Move to Jagran APP

संघ की नई किताब बताएगी देवरस ने इंदिरा गांधी से क्यों मांगी माफी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपना इतिहास दोबारा लिखवा रहा है, लेकिन दिलचस्प मामला यह है कि लेखक एक बार फिर से वहीं हैं, जिन्होंने 28 साल पहले 1987 में इसके इतिहास पर किताब लिखी थी। उस किताब का नाम था, 'द ब्रदरहुड इन सैफ्रनः द राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एंड हिंदू

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2015 11:14 AM (IST)Updated: Mon, 14 Dec 2015 01:48 PM (IST)
संघ की नई किताब बताएगी देवरस ने इंदिरा गांधी से क्यों मांगी माफी

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपना इतिहास दोबारा लिखवा रहा है, लेकिन दिलचस्प मामला यह है कि लेखक एक बार फिर से वहीं हैं, जिन्होंने 28 साल पहले 1987 में इसके इतिहास पर किताब लिखी थी। उस किताब का नाम था, 'द ब्रदरहुड इन सैफ्रनः द राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एंड हिंदू रिवाइलिज्म'।

loksabha election banner

हालांकि, संघ अपना इतिहास दोबारा क्यों लिखवा रहा है, इसका खुलासा तो नहीं हो सका है, लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस नई किताब में आपातकाल, बालासाहेब देवरस, केएस सुदर्शन और नागपुर से दिल्ली के बीच का सत्ता संघर्ष की कहानी समाहित होगी।

पिछली किताब को अमेरिकी विदेश मंत्रालय के साथ काम कर चुके वाल्टर के एंडरसन और संघ से नजदीकी रखने वाले श्रीधर डामले ने 1987 में लिखी थी। एंडरसन दिल्ली में भी रह चुके हैं। अब डॉन होपकिन्स और बतौर रिसर्चर शिकागो में रह रहे डामले के साथ एंडरसन इसे दोबारा लिखने के लिए तैयारी में जुट गए हैं।

एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में डामले ने बताया कि इस किताब में वह कारण भी बताया जाएगा जिसकी वजह से आपातकाल के दौरान देवरस ने इंदिरा गांधी से माफी मांगी थी।

उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी से माफी मांगना एक रणनीति का हिस्सा था। यहां तक कि अटल बिहारी वाजपेयी को भी इंदिरा से माफी मांगने को कहा गया था। डामले ने यह भी बताया कि वाजपेयी जी ने मुझे बताया था कि मैं बिना इजाजत कुछ नहीं कर रहा।

डामले के अनुसार इस किताब का सबसे दिलचस्प अंश होगा एकनाथ रानाडे का आपातकाल के दौरान कन्याकुमारी जाना। रानाडे को विवेकानंद मेमोरियल की स्थापना के लिए कन्याकुमारी भेजा गया था। वह छह साल तक सरकार्यवाह रहे, लेकिन कन्याकुमारी जाने के बाद वह संघ में नहीं लौटे।

महिलाओं से दूरी बनाए रखने का आरोप झेलने वाले संघ के बारे में डामले ने एक और खुलासा किया। उन्होंने बताया कि बताया कि आपातकाल के दौरान संघ को सह सरकार्यवाह भाऊराव देवरस, राजेंद्र सिंह, शेषाद्रि, मोरोपंत पिंगले और दत्तोपंत ठेंगड़ी ने संघ को चलाया। उस दौरान महिला इकाई राष्ट्रीय स्वयंसेविका संघ ने गुरु दक्षिणा जुटाकर संघ के संचालन में मदद की।

डामले ने बताया कि जेल से छूटने के बाद देवरस ने पहली बार महिलाओं को संघ की बैठक में हिस्सा लेने के लिए बुलाया था। उन्होंने 25 सेविकाओं को बुलावा भेजा था। हालांकि कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया था। तब देवरस ने 1948 और 1977 की दुहाई देते हुए कहा था कि उस दौर में कई नेता भाग खड़े हुए थे, लेकिन इन सेविकाओं ने ही संघ को खड़े रखा था।

पढ़ेंः आरएसएस के शीर्ष प्रचारक की राय, मुस्लिमों के पूर्वज आदि पुरुष राम


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.