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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोले, शिक्षित और संपन्न परिवारों में तलाक के मामले ज्यादा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि आजकल शिक्षित और संपन्न परिवारों में तलाक के मामले ज्यादा हो रहे हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 09:20 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 09:20 PM (IST)
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोले, शिक्षित और संपन्न परिवारों में तलाक के मामले ज्यादा
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोले, शिक्षित और संपन्न परिवारों में तलाक के मामले ज्यादा

अहमदाबाद, प्रेट्र। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि आजकल शिक्षित और संपन्न परिवारों में तलाक के मामले ज्यादा हो रहे हैं। ऐसा घमंड के कारण हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के पास हिंदू समाज के अलावा कोई विकल्प नहीं है और हिंदू समाज के पास परिवार जैसे व्यवहार के इतर कोई विकल्प नहीं है।

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शिक्षा और संपन्नता से पैदा हो रहा घमंड

परिवार के साथ एक कार्यक्रम में शामिल होने आए आरएसएस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सरसंघचालक भागवत ने कहा, 'मौजूदा दौर में तलाक के मामलों में वृद्धि हुई है। लोग छोटी-छोटी बातों पर झगड़ने लगे हैं। तलाक के मामले शिक्षित और संपन्न परिवारों में ज्यादा हो रहे हैं, क्योंकि शिक्षा और संपन्नता उनमें घमंड पैदा कर रही है। समाज में भी बिखराव हो रहा है, क्योंकि वह भी एक परिवार है।'

महिलाओं को घरों तक कर दिया गया सीमित

आरएसएस की तरफ से जारी बयान के अनुसार भागवत ने कहा, 'हम चाहते हैं कि संघ के क्रियाकलापों के बारे में स्वयंसेवक अपने परिवार के सदस्यों को बताएं। परिवार की महिला सदस्यों को कई बार हमसे ज्यादा पीड़ादायक काम करने पड़ते है, ताकि हम जो करते हैं उसे जारी रख सकें।' संघ प्रमुख ने कहा, 'समाज की मौजूदा हालत पिछले 2,000 वर्षों से चले आ रहे गलत अभ्यास का नतीजा है। हमने महिलाओं को घरों तक सीमित कर दिया है। 2,000 वर्षों से पहले ऐसा नहीं था।' उन्होंने कहा, हिंदू समाज को धार्मिक और संगठित होना चाहिए। जब हम समाज की बात करते हैं तो वह लोगों का समूह नहीं होता।'

घर और गृहणी के बिना समाज नहीं

भागवत ने कहा, 'मैं हिंदू हूं। मैं सभी धार्मिक स्थलों का सम्मान करता हूं, लेकिन जब हमारे श्रद्धा स्थलों की बात आती है तो मैं दृढ़ हो जाता हूं। मुझे संस्कार मेरे परिवार से मिले हैं और मातृशक्ति ही है जिसने मुझे यह सिखाया है।' उन्होंने कहा, 'घर और गृहणी के बिना समाज नहीं हो सकता। महिलाएं तो खुद आधा समाज हैं। महिलाओं को और शिक्षित किए जाने की जरूरत है, लेकिन हम इसकी चिंता नहीं करते। ऐसा ही रहा तो एक दिन न हम बचेंगे न ही हमारा परिवार।'


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