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केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को और अधिक चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए रोटेशन प्रणाली होगी लागू

सीआरपीएफ में युवा और शारीरिक रूप से फिट जवानों की एक अलग इकाई बनाने पर विचार किया जा रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 05 Jan 2020 09:03 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jan 2020 09:03 PM (IST)
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को और अधिक चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए रोटेशन प्रणाली होगी लागू
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को और अधिक चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए रोटेशन प्रणाली होगी लागू

नई दिल्ली, प्रेट्र। सरकार केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के स्वरूप में बदलाव के महत्वाकांक्षी प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इसका उद्देश्य केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को और अधिक चुस्त-दुरुस्त, कारगर और सक्षम लड़ाकू बल में बदलना है। इसके लिए विलय और रोटेशन प्रणाली भी लागू की जा सकती है।

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सीएपीएफ और गृह मंत्रालय की कमेटी गठित

अधिकारियों ने बताया कि इस मुद्दे पर व्यापक विचार-विमर्श के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) और केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की एक कमेटी बनाई गई है। कमेटी से इस साल के मध्य तक रिपोर्ट भी देने को कहा गया है।

कुछ अर्धसैनिक बलों के विलय पर विचार

इसको लेकर कई तरह के प्रस्ताव हैं। कुछ अर्धसैनिक बलों के विलय के एक प्रस्ताव पर गृह मंत्रालय में महानिदेशकों और विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) की कमेटी विचार कर रही है। विलय का मकसद अर्धसैनिक बलों को आकार में छोटा और सुगठित बनाकर उन्हें देश की सीमा की सुरक्षा और आतंक-रोधी टास्क जैसे विशेष अभियानों के लिए हमेशा फिट और तैयार रखना है।

आइटीबीपी और एसएसबी का विलय कर एक एकीकृत इकाई बनाई जा सकती है

एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआइ को बताया कि इस संभावना पर विचार किया जा रहा है कि क्या चीन और नेपाल समेत समूचे पूर्वोत्तर की सीमाओं की सुरक्षा के लिए दो सीमा सुरक्षा बलों भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) का विलय कर एक एकीकृत इकाई बनाई जा सकती है। अभी आइटीबीपी चीन से लगती 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा की निगरानी करती है। जबकि, एसएसबी नेपाल से लगने वाली 1,751 किलोमीटर की सीमा और भूटना से लगने वाली 699 किलोमीटर की सीमा की सुरक्षा संभालती है।

हालांकि, अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। वैसे कारगिल युद्ध नीति के यह विपरीत होगा, जिसमें हर सीमा की सुरक्षा के लिए अलग बल की बात कही गई है। इन दोनों बलों की क्षमता एक लाख जवानों से कम है।

सीआरपीएफ-एनएसजी के विलय पर भी विचार

देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के विलय पर भी विचार किया जा रहा है। सीआरपीएफ को जहां देश में कानून व्यवस्था की स्थिति को काबू में करने और नक्सल व उग्रवाद विरोधी अभियानों में लगाया जाता है। वहीं, एनएसजी को बड़े आतंकी हमलों और विमान अपहरण जैसे जटिल मामलों के सामने आने पर ऑपरेशन में लगाया जाता है। इनकों मिलाकर आतंकी, हाईजैक, माओवाद और उग्रवाद जैसी घटनाओं से निपटने के लिए एक फोर्स बनाने पर विचार किया जा रहा है।

युवा जवानों की अलग इकाई पर विचार

सीआरपीएफ में युवा और शारीरिक रूप से फिट जवानों की एक अलग इकाई बनाने पर विचार किया जा रहा है। इसके तहत एक प्रस्ताव यह है कि इस बल से अधिक उम्र वाले जवानों को सीआइएसएफ जैसे दूसरे अर्धसैनिक बलों में भेज दिया जाए, जहां उनका सही उपयोग हो सके। सीआइएसएफ के जिम्मे देश के हवाईअड्डों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है।

शाह ने फिट फोर्स बनाने की दी थी सलाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हाल में जब सीआरपीएफ की तैयारियों का जायजा लेने के लिए उसके मुख्यालय गए थे, तब उन्होंने युवा और फिट इकाई के गठन की संभावना पर विचार करने को कहा था। उसके बाद सीआरपीएफ ने छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी जवानों के रोटेशन की संभावना पर भी विचार कर रही है।


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