तरीके से संयुक्त और समन्वित प्रयास करने की जरूरत है।

प्रबल वैचारिक विमर्श की जरूरत

संघ ने कहा है कि भारत में अब यहां की पुरानी सांस्कृतिक मूल्य परंपरा, अस्मिता तथा देश की एकता तथा अखंडता के भाव से जागृत होते हुए हिंदू शक्ति स्वाभिमान से खड़ी हो रही है। इसे सहन नहीं कर पाने वाली विरोधी शक्तियां समाज में विषाक्त वातावरण खड़ा करने का षडयंत्र कर रही हैं। राष्ट्रीयता, हिंदुत्व, सांस्कृतिक मूल्य, परंपरा आदि विषयों के बारे में सत्य एवं तथ्य आधारित प्रबल वैचारिक विमर्श को प्रभावी बनाने की जरूरत है।

बंगाल में हिं‍सा पीड़ि‍तों को मिलेगा न्याय

संघ ने कहा है कि बंगाल विधानसभा चुनाव बाद वहां प्रशासनिक तंत्र का दुरुपयोग करते हुए विद्वेष एवं हिंसा को खुली छूट देकर राजनीतिक विरोधियों को नष्ट करने का प्रयास भविष्य के लिए महंगा पड़ेगा। पीड़ि‍त जनता को शीघ्र ही पूर्ण न्याय मिलेगा या आशा रखते है।

रोजगार खड़ा करने पर देना होगा जोर

संघ ने कहा है कि कोरोना काल में हजारों लोगों का रोजगार चला गया। सरकार बेहतर प्रयास कर रही है। इसके बाद भी अभी रोजगार बढ़ाने की बड़ी आवश्यकता है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र, कृषि, कुटीर उद्योग, हस्तशिल्प, लघु उद्योग आदि क्षेत्र पर अधिक बल देना होगा।


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